Advertisement

सोने की कीमतों में बवाल, जानें ट्रंप की चाल ने कैसे बनाया गोल्ड को महंगा और फिर सस्ता?

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और फैसलों ने सोने की कीमतों को आसमान पर पहुंचाया और फिर अचानक गिरा भी दिया. कैसे ट्रंप के टैरिफ और व्यापार युद्ध के ऐलानों ने वैश्विक बाजार में हलचल मचाई और सोने को 'सेफ हेवन' बना दिया. साथ ही, क्यों हाल के दिनों में ट्रंप के कुछ फैसलों ने सोने की तेजी पर ब्रेक लगाया.

सोने की दुनिया में इस समय जो हलचल मची हुई है, उसने पूरी दुनिया के निवेशकों को चौंका दिया है. एक समय था जब सोना चुपचाप एक सीमित दायरे में घूमता रहता था. अक्टूबर 2011 से लेकर अक्टूबर 2022 तक सोने की कीमतें लगभग 1,700 डॉलर प्रति औंस के आसपास जमी हुई थीं. ऐसा लग रहा था कि सोने ने एक लंबी नींद ले ली है. लेकिन अचानक ऐसा तूफान उठा कि सब कुछ बदल गया.

नवंबर 2022 से सोने ने जैसे जागना शुरू कर दिया. पहले धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और फिर 2024 आते-आते तो सोना ऐसी रफ्तार से दौड़ा कि इसने 3,500 डॉलर प्रति औंस का ऐतिहासिक आंकड़ा छू लिया. भारत में भी सोने ने नया रिकॉर्ड बना दिया. 24 कैरेट सोने की कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा पहुंची. लेकिन जैसे ही लोग सोने में और निवेश करने का सोच रहे थे, अचानक कीमतों में गिरावट आ गई और सोना 95,320 रुपये तक आ गिरा. सवाल ये है कि आखिर ये उठा-पटक क्यों हुई? इसके पीछे क्या कहानी है? और सबसे बड़ी बात, इसमें डोनाल्ड ट्रंप का क्या रोल है?

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से बढ़ा सोने का भाव

2025 में डोनाल्ड ट्रंप ने जब 'रेसिप्रोकल टैरिफ' यानी प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने का ऐलान किया, तो वैश्विक बाजार में तूफान मच गया. उन्होंने साफ कर दिया कि जो देश अमेरिका के सामान पर टैक्स लगाते हैं, अमेरिका भी उनके सामान पर उतना ही टैक्स लगाएगा. इससे व्यापार युद्ध का डर बढ़ गया. दुनिया भर के निवेशकों ने अनिश्चितता से घबराकर सुरक्षित निवेश की तलाश शुरू कर दी और उनकी नजर सोने पर जा टिकी. इसी डर ने सोने को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया.

ट्रंप की नीतियों से पैदा हुई वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने सोने को सपोर्ट दिया. निवेशक जानते हैं कि जब बाजार में अनिश्चितता बढ़ती है, तब सोना सबसे सुरक्षित साधन बन जाता है. नतीजा ये हुआ कि सिर्फ 2023 में सोने ने 13 फीसदी की छलांग लगाई और 2024 में 27 फीसदी का शानदार उछाल देखा गया. ऐसा प्रदर्शन पहले भी देखा गया था, जब अक्टूबर 2018 से अगस्त 2020 के बीच सोने ने लगभग 75 फीसदी का उछाल मारा था.

लेकिन फिर अचानक क्यों टूटी सोने की चमक?

जब सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस के पार गया, तो हर कोई सोच रहा था कि अब यह कहां रुकेगा. लेकिन तभी एक बड़ा ट्विस्ट आया. ट्रंप ने अचानक चीन पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों में नरमी का संकेत देना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि वे चीन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. दूसरी तरफ चीन ने भी व्यापार युद्ध को खत्म करने के संकेत दिए. इस सकारात्मक माहौल ने निवेशकों के बीच भरोसा पैदा किया कि शायद अब आर्थिक टकराव नहीं बढ़ेगा.

इसी दौरान फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों को लेकर थोड़ी स्थिरता दिखाई. महंगाई दर नीचे आई. पॉवेल और ट्रंप के बीच का तनाव भी कुछ हद तक कम हुआ. नतीजा ये हुआ कि निवेशकों ने सोने से पैसा निकालकर फिर से इक्विटी जैसे जोखिम भरे बाजारों की ओर रुख करना शुरू कर दिया. सोने की सेफ हेवन डिमांड कम हो गई और उसकी कीमतों में गिरावट आ गई.

डॉलर की मजबूती और ट्रेजरी यील्ड्स का खेल

सोने की कीमतों में गिरावट का एक और बड़ा कारण रहा डॉलर की मजबूती. डॉलर इंडेक्स जो तीन साल में पहली बार 100 के नीचे आया था, अब धीरे-धीरे फिर से मजबूत हो रहा है. जैसे-जैसे डॉलर मजबूत होता है, सोने की मांग कमजोर पड़ती है. इसके साथ ही अमेरिका के 10-ईयर ट्रेजरी यील्ड्स भी बढ़ रहे हैं. जब यील्ड्स बढ़ते हैं तो निवेशक बांड्स में पैसा लगाते हैं और सोने से दूर हो जाते हैं. इससे सोने पर और दबाव बना.

इस समय निवेशक दोराहे पर खड़े हैं. अगर दुनिया भर में आर्थिक हालात सुधरते हैं और व्यापार युद्ध के बादल छंटते हैं, तो सोने की मांग और गिर सकती है. लोग शेयर बाजार जैसे साधनों में निवेश करेंगे, जहां जोखिम ज्यादा है लेकिन रिटर्न भी ज्यादा. लेकिन अगर अचानक कोई नया संकट खड़ा होता है, चाहे वो भू-राजनीतिक हो या फिर आर्थिक, तो सोना फिर से चमक सकता है.

ट्रंप की नीतियों का एक और दिलचस्प पहलू है उनकी अनिश्चितता. वह कब क्या फैसला ले लें, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. अगर वह फिर से किसी देश पर भारी टैरिफ लगा देते हैं या कोई कड़ा आर्थिक कदम उठाते हैं तो सोना फिर से रिकॉर्ड तोड़ तेजी दिखा सकता है. वहीं अगर महंगाई दर अचानक बढ़ जाती है या फेडरल रिजर्व फिर से ब्याज दरों को लेकर आक्रामक होता है तो सोने में नई जान आ सकती है.

भारत में सोने का भविष्य

भारत में सोने की मांग हमेशा से मजबूत रही है. चाहे शादियों का मौसम हो या त्योहार, सोना हर मौके पर भारतीयों की पहली पसंद रहा है. अब जब सोना 1 लाख रुपये के पार जा चुका था और फिर थोड़ी गिरावट के बाद 95 हजार के आसपास है, तो लोग सोच रहे हैं कि क्या ये खरीदारी का सही मौका है? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप दीर्घकालिक निवेशक हैं, तो सोना अभी भी अच्छा विकल्प है. क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और किसी भी बड़े संकट में सोना फिर से तेज दौड़ सकता है.

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने सोने के बाजार में जो भूचाल लाया है, वो अपने आप में एक बड़ी कहानी है. पहले टैरिफ लगाकर बाजार को डराया. फिर बातचीत के संकेत देकर बाजार को राहत दी. इस उठा-पटक ने सोने की कीमतों को झूले की तरह हिलाया. आज सोना भले थोड़ा सस्ता हो गया हो, लेकिन कल क्या होगा, ये कोई नहीं जानता.

इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि सोना एक ऐसा निवेश है जो मुश्किल समय में हमेशा चमकता है. ट्रंप की नीतियां, वैश्विक तनाव, महंगाई दर, ब्याज दरें, डॉलर की ताकत - ये सब मिलकर सोने के भविष्य की दिशा तय करेंगे. इसलिए अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो बाजार की हर हलचल पर नजर रखिए. क्योंकि सोने की इस कहानी में अगला ट्विस्ट कभी भी आ सकता है.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →