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क्या है जीविका दीदी स्कीम? बिहार की महिलाएं कैसे उठा सकती हैं इस योजना का लाभ

जीविका दीदी योजना ने हजारों महिलाओं की ज़िंदगी को बदला है. वे अब सिर्फ घर संभालने वाली नहीं रहीं, बल्कि अपने गांव की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं. यह योजना बताती है कि अगर महिलाओं को थोड़ा साथ और सही दिशा मिले, तो वे किसी से कम नहीं हैं. जीविका दीदी बनना सिर्फ एक स्कीम से जुड़ना नहीं है, यह अपने सपनों को पूरा करने की एक नई शुरुआत है.

27 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
05:05 AM )
क्या है जीविका दीदी स्कीम? बिहार की महिलाएं कैसे उठा सकती हैं इस योजना का लाभ
Image Credit: mahila yojana

Jeevika DiDi Yojana: देश और समाज तब तक पूरी तरह आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महिलाओं को भी बराबरी का मौका न मिले. इसी सोच के साथ केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर महिलाओं के लिए खास योजनाएं लाती हैं. इन योजनाओं का मकसद होता है महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उनके जीवन को बेहतर बनाना और समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाना. बिहार सरकार की “जीविका दीदी योजना” भी इसी दिशा में एक बेहतरीन पहल है. यह सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि महिलाओं को खुद पर भरोसा करना सिखाने वाली एक मजबूत शुरुआत है.

जीविका दीदी: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह

बिहार में चल रही जीविका दीदी योजना का मकसद है कि महिलाएं सिर्फ घर तक सीमित न रहें, बल्कि अपनी पहचान खुद बनाएं. गांव-गांव में महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ती हैं और छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियों से शुरुआत करती हैं. जैसे मवेशी पालन, खेती, सिलाई, सब्ज़ी बेचने जैसे छोटे कारोबार. धीरे-धीरे यही महिलाएं जीविका दीदी बनकर और बड़ी जिम्मेदारियां निभाने लगती हैं. वे खुद के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी जोड़ती हैं, जिससे पूरे गांव की आर्थिक स्थिति सुधरती है.

वेतन नहीं, लेकिन पहचान और प्रगति ज़रूर मिलती है

इस योजना में जुड़ने वाली महिलाओं को सीधा वेतन नहीं मिलता है, क्योंकि यह नौकरी नहीं बल्कि एक सहयोगी मॉडल है. महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर आपस में मिलकर काम करती हैं और मुनाफा आपस में बांटती हैं. इस प्रक्रिया में महिलाएं ना सिर्फ पैसे कमाती हैं, बल्कि उन्हें व्यवसायिक अनुभव, आत्मविश्वास और समाज में एक नई पहचान भी मिलती है. यही असली सशक्तिकरण है जब महिलाएं खुद अपने फैसले लेने लगें.

महिलाओं को आर्थिक मदद: तीन तरह का लोन

सरकार ने जीविका दीदियों को और भी मजबूत बनाने के लिए "जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड" नाम की एक व्यवस्था बनाई है, जो एक तरह से बैंक की तरह काम करती है. इसके जरिए महिलाओं को तीन प्रकार के लोन दिए जाते हैं:

15,000 रुपये का छोटा लोन
75,000 रुपये का मध्यम लोन
2 लाख रुपये तक का बड़ा लोन

ये लोन महिलाएं अपने बिज़नेस को शुरू करने या बढ़ाने के लिए ले सकती हैं जैसे दुकान खोलना, खेती में निवेश, दूध का व्यापार आदि। लोन पर 12% सालाना ब्याज तय किया गया है, जो मार्केट के मुकाबले बहुत कम है.

किस्त चुकाने के लिए आसान समय सीमा

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि महिलाओं पर लोन का बोझ ना पड़े. इसलिए हर लोन के साथ एक समय सीमा दी गई है:

15,000 रुपये का लोन – 1 साल में चुकाना होगा
75,000 रुपये का लोन – 2 साल में
2 लाख रुपये का लोन – 3 साल में

इस समय सीमा से महिलाओं को आराम से अपनी कमाई से किस्त चुकाने का मौका मिलता है. उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक चिंता नहीं होती और वे बिना तनाव के अपने काम पर ध्यान दे सकती हैं.

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जीविका दीदी योजना ने हजारों महिलाओं की ज़िंदगी को बदला है. वे अब सिर्फ घर संभालने वाली नहीं रहीं, बल्कि अपने गांव की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं. यह योजना बताती है कि अगर महिलाओं को थोड़ा साथ और सही दिशा मिले, तो वे किसी से कम नहीं हैं. जीविका दीदी बनना सिर्फ एक स्कीम से जुड़ना नहीं है, यह अपने सपनों को पूरा करने की एक नई शुरुआत है.

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