दिल्ली में ईडब्ल्यूएस इलाज योजना बनी धोखाधड़ी का जरिया, सीएम ऑफिस के फर्जी लेटरहेड से जारी किए जा रहे थे पत्र
दिल्ली में सीएम ऑफिस के लेटरहेड से जाली पत्र बनाकर ईडब्ल्यूएस स्कीम के तहत मुफ्त इलाज के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और फर्जीवाड़े की पूरी चेन खंगाली जा रही है.
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दिल्ली पुलिस ने अपराध के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज करते हुए दो अलग-अलग मामलों में बड़ी सफलता हासिल की है. एक ओर जहां एक चालाक जालसाज को मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक लेटर हेड पर फर्जी पत्र बनाकर गरीब मरीजों को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, वहीं दूसरी ओर नजफगढ़ के एक घोषित अपराधी को लंबे समय से चल रही तलाश के बाद दबोच लिया गया. ये कार्रवाइयां न केवल धोखाधड़ी और अपराध की जड़ों पर प्रहार हैं, बल्कि राजधानी में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी साबित हो रही हैं.
आइए जानते हैं इन दोनों मामलों की पूरी कहानी.
अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी
अस्पतालों को फोन से धमकाने वाला जालसाजआरोपी खुद को CMO अधिकारी बताता था. फर्जी पहचान से अस्पताल अधिकारियों को फोन करता. मोटरसाइकिल पर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर घूमता. पुलिस आगे जांच में जुटी. नजफगढ़ में जाल बिछाकर पकड़ा बदमाश31 अक्टूबर को लोकेशन मिली. टीम ने नजफगढ़ के पास जाल बिछाया. पूछताछ में तीन साथियों संग प्लॉट कब्जा और चोरी कबूली. ठिकाने बदलकर बचने की कोशिश नाकाम.
समाज के लिए खतरा बने अपराधी पकड़े गए
मुफ्त इलाज के नाम पर ठगी की साजिशकमजोर लोग जो निजी अस्पतालों का खर्च न उठा सकें, उन्हें फर्जी पत्र देकर ललचाता. ईडब्ल्यूएस श्रेणी का दुरुपयोग. पुलिस ने साजिश का पर्दाफाश किया. फरार अपराधी का कानूनी सिस्टम से भिड़नाजमानत पर रिहा होने के बाद छिपा. गिरफ्तारी से बचने को ठिकाने बदले. नजफगढ़ थाने के पुराने केस में संलिप्तता स्वीकार. अब सजा का सामना करेगा.
दिल्ली में कानून व्यवस्था मजबूत हो रही
फर्जी दस्तावेजों की बरामदगी से सनसनीमुख्यमंत्री कार्यालय के लेटर हेड पर कई पत्र जब्त. जालसाज की कार्यप्रणाली उजागर. अस्पतालों में फर्जी पहचान से दबाव बनाता. जांच में नया खुलासा. अपराध नियंत्रण में पुलिस की भूमिकालोकेशन ट्रैकिंग से 31 अक्टूबर को कार्रवाई. द्वारका कोर्ट के फैसले के बाद फरार. अवैध कब्जे पर सख्ती. नागरिकों में सुरक्षा का अहसास.
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लगातार पूछताछ के दौरान आरोपी ने नजफगढ़ थाने में अवैध अतिक्रमण और चोरी के मामले में अपनी संलिप्तता का खुलासा किया. 2014 में उसने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर नजफगढ़ स्थित एक प्लॉट पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और उस प्लॉट से कुछ सामान भी चुरा लिया. इस मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद, आरोपी छिप गया और गिरफ्तारी से बचने व कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए बार-बार अपना ठिकाना बदलता रहा.
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