PM-KUSUM Scheme: सोलर पंप से सिंचाई होगी और आसान, सरकार बढ़ा सकती है योजना की डेडलाइन
इस योजना में किसानों को सोलर पंप लगाने, अपनी जमीन पर छोटे सोलर प्लांट बनाने और बिजली ग्रिड से जुड़े पंपों को सोलर सिस्टम में बदलने की सुविधा दी जाती है.
Follow Us:
PM-KUSUM Scheme: यानी प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना को भारत सरकार ने साल 2019 में लॉन्च किया था. इसका मकसद था कि देश के किसानों को सस्ती और साफ (ग्रीन) सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई जाए ताकि वे खेती में बिजली या डीज़ल के महंगे खर्च से बच सकें. इस योजना में किसानों को सोलर पंप लगाने, अपनी जमीन पर छोटे सोलर प्लांट बनाने और बिजली ग्रिड से जुड़े पंपों को सोलर सिस्टम में बदलने की सुविधा दी जाती है. इससे किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, और अतिरिक्त बिजली बेचने से कमाई, दोनों फायदे मिल सकते हैं.
एक बार फिर बढ़ सकती है योजना की डेडलाइन
हाल ही में सरकार इस योजना की समयसीमा (डेडलाइन) को एक बार फिर बढ़ाने पर विचार कर रही है. पहले इस योजना का लक्ष्य था कि 2022 तक 30,800 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ दी जाए, लेकिन अब तक उसका आधा लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इसकी डेडलाइन को मार्च 2026 के बाद और आगे खिसका सकती है. अगर ऐसा होता है, तो यह दूसरी बार होगा जब इस योजना की मियाद बढ़ाई जाएगी.
पहले भी बढ़ चुकी है डेडलाइन
दरअसल, योजना की प्रगति पहले भी धीमी रही थी, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान. इसी वजह से सरकार ने पहले इसकी डेडलाइन 2022 से बढ़ाकर मार्च 2026 कर दी थी. साथ ही, अब इसका लक्ष्य भी बढ़ाकर 34,800 मेगावाट कर दिया गया है. लेकिन फिर भी योजना के तीनों मुख्य हिस्से (कंपोनेंट्स) अपने-अपने टारगेट से पीछे चल रहे हैं.
तीन हिस्सों में बंटी है योजना
PM-KUSUM योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है:
कंपोनेंट-A: किसानों की जमीन पर 10,000 मेगावाट तक छोटे सोलर पावर प्लांट लगाना.
कंपोनेंट-B: 14 लाख ऑफ-ग्रिड सोलर पंप लगाना, ताकि खेतों में सिंचाई के लिए डीज़ल की ज़रूरत न पड़े.
कंपोनेंट-C: 35 लाख बिजली (ग्रिड) से जुड़े पंपों को सोलर पावर पर चलाने लायक बनाना.
अब तक कितना हुआ काम?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तीनों में से किसी भी कंपोनेंट ने अभी तक 100% लक्ष्य हासिल नहीं किया है.
कंपोनेंट-A: अब तक सिर्फ 650 मेगावाट सौर क्षमता लगाई गई है, जबकि लक्ष्य 10,000 मेगावाट का है.
कंपोनेंट-B: 14 लाख सोलर पंप्स में से 9 लाख से ज्यादा पंप लगाए जा चुके हैं यानी करीब 71% लक्ष्य पूरा हुआ है.
कंपोनेंट-C: इसमें भी अब तक की उपलब्धि सिर्फ 16.5% से 25.5% के बीच रही है.
किन राज्यों में प्रगति बेहद कम रही?
- कुछ राज्यों में योजना की प्रगति बहुत ही कमजोर रही है.
- कंपोनेंट-A के तहत तेलंगाना, त्रिपुरा, ओडिशा, गुजरात और असम जैसे राज्यों ने अब तक एक भी सोलर प्लांट नहीं लगाया.
- उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने भी सिर्फ 1 से 7 मेगावाट तक ही इंस्टॉलेशन किया है.
- वहीं, कंपोनेंट-B के तहत अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी और तेलंगाना में अब तक एक भी सोलर पंप नहीं लगाया गया है.
किसानों को क्या फायदा देता है PM-KUSUM?
इस योजना के जरिए किसान अब महंगी बिजली या डीज़ल की जगह सौर ऊर्जा से सिंचाई कर सकते हैं. इससे उनकी खेती की लागत काफी कम हो जाती है. साथ ही, अगर किसान अपने खेत में सोलर प्लांट लगाते हैं तो वे बिजली ग्रिड को अतिरिक्त बिजली बेचकर कमाई भी कर सकते हैं. इससे उन्हें दूसरी आमदनी का जरिया भी मिल जाता है. ये तरीका न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा पहुंचाता है.
इस योजना का लाभ कैसे उठाएं?
अगर कोई किसान इस योजना का फायदा लेना चाहता है तो उसे अपने राज्य की रिन्यूएबल एनर्जी डिपार्टमेंट या बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा,कई राज्यों में इसके लिए ब्लॉक या जिले स्तर पर नोडल एजेंसियां भी बनाई गई हैं, जहां जाकर जानकारी और सहायता ली जा सकती है.
आगे क्या हो सकता है?
यह भी पढ़ें
अब जब सरकार दूसरी बार योजना की डेडलाइन बढ़ाने पर विचार कर रही है, तो जाहिर है कि प्रगति की रफ्तार धीमी है. हालांकि, सरकार की मंशा सही है और अगर अधिकारियों, राज्यों और किसानों के बीच बेहतर समन्वय बनता है, तो ये योजना किसानों की जिंदगी बदल सकती है.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें