मिजोरम को मिला रेलवे कनेक्टिविटी का तोहफा: बैराबी-सैरांग रेल लाइन बनकर तैयार
बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का निर्माण न सिर्फ मिजोरम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए विकास, एकीकरण और समृद्धि का प्रतीक है. इस प्रोजेक्ट से न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास, व्यापार और पर्यटन को भी नया आयाम देगा। मिजोरम अब भारतीय रेलवे के उस विशाल नेटवर्क का हिस्सा बन गया है, जो देश के हर कोने को एक-दूसरे से जोड़ता है.
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Bairabi-Sairang railway line is ready: पूर्वोत्तर भारत के विकास में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में मिजोरम को अब भारतीय रेलवे नेटवर्क से पूर्ण रूप से जोड़ा जा चुका है. लगभग 11 वर्षों की मेहनत और कठिन परिश्रम के बाद बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन बनकर तैयार हो चुकी है. यह रेल लाइन मिजोरम को असम के सिलचर और गुवाहाटी जैसे बड़े शहरों से जोड़ती है, जिससे राज्य की राजधानी आइजोल तक पहुंचना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा.
दुर्गम इलाकों में बना यह प्रोजेक्ट रेलवे की इंजीनियरिंग क्षमता का उदाहरण
इस परियोजना को भारतीय रेलवे के सबसे कठिन प्रोजेक्ट्स में से एक माना जा रहा है. प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर विनोद कुमार के अनुसार, मिजोरम का भौगोलिक और मौसमी परिदृश्य बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। यहां वर्किंग सीजन सिर्फ चार महीने का होता है क्योंकि अधिकतर समय वर्षा और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक समस्याएं निर्माण कार्य में बाधा डालती हैं. इसके बावजूद भारतीय इंजीनियरों और कामगारों ने इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाया.
चार नए स्टेशन और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
51.38 किलोमीटर लंबी इस रेलवे लाइन के अंतर्गत चार नए रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं हॉर्टोकी, कौनपुई, मुलखांग और सैरांग। इन स्टेशनों से अब यात्री और मालवाहक गाड़ियाँ सीधे आइजोल तक पहुँच सकेंगी. इस रेलवे ट्रैक में 48 सुरंगें (टनल्स) हैं, जिनकी कुल लंबाई 12,853 मीटर है. इसके साथ ही 142 स्टील ब्रिज बनाए गए हैं, जो इस मार्ग को इंजीनियरिंग की दृष्टि से अत्यंत विशेष बनाते हैं.
सफर होगा पहले से आसान और कम समय में पूरा
इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी सुधार होगा। पहले सिलचर से आइजोल पहुंचने में कम से कम 8 घंटे का समय लगता था, लेकिन अब यह यात्रा मात्र 3 घंटे में पूरी की जा सकेगी. वहीं, गुवाहाटी से आइजोल सड़क मार्ग से लगभग 14 से 18 घंटे में पहुँचना होता था, जिसे ट्रेन के माध्यम से 12 घंटे में तय किया जा सकेगा.
आर्थिक और पर्यटन विकास को मिलेगा बल
यह रेलवे लाइन केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि मिजोरम के आर्थिक विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी. अब माल ढुलाई आसान हो जाएगी, कृषि और छोटे उद्योगों को बड़े बाजारों तक पहुंच मिलेगी। साथ ही मिजोरम की सुरम्य वादियों और सांस्कृतिक धरोहरों तक रेल के माध्यम से पहुंच आसान हो जाएगी, जिससे पर्यटन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा.
प्रधानमंत्री जल्द करेंगे उद्घाटन, 2014 में रखी गई थी आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जल्द ही इस रेलवे लाइन का उद्घाटन किया जाएगा। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट की आधारशिला 29 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने ही रखी थी. यह परियोजना अब करीब 5,021.45 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हो चुकी है और देश के लिए एक नया कीर्तिमान बन चुकी है.
निष्कर्ष: पूर्वोत्तर के विकास की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि
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बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का निर्माण न सिर्फ मिजोरम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए विकास, एकीकरण और समृद्धि का प्रतीक है. इस प्रोजेक्ट से न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास, व्यापार और पर्यटन को भी नया आयाम देगा। मिजोरम अब भारतीय रेलवे के उस विशाल नेटवर्क का हिस्सा बन गया है, जो देश के हर कोने को एक-दूसरे से जोड़ता है.
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