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मेला खत्म, अब क्या होगा पीपा पुल का? क्या इसे उखाड़ लिया जाएगा? जानें सही जानकारी

Peepa pull: कुंभ मेला क्षेत्र में हर साल कई तरह की अस्थायी संरचनाएं और सुविधाएं बनाई जाती हैं, जिनमें से एक प्रमुख आकर्षण पीपा पुल है। लेकिन लोगों के मन में यह बात जरूर आ रही होगी कि मेला खत्म होने के बाद इन लोहे के पुलों का क्या होगा।

01 Mar, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
10:05 AM )
मेला खत्म, अब क्या होगा पीपा पुल का? क्या इसे उखाड़ लिया जाएगा? जानें सही जानकारी
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Peepa Pull: कुंभ मेला एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 साल में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित होता है। इस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आकर स्नान करते हैं। कुंभ मेला क्षेत्र में हर साल कई तरह की अस्थायी संरचनाएं और सुविधाएं बनाई जाती हैं, जिनमें से एक प्रमुख आकर्षण पीपा पुल है। लेकिन लोगों के मन में यह बात जरूर आ रही होगी कि मेला खत्म होने के बाद इन लोहे के पुलों का क्या होगा। ये यहीं रहेंगे या फिर हटा दिया जाएगा। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से ....

पीपा पुल क्या है?

पीपा पुल एक अस्थायी पुल होता है, जिसे विशेष रूप से उस समय बनाया जाता है जब बड़ी संख्या में लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए सुरक्षा और सुविधा की आवश्यकता होती है। यह पुल विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों और मेले जैसे बड़े समारोहों के दौरान उपयोग में लाया जाता है। कुंभ मेला जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान इसे सबसे ज्यादा महत्व मिलता है, क्योंकि इसमें लाखों श्रद्धालु संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम स्थल) में स्नान करने के लिए आते हैं।

पीपा पुल का नाम क्यों पड़ा?

"पीपा" शब्द भारतीय संदर्भ में एक प्रकार के छोटा या अस्थायी पुल को संदर्भित करता है, जो आसानी से और त्वरित रूप से निर्माण किया जाता है। इस पुल को "पीपा पुल" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अस्थायी रूप से लकड़ी, धातु और अन्य हल्की सामग्री से निर्मित होता है और यह तत्काल यात्रा के लिए बनाया जाता है। इसे आमतौर पर फ्लोटिंग ब्रिज यानी तैरते हुए पुल के रूप में भी जाना जाता है, जो विशेष रूप से जल पर स्थापित किया जाता है 

पीपा पुल का महत्व

 पीपा पुल एक अस्थायी पुल है, जो विशेष रूप से कुंभ मेला के दौरान प्रयागराज में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाया जाता है। यह पुल संगम के उस पार स्थित तटों को जोड़ता है और लाखों श्रद्धालुओं को आसानी से स्नान के लिए दोनों तटों पर जाने का अवसर प्रदान करता है। इस पुल का निर्माण खासतौर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए किया जाता है, ताकि वे बिना किसी कठिनाई के नदियों के बीच यात्रा कर सकें।

इस साल कुंभ में कितने पीपा पुल लगाए गए ?

इस साल (2025) प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 30 पीपा पुल लगाए गए हैं। ये अस्थायी पुल संगम क्षेत्र और विभिन्न घाटों को जोड़ने के लिए बनाए गए हैं, ताकि लाखों श्रद्धालु आसानी से और सुरक्षित रूप से नदी पार कर सकें। कुंभ मेला के दौरान भारी भीड़ को देखते हुए पीपा पुलों का निर्माण विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये श्रद्धालुओं को जल स्तर के उतार-चढ़ाव के बावजूद एक स्थिर और सुरक्षित मार्ग प्रदान करते हैं। इन पुलों का डिजाइन फ्लोटिंग (तैरते हुए) होता है, जिससे वे पानी के स्तर के अनुसार समायोजित हो सकते हैं। इस साल, इन पुलों की संख्या को बढ़ाकर 30 कर दिया गया है, ताकि कुंभ मेला के दौरान श्रद्धालुओं को कोई भी असुविधा न हो और वे अपने धार्मिक कर्तव्यों को आसानी से पूरा कर सकें।

कुंभ मेला समाप्त होने के बाद पीपा पुल का क्या होगा ?

अस्थायी संरचना:

पीपा पुल एक अस्थायी संरचना होती है, जिसे केवल कुंभ मेला के दौरान ही इस्तेमाल किया जाता है। कुंभ मेला खत्म होते ही इस पुल को हटा दिया जाता है। इसे हटाने का मुख्य कारण यह है कि मेला क्षेत्र की अस्थायी सुविधाओं को खत्म किया जाना होता है और इनका किसी स्थायी उपयोग के लिए निर्माण नहीं किया जाता।

निर्माण सामग्री का पुन उपयोग

पीपा पुल को हटाने के बाद इसका निर्माण सामग्री पुनः उपयोग के लिए लिया जा सकता है। इन सामग्रियों का इस्तेमाल विभिन्न परियोजनाओं में किया जा सकता है या इन्हें पुनः संसाधित किया जा सकता है।

स्थायी पुल के निर्माण की संभावनाएं

कुंभ मेला के समापन के बाद पीपा पुल की जगह स्थायी पुल बनाने की चर्चा हमेशा होती रहती है, खासकर जब संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत ज्यादा होती है। हालांकि, इस तरह के स्थायी पुल के निर्माण के लिए लंबी प्रक्रिया और उचित योजना की आवश्यकता होती है।

अब जिस राज्य में महाकुंभ होने वाले हैं, उन्हें पीपा पुल क्यों भेंट किया जाना चाहिए

 प्रयागराज में कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, और यहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम है। इस दौरान भारी भीड़ के कारण अस्थायी पुलों की आवश्यकता होती है। इस साल 2025 में भी प्रयागराज में पीपा पुलों का निर्माण किया गया है। यहां 30 पीपा पुल लगाए गए हैं। इस राज्य में महाकुंभ आयोजन के लिए पीपा पुलों को भेंट किया जाना चाहिए, ताकि हर बार होने वाले इस आयोजन में श्रद्धालुओं को आसानी से और सुरक्षित रूप से संगम तक पहुंचने की सुविधा मिले।

धार्मिक और पर्यटक महत्व

कुंभ मेला के बाद, पीपा पुल का महत्व कुछ कम हो जाता है, लेकिन जब अगला कुंभ मेला होता है, तो इसे फिर से अस्थायी रूप से स्थापित किया जाता है। इसके अलावा, यह पुल स्थानीय संस्कृति और धार्मिक मान्यता का हिस्सा भी है।

पीपा पुल कुंभ मेला के दौरान श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कुंभ मेला के समापन के बाद इसका अस्थायी उपयोग समाप्त हो जाता है। यह पुल मेलार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए समय-समय पर पुनर्निर्मित किया जाता है, और इस दौरान इसे हटा दिया जाता है। भविष्य में अगर स्थायी पुल की आवश्यकता महसूस होती है, तो इसके निर्माण पर विचार हो सकता है 

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