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Animal Feeding Law: सड़क पर जानवरों को खाना खिलाना पड़ सकता है भारी, क्या हो सकती है सजा?

आवारा जानवरों को खाना खिलाना दयालुता का काम है, लेकिन यह तभी तक ठीक है जब तक इससे दूसरों की सुरक्षा और सुविधा पर असर न पड़े. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ कर दिया है कि हर सार्वजनिक जगह पर जानवरों को खाना देना सही नहीं है. हमें दूसरों की भी सोचनी चाहिए.

Image Credit: Animals

Animal Feeding Law: अक्सर हम अपने आसपास के मोहल्लों, गलियों या पार्कों में रहने वाले आवारा कुत्तों और जानवरों को खाना देते हुए देखते हैं. इंसानियत के नजरिए से यह एक अच्छी और दयालु सोच है. आखिर ये जानवर बेघर होते हैं, और खाना-पानी के लिए लोगों की दया पर ही निर्भर रहते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह दया दूसरों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है? कभी-कभी यह दूसरों के लिए खतरा भी बन जाती है. इसी मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चर्चा हो चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका आई थी, जिसमें एक व्यक्ति ने कहा कि उसके मोहल्ले में कुछ लोग आवारा कुत्तों को सड़क पर खाना खिलाते हैं, जिससे उसे और बाकी लोगों को बहुत दिक्कत होती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने साफ कहा कि अगर किसी को आवारा कुत्तों को खाना ही खिलाना है, तो वे अपने घर में ही ऐसा करें.

जजों ने सवाल उठाया कि - 

"क्या हर गली और सड़क सिर्फ इन दयालु लोगों के लिए छोड़ दी जाए? इंसानों की सुरक्षा और सुविधा का क्या?"

कोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर किसी को बहुत लगाव है तो वो अपने घर में इन जानवरों के लिए शेल्टर (आश्रय स्थल) बना ले और वहीं खाना दे.

आवारा जानवरों का आतंक और हमले

देश के कई हिस्सों से यह खबरें आती रहती हैं कि आवारा कुत्तों ने बच्चों, बुजुर्गों या राहगीरों पर हमला कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सड़क पर खाना खिलाना इन जानवरों को और आक्रामक बना रहा है? दरअसल, जब किसी जगह पर रोजाना खाना दिया जाता है, तो जानवर उस जगह पर जम जाते हैं और दूसरे लोगों पर झुंड में हमला भी कर सकते हैं. इससे लोगों की जान पर भी बन आती है, और खासकर छोटे बच्चों और महिलाओं के लिए यह बहुत बड़ा खतरा हो सकता है.

कानून क्या कहता है?

भारत में आवारा जानवरों को खाना खिलाना गैरकानूनी नहीं है. यानी आप चाहें तो उन्हें खाना दे सकते हैं. लेकिन अगर इससे किसी को नुकसान या खतरा हो रहा है, जैसे:

  • पब्लिक जगहों पर असुरक्षा फैल रही है,
  • गंदगी हो रही है,
  • लोग डर की वजह से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं,
  • तो प्रशासन या कोर्ट ऐसे मामलों में कार्रवाई कर सकता है.

जो लोग खाना खिला रहे हैं, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि जानवरों को ऐसी जगह खाना दें, जहां दूसरों को परेशानी न हो. यदि किसी की गलती से जानवर ने किसी पर हमला कर दिया तो खाना खिलाने वाले को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

घर में बनाएं शेल्टर

अगर किसी को जानवरों से सच्चा प्यार है और वे वाकई उनकी मदद करना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा तरीका है कि वे अपने घर में या किसी सुरक्षित निजी जगह पर शेल्टर बनाएं और वहीं उन्हें खाना दें. इससे:

  • जानवर भी सुरक्षित रहेंगे,
  • लोगों को भी परेशानी नहीं होगी,
  • और समाज में सामंजस्य बना रहेगा.

आवारा जानवरों को खाना खिलाना दयालुता का काम है, लेकिन यह तभी तक ठीक है जब तक इससे दूसरों की सुरक्षा और सुविधा पर असर न पड़े. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह साफ कर दिया है कि हर सार्वजनिक जगह पर जानवरों को खाना देना सही नहीं है. हमें दूसरों की भी सोचनी चाहिए.

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