UPI ट्रांजैक्शन फीस पर मचा बवाल, सरकार ने दी सफाई -‘फ्री रहेगा डिजिटल पेमेंट’
सरकार की इस घोषणा से साफ है कि आने वाले समय में यूपीआई पर किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन शुल्क नहीं लगेगा. इससे डिजिटल भुगतान को और भी बढ़ावा मिलेगा और आम लोगों के लिए यह सिस्टम किफायती व भरोसेमंद बना रहेगा
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UPI Payment: डिजिटल पेमेंट को लेकर पिछले कुछ समय से लोगों में यह चिंता बनी हुई थी कि क्या यूपीआई (UPI) लेनदेन पर कोई चार्ज लगेगा? लेकिन अब केंद्र सरकार ने सफाई दी है कि यूपीआई आधारित ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का शुल्क लगाने का कोई इरादा नहीं है...
क्या है सरकार का कहना?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए की जाने वाली डिजिटल पेमेंट पर कोई ट्रांजैक्शन फीस नहीं लेगी. उन्होंने ये भी बताया कि बैंकों या पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स को यह अनुमति नहीं है कि वे UPI या रुपे कार्ड से पेमेंट करने वालों से कोई फीस वसूलें.
कानूनी आधार भी साफ है
यह प्रावधान भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 10A में दर्ज है. इसके तहत, कोई भी बैंक या सिस्टम प्रोवाइडर आयकर अधिनियम की धारा 269SU के अंतर्गत बताए गए इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट तरीकों पर ग्राहकों से कोई चार्ज नहीं वसूल सकता. सरकार की तरफ से UPI और RuPay डेबिट कार्ड को अधिसूचित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यम घोषित किया गया है, जिससे इन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.
UPI को बढ़ावा देने के लिए मिल रही है सरकारी मदद
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक UPI सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए एक प्रोत्साहन योजना (Incentive Scheme) भी चलाई है. इसके तहत सरकार ने अब तक करीब ₹8,730 करोड़ रुपये का सहयोग दिया है, ताकि UPI सेवाएं निर्बाध रूप से चल सकें.
UPI ट्रांजैक्शन में हुआ जबरदस्त इजाफा
UPI का इस्तेमाल भारत में तेजी से बढ़ा है. कुछ आंकड़े:
- 2017-18 में UPI से करीब 92 करोड़ लेनदेन हुए थे.
- 2024-25 में ये आंकड़ा बढ़कर 18,587 करोड़ ट्रांजैक्शन तक पहुंच गया है.
- लेनदेन की मूल्य (Value) भी 1.10 लाख करोड़ से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये हो गई है.
- सिर्फ जुलाई 2025 की बात करें तो, 1.94 अरब (1,946.79 करोड़) से ज्यादा UPI लेनदेन रिकॉर्ड किए गए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
डिजिटल इंडिया की ओर तेज़ी से बढ़ते कदम
सरकार ने बताया कि देश में डिजिटल भुगतान की संख्या 2017-18 में 2,071 करोड़ थी, जो अब 2024-25 में बढ़कर 22,831 करोड़ हो गई है. यानी सालाना 41% की रफ्तार से डिजिटल पेमेंट का ग्राफ ऊपर जा रहा है. इसी तरह, डिजिटल पेमेंट वैल्यू भी 1,962 लाख करोड़ से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
केंद्र सरकार ने दी सफाई
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यूपीआई ने देश में भुगतान प्रणाली को आसान और सुलभ बना दिया है. इससे न सिर्फ आम लोगों को फायदा हुआ है, बल्कि छोटे दुकानदारों, किसानों, मजदूरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी डिजिटल पेमेंट की पहुँच बनी है. इसी के चलते भारत आज दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल भुगतान बाजारों में शामिल हो गया है. कुल मिलाकर, सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में यूपीआई डिजिटल इंडिया की रीढ़ बना रहेगा और देश में आर्थिक पारदर्शिता व वित्तीय समावेशन को और मजबूत करेगा.
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