आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सह-संस्थापक अमीर हमजा जख्मी हालत में लाहौर अस्पताल में भर्ती, LeT के अंदर बगावत या कुछ और?
पाकिस्तान में आतंकवाद का एक बड़ा चेहरा अमीर हमजा लाहौर के अस्पताल में गंभीर हालत में पाया गया. हाफिज सईद का करीबी और लश्कर-ए-तैयबा का फंड मैनेजर रह चुका हमजा किसके हमले का शिकार हुआ? क्या ये लश्कर की अंदरूनी लड़ाई है या कोई गुप्त ऑपरेशन?

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लाहौर के एक अस्पताल में मंगलवार शाम एक ऐसा चेहरा भर्ती हुआ, जिसे दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां कई सालों से तलाश रही थीं. पाकिस्तान के कुख्यात आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का को-फाउंडर और 26/11 हमले का साजिशकर्ता अमीर हमजा, जो लहूलुहान हालत में अस्पताल लाया गया. उसके सिर, नाक और शरीर के अन्य हिस्सों से खून बह रहा था और हालत इतनी गंभीर थी कि उसे तुरंत मिलिट्री के बेस अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा. सवाल उठता है कि इस आतंकी को आखिर किसने इस बुरी तरह जख्मी किया और क्यों?
लश्कर के माफिया नेटवर्क का कोषाध्यक्ष
अमीर हमजा सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेजरर भी माना जाता था. हाफिज सईद का वह इतना करीबी था कि बिना उसकी सहमति के संगठन में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाता था. लश्कर के मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा का संचालन भी हमजा ही करता था. जमात का मुख्य कार्य दुनिया भर में लश्कर के लिए फंडिंग जुटाना और उसके नेटवर्क को मजबूत करना था. अमेरिका ने हमजा को 2012 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था. इतना ही नहीं, उसके नाम का जिक्र FBI की वॉंटेड लिस्ट में भी शामिल रहा है.
अमेरिका की हिट लिस्ट और पाकिस्तान का मौन
2018 में जब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर जमात-उद-दावा की फंडिंग पर रोक लगाई, तो हमजा और हाफिज सईद के बीच तनाव पैदा हो गया. हमजा का आरोप था कि हाफिज ने सरकार पर पर्याप्त दबाव नहीं बनाया, जिससे उनके फंडिंग चैनल बंद हो गए. इसके बाद हमजा ने खुद का अलग संगठन 'जैश ए मनक्फा' बना लिया, जिसका मकसद था लश्कर की फंडिंग को नए तरीके से खड़ा करना. इस दौरान उसने ऑपरेशनल गतिविधियों से दूरी बना ली, लेकिन युवाओं का ब्रेनवॉश और उन्हें कट्टरपंथी बनाना उसकी मुख्य भूमिका बन गई.
कौन है हमले के पीछे? लश्कर की अंदरूनी साजिश या बाहरी हमला?
जिस तरह से हमजा को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि एक सोची-समझी कार्रवाई थी. पाकिस्तान की पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है और न ही लश्कर की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने आई है. कई जानकारों का मानना है कि यह हमला लश्कर के भीतर चल रही सत्ता की लड़ाई का परिणाम हो सकता है. वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह अमेरिका या भारत समर्थित किसी गुप्त ऑपरेशन का हिस्सा भी हो सकता है, क्योंकि हमजा की गतिविधियां अब भी एक अंतरराष्ट्रीय खतरा बनी हुई थीं.
यह घटना ऐसे वक्त पर सामने आई है जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंकवाद से लड़ने वाला देश बताने की कोशिश कर रहा है. हमजा जैसे बड़े आतंकी पर खुलेआम हमला और अस्पताल में भर्ती होना पाकिस्तान की कानून व्यवस्था और आतंकी नेटवर्क पर नियंत्रण की असलियत को उजागर करता है. यह घटना भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 26/11 के ज़ख्म अभी तक नहीं भरे हैं और हमजा उनमें से एक मास्टरमाइंड रहा है. अगर ये हमला किसी बाहरी एजेंसी ने किया है तो यह भारत के लिए एक संकेत हो सकता है कि अब आतंकी नेटवर्क के सफाए का दौर शुरू हो गया है.
अमीर हमजा का घायल होना कोई साधारण घटना नहीं है. ये आतंकी दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था और अब जब वह बुरी तरह से जख्मी हुआ है, तो इससे जुड़े सवाल और रहस्य और गहराते जा रहे हैं. क्या लश्कर में सत्ता की लड़ाई छिड़ चुकी है? या पाकिस्तान सरकार खुद अपने पुराने मोहरों को साफ करने में जुट गई है? या फिर यह किसी बाहरी एजेंसी की सफल कार्रवाई थी? जब तक पाकिस्तान इस पर खुलकर कुछ नहीं कहता, तब तक यह मामला रहस्य ही बना रहेगा, लेकिन इतना तय है कि आतंक के ट्रेजरर का खेल अब शायद खत्म होने की कगार पर है.