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योगी सरकार की नई पहल, अब कोई बच्चा नहीं रहेगा स्कूल से दूर, शुरू किया पढ़ाई से जोड़ने का बड़ा अभियान

CM Yogi: पूरे प्रदेश में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, ताकि सभी बच्चों को जल्द से जल्द स्कूलों से जोड़ा जा सके और उनका भविष्य सुरक्षित बनाया जा सके.

08 Dec, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
10:27 AM )
योगी सरकार की नई पहल, अब कोई बच्चा नहीं रहेगा स्कूल से दूर, शुरू किया पढ़ाई से जोड़ने का बड़ा अभियान
Image Source: Social Media

Zero Poverty Portal: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और बेहद महत्वपूर्ण मिशन शुरू किया है, जिसका मकसद है, 4.92 लाख ऐसे बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ना, जो किसी न किसी वजह से पढ़ाई से दूर हो गए थे या जिनका नामांकन ही नहीं हो पाया था. ये बच्चे 6 से 14 साल की उम्र के हैं और अभी तक उन्हें DBT यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का लाभ नहीं मिल पाया था. सरकार का साफ कहना है कि प्रदेश में कोई भी बच्चा सिर्फ दस्तावेजों की कमी, बैंक खाते की दिक्कत या नामांकन न होने की वजह से सरकारी सुविधा से वंचित नहीं रहना चाहिए. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए पूरे प्रदेश में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, ताकि सभी बच्चों को जल्द से जल्द स्कूलों से जोड़ा जा सके और उनका भविष्य सुरक्षित बनाया जा सके.

बच्चों की पहचान कैसे हुई और समस्या क्या थी?


सरकार ने उन बच्चों को पहचानने के लिए “जीरो पॉवर्टी पोर्टल” का सहारा लिया. इस पोर्टल के डेटा से यह सामने आया कि हजारों बच्चों के परिवारों के बैंक खाते आधार से जुड़े नहीं हैं, या बच्चों के जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं हैं.इसी वजह से DBT का पैसा उनके खाते तक पहुंच ही नहीं पाया. कई बच्चे ऐसे भी पाए गए जो स्कूल में कभी नामांकित ही नहीं हुए, जबकि कुछ पढ़ाई बीच में छोड़ चुके थे. इन सभी कारणों से बड़ी संख्या में बच्चे उन सुविधाओं से दूर रह गए, जिन्हें सरकार खास तौर पर बच्चों की पढ़ाई और जरूरतों को ध्यान में रखकर देती है. अब सरकार का पूरा फोकस इन बच्चों तक पहुंच बनाना, उनकी वास्तविक स्थिति जानना और उन्हें तुरंत स्कूल व DBT से जोड़ना है.

यह अभियान क्यों है इतना खास?


यह अभियान सिर्फ पैसों के हस्तांतरण का काम नहीं है, बल्कि यह उन बच्चों के भविष्य को फिर से सही दिशा देने का मिशन है जिनकी शिक्षा किसी छोटी-मोटी परेशानी की वजह से रुकी हुई थी. पहली बार ऐसे सभी बच्चों की सीधी पहचान हो गई है, जिससे अब कोई बच्चा सिस्टम से छूटेगा नहीं. सरकार चाहती है कि आर्थिक कमजोर परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान न हों. DM (जिलाधिकारी) और BSA (बेसिक शिक्षा अधिकारी) को इस अभियान में सीधे जिम्मेदारी दी गई है, जिससे काम तेज भी होगा और इसकी जवाबदेही भी तय रहेग. यह मिशन आने वाले समय में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगा.

बच्चों को क्या-क्या मिलेगा फायदा

इस अभियान से बच्चों को कई तरह के लाभ मिलेंगे. सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, बैग, स्वेटर और स्टेशनरी के लिए मिलने वाला DBT समय पर मिल पाएगा. जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे, वे दोबारा स्कूल से जुड़ेंगे और पढ़ाई का सिलसिला फिर से शुरू कर सकेंगे. इससे गरीब परिवारों का खर्च भी कम होगा, क्योंकि पढ़ाई से जुड़े कई खर्चे अब सरकार वहन करेगी. आने वाले समय में बच्चों का स्कूलों में नामांकन भी बढ़ेगा और उनकी उपस्थिति भी बेहतर होगी. कुल मिलाकर, यह अभियान बच्चों की पढ़ाई, सुरक्षा और भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.

DM और BSA को सौंपी गई अहम जिम्मेदारियाँ


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इस मिशन को जमीन पर सफल बनाने के लिए DM और BSA को बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी गई हैं. उन्हें जिले में ऐसे सभी बच्चों की सटीक सूची तैयार करानी होगी और टीमों के माध्यम से गांवों और मोहल्लों में जाकर सत्यापन करवाना होगा.  इसके बाद बच्चों का नजदीकी सरकारी स्कूल में नामांकन कराया जाएगा. जिन बच्चों के दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता या अन्य जरूरी कागज अधूरे हैं, उन्हें तुरंत पूरा करवाया जाएगा. साथ ही वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि DBT का पैसा बिना देरी के बच्चों के खाते में पहुंच जाए, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो.

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