CM योगी का बड़ा कदम, 500 करोड़ में बनेगी प्रदेश की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी, 125 एकड़ में होगा सुपर कैंपस
CM Yogi: इस विश्वविद्यालय को बनाने में लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत आएगी और जल्द ही इसे कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
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UP First Forest University: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गोरखपुर के कैंपियरगंज में प्रदेश का पहला वानिकी विश्वविद्यालय बनाया जाएगा.
इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने करीब एक साल पहले की थी, और अब इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) फाइनल हो चुकी है. इस विश्वविद्यालय को बनाने में लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत आएगी और जल्द ही इसे कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
विश्वविद्यालय की रूपरेखा और स्थान
यह विश्वविद्यालय लगभग 125 एकड़ में फैलेगा. इसे जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के पास बनाना प्रस्तावित किया गया है. विश्वविद्यालय में वानिकी (फारेस्ट्री), कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी और औद्यानिकी (हार्टिकल्चर) जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे. यहां विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा कोर्स भी चलेंगे. विश्वविद्यालय में 500 कमरों वाला छात्रावास, प्रशासनिक भवन, क्लासरूम, ऑडिटोरियम, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं और खेल का मैदान बनाया जाएगा. साथ ही शिक्षकों के लिए आवास का भी प्रबंध होगा.
शिक्षा और शोध के अवसर
इस विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश में जैव-तकनीक और वन्य जीवन के संरक्षण पर शोध को नया impulso मिलेगा. विद्यार्थी यहां पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन, उद्यानिकी और वानिकी के क्षेत्र में शिक्षण और प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. विश्वविद्यालय में किया गया शोध न केवल प्रदेश के लिए बल्कि देश और विदेश से आने वाले छात्रों के लिए भी उपयोगी होगा. इससे वन्यजीवों और उनके संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सटीक और वैज्ञानिक अध्ययन संभव होगा.
निर्माण और कार्य की प्रक्रिया
डीपीआर को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद विश्वविद्यालय का टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी और निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा. इस विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाएं और शिक्षकों के लिए आवास सुनिश्चित किए जाएंगे, ताकि शिक्षा का स्तर ऊँचा और शोध गतिविधियां प्रभावशाली हों.
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इस विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश में उच्च शिक्षा का स्तर, वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण में शोध, और वन्य संसाधनों के सही प्रबंधन के लिए नई दिशा मिलेगी. यह परियोजना प्रदेश के शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होने वाली है .
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