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युद्ध के बीच में भी खाते में आता है सरकारी योजनाओं का पैसा? जानिए नियम

सरकार युद्ध के दौरान भी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि जनता को ज़रूरी सहायता मिलती रहे, ताकि नागरिकों में असंतोष न फैले और देश की आंतरिक स्थिरता बनी रहे.

12 May, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
11:26 PM )
युद्ध के बीच में भी खाते में आता है सरकारी योजनाओं का पैसा? जानिए नियम
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Operation Sindoor: युद्ध जैसी स्थिति में सरकार की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. ऐसे समय में राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य आपूर्ति, राहत कार्य, और नागरिक सुरक्षा पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं होता कि सभी सरकारी योजनाएं बंद कर दी जाती हैं. खासकर वे योजनाएं जो सीधे आम जनता के जीवन से जुड़ी होती हैं – जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, और उज्ज्वला योजना – उन्हें यथासंभव जारी रखने का प्रयास किया जाता है.सरकार युद्ध के दौरान भी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि जनता को ज़रूरी सहायता मिलती रहे, ताकि नागरिकों में असंतोष न फैले और देश की आंतरिक स्थिरता बनी रहे.

योजनाओं के फंडिंग में रुकावटें

हालांकि योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी तरह बंद नहीं होता, लेकिन युद्ध की स्थिति में फंडिंग और वितरण में कई व्यावहारिक बाधाएं आती हैं. युद्धकाल में सरकार का बड़ा हिस्सा रक्षा बजट की ओर मोड़ दिया जाता है. इससे कुछ योजनाओं को मिलने वाला पैसा देर से मिल सकता है या अस्थायी रूप से कम हो सकता है. इसके अलावा, युद्ध क्षेत्र में बैंकिंग सेवाएं, इंटरनेट कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स प्रभावित हो जाती हैं, जिससे लाभार्थियों तक पैसे का पहुँचना मुश्किल हो सकता है.

 डिजिटल और DBT (Direct Benefit Transfer) का महत्व

आजकल अधिकांश सरकारी योजनाएं Direct Benefit Transfer (DBT) प्रणाली से जुड़ी हैं, जिससे लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे पैसा भेजा जाता है. यह प्रणाली युद्ध जैसे हालात में भी अपेक्षाकृत कारगर रहती है, बशर्ते बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर चालू हो और नेटवर्क सेवाएं उपलब्ध हों. युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में इन सेवाओं की बहाली और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है.

आपातकालीन प्रबंधन और विशेष राहत पैकेज

युद्ध के दौरान सरकार विशेष राहत पैकेज की भी घोषणा कर सकती है. यह उन लोगों के लिए होता है जो युद्ध के कारण विस्थापित हुए हों, या जिनकी आजीविका पर प्रभाव पड़ा हो. ऐसे में न केवल नियमित योजनाएं जारी रखने की कोशिश की जाती है, बल्कि अतिरिक्त सहायता भी दी जाती है, जैसे फ्री राशन, अस्थायी आवास और विशेष आर्थिक सहायता.

प्रशासनिक और जमीनी अड़चनें

हालांकि केंद्र सरकार योजनाएं जारी रखने का आदेश देती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रशासन को युद्ध की वजह से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कर्मचारी युद्ध सेवा में तैनात हो सकते हैं, परिवहन अवरुद्ध हो सकता है, या क्षेत्र विशेष में कर्फ्यू जैसी स्थिति हो सकती है. ऐसे में योजनाओं का वितरण प्रभावित हो सकता है, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होता.

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योजनाएं चलती रहती हैं, लेकिन बाधाओं के साथ

इस प्रकार, युद्ध जैसे हालात में भी सरकारी योजनाएं पूरी तरह बंद नहीं होतीं. सरकार की कोशिश होती है कि नागरिकों को न्यूनतम स्तर पर ही सही, लेकिन सहायता मिलती रहे. हालांकि, इस दौरान वितरण की प्रक्रिया में देरी, तकनीकी समस्याएं और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियां जरूर सामने आती हैं.

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