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जनगणना में गलती से भी न दें झूठा जवाब, लग सकता है 1000 रुपये का जुर्माना और जेल!

Census 2027: जनगणना एक ऐसा मौका होता है जब हर नागरिक की भागीदारी मायने रखती है. आपकी सही जानकारी से सरकार सही योजनाएं बना सकती है और आपके ही इलाके में सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं. इसलिए जब भी कोई जनगणना अधिकारी आपसे जानकारी मांगे, तो उसे पूरे सच और सही ढंग से बताएं. एक छोटी सी गलती भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है.

10 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:58 AM )
जनगणना में गलती से भी न दें झूठा जवाब, लग सकता है 1000 रुपये का जुर्माना और जेल!
Image Credit: Census

Census 2027: भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. ऐसे में यहां जनगणना यानी आबादी की गिनती बेहद जरूरी हो जाती है. जनगणना कोई सिर्फ नंबर गिनने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इससे सरकार को यह जानने में मदद मिलती है कि कहां स्कूल चाहिए, कहां अस्पताल, और किन इलाकों में बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाएं बढ़ानी हैं. यानी जनगणना देश की योजनाओं और विकास की नींव होती है.

2011 के बाद अब 2027 में होगी अगली जनगणना

भारत में पिछली जनगणना साल 2011 में हुई थी. इसके बाद 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया. अब सरकार 2027 में अगली जनगणना करने जा रही है और इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इस बार जनगणना की प्रक्रिया में तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा और मोबाइल ऐप्स या डिजिटल फॉर्म्स के जरिए जानकारी जुटाई जाएग.

गलत जानकारी देना है कानूनन अपराध

अगर जनगणना के दौरान आपसे कोई जानकारी पूछी जाती है और आप जानबूझकर उसमें गलत जवाब देते हैं, तो यह केवल लापरवाही नहीं, एक कानूनी अपराध माना जाएगा। कई लोग सोचते हैं कि इससे क्या फर्क पड़ेगा, लेकिन असल में इससे सरकारी नीतियों और योजनाओं में गड़बड़ हो सकती है, जिससे हज़ारों-लाखों लोगों को नुकसान हो सकता है.

क्या हो सकती है सजा?

अगर आप जनगणना में गलत या अधूरी जानकारी देते हैं, या फिर जानकारी देने से इनकार करते हैं, तो आपको 6 महीने की जेल, 1000 रुपये का जुर्माना, या फिर दोनों सजा हो सकती है. ये सजा जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत तय की गई है. इसका मतलब है कि जनगणना में भाग न लेना या झूठ बोलना मस्ती का काम नहीं, बल्कि गंभीर अपराध है.

जानकारी गोपनीय रखी जाती है

बहुत से लोगों को लगता है कि जनगणना की जानकारी कहीं और इस्तेमाल हो सकती है, जैसे टैक्स डिपार्टमेंट या कोर्ट में. लेकिन ऐसा नहीं है. जनगणना के दौरान दी गई जानकारी पूरी तरह से गोपनीय (कॉन्फिडेंशियल) रखी जाती है और इसे सिर्फ आंकड़ों के विश्लेषण के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है. किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था को आपकी जानकारी नहीं दी जाती.

सरकारी कर्मचारी भी नहीं बच सकते

अगर कोई सरकारी कर्मचारी, जो जनगणना में काम कर रहा है, वो लापरवाही करता है या गलत एंट्री करता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है. यानी यह जिम्मेदारी सिर्फ आम जनता की ही नहीं, बल्कि सरकार के कर्मचारियों की भी है कि जनगणना की प्रक्रिया पूरी ईमानदारी से हो.

जनगणना देश के विकास का आधार है

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जनगणना एक ऐसा मौका होता है जब हर नागरिक की भागीदारी मायने रखती है. आपकी सही जानकारी से सरकार सही योजनाएं बना सकती है और आपके ही इलाके में सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं. इसलिए जब भी कोई जनगणना अधिकारी आपसे जानकारी मांगे, तो उसे पूरे सच और सही ढंग से बताएं. एक छोटी सी गलती भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है.

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