बांग्लादेश में सियासी उबाल... उस्मान हादी की मौत के बाद सुलग रहा देश, अवामी लीग का दफ्तर प्रदर्शनकारियों ने फूंका
बांग्लादेश में शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में मौत के बाद हालात बिगड़ गए. ढाका के शाहबाग चौराहे पर जुटी भीड़ ने जाम लगाया और विरोध हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों ने करवान बाजार स्थित प्रथम आलो के दफ्तर पर हमला कर तोड़फोड़ की.
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बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के खिलाफ चले आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी से पहचान बनाने वाले शरीफ उस्मान हादी की गुरुवार को सिंगापुर में मौत हो गई. हादी की मौत की खबर सामने आते ही ढाका समेत कई शहरों में हालात बिगड़ गए. देर रात तक सड़कों पर गुस्सा, आगजनी और तोड़फोड़ देखने को मिली.
ढाका में भड़की हिंसा
दरअसल, हादी की मौत की खबर सिंगापुर से जैसे ही बांग्लादेश पहुंची, हजारों लोग ढाका के शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हो गए. गुस्साई भीड़ ने चौराहे को जाम कर दिया और सरकार पर हादी की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया. देखते ही देखते शांत प्रदर्शन हिंसक हो गया. शरीफ उस्मान हादी इंकलाब मंच के संयोजक थे और जुलाई 2024 के विद्रोह के बाद बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरे के रूप में उभरा था. हादी की मौत ने न केवल उनके समर्थकों को झकझोर दिया, बल्कि पूरे देश में अस्थिरता की चिंगारी भी सुलगा दी है.
मीडिया संस्थान को प्रदर्शनकारियों ने बनाया निशाना
प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले करवान बाजार स्थित प्रथम आलो के दफ्तर को निशाना बनाया. यह बांग्लादेश का सबसे बड़ा बांग्ला अखबार माना जाता है. भीड़ ने इमारत की कई मंजिलों में तोड़फोड़ की. फर्नीचर और दस्तावेज बाहर निकालकर उनमें आग लगा दी गई. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हमले के समय कई पत्रकार और कर्मचारी इमारत के भीतर फंसे हुए थे, जिन्हें बाद में सुरक्षित बाहर निकाला गया.इसके बाद उपद्रवियों ने डेली स्टार के दफ्तर पर हमला कर दिया. वहां भी जमकर तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई. इन घटनाओं ने देश में प्रेस की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
चटगांव तक फैली हिंसा
हिंसा सिर्फ ढाका तक सीमित नहीं रही. राजशाही में प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया. वहीं, चटगांव में हालात और ज्यादा संवेदनशील हो गए. गुरुवार देर रात सैकड़ों प्रदर्शनकारी भारतीय उच्चायोग के कार्यालय के बाहर जमा हो गए. वहां जमकर पत्थरबाजी की गई और भारत विरोधी नारे लगाए गए. भीड़ के बीच से भारतीय आक्रमण को ध्वस्त करो और लीग वालों को पकड़ो और मारो जैसे नारे सुनाई दिए. यह नारे हादी की राजनीतिक सोच और भारत के प्रति उनके तीखे रुख को दर्शाते हैं.
हादी को कैसे मारी गई गोली
दरअसल, 12 दिसंबर को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में हादी चुनाव प्रचार कर रहे थे. उसी दौरान अज्ञात हमलावरों ने उनके सिर में गोली मार दी. हालत गंभीर होने पर उन्हें पहले ढाका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन स्थिति में सुधार न होने के कारण 15 दिसंबर को एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर भेजा गया. सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान गुरुवार को उनकी मौत हो गई. हादी की मौत की पुष्टि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय और सिंगापुर के अधिकारियों ने की है.
अंतरिम सरकार ने बुलाई हाई लेवल बैठक
देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने ढाका में हाई लेवल बैठक बुलाई. साथ ही उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. यूनुस ने कहा कि कानून को अपने हाथ में लेना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने हादी को जुलाई विद्रोह का निडर योद्धा और शहीद बताया. अपने संबोधन में यूनुस ने कहा कि हादी पराजित फासीवादी आतंकवादी ताकतों के दुश्मन थे. हम उन ताकतों को फिर से हराएंगे जो उनकी आवाज दबाना चाहती थीं और क्रांतिकारियों में डर पैदा करना चाहती थीं.
सरकार ने किया राष्ट्रीय शोक का ऐलान
मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की. मस्जिदों में विशेष प्रार्थनाओं का ऐलान किया गया. उन्होंने यह भी वादा किया कि हादी के हत्यारों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा. इसके साथ ही सरकार ने हादी की पत्नी और उनके इकलौते बच्चे की जिम्मेदारी लेने की बात कही.
Chief Advisor to the Government of Bangladesh, Muhammad Yunus tweets, "... Sharif Osman Hadi, the fearless frontline warrior of the July Mass Uprising under treatment in Singapore and spokesperson for the Inkilab Mancha, is no longer with us... His passing represents an… pic.twitter.com/pEJdp5SXC2
— ANI (@ANI) December 18, 2025
कौन था शरीफ उस्मान हादी?
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के एक प्रमुख राजनीतिक कार्यकर्ता और छात्र नेता था. वह इंकलाब मंच के संस्थापक सदस्यों में से एक और उसके संयोजक था. 2024 के जुलाई.अगस्त विद्रोह, जिसे जुलाई क्रांति भी कहा जाता है, में उनकी भूमिका बेहद अहम रही. इसी आंदोलन के बाद शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का तख्तापलट हुआ. हादी भारत विरोधी बयानबाजी के लिए जाना जाता था. उनका मानना था कि भारत बांग्लादेश पर अपना प्रभुत्व थोपने की कोशिश करता है. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर ग्रेटर बांग्लादेश का एक नक्शा साझा किया था, जिसमें भारत के कुछ पूर्वोत्तर हिस्से भी दिखाए गए थे. इस पोस्ट के बाद दोनों देशों के रिश्तों को लेकर तीखी बहस छिड़ गई थी.
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बताते चलें कि वह आगामी चुनाव में ढाका 8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहा था. लेकिन एक गोली ने उनके राजनीतिक सफर को अचानक खत्म कर दिया. अब उनकी मौत ने बांग्लादेश को एक बार फिर अनिश्चितता और तनाव के दौर में धकेल दिया है.
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