PM-CM हटाने वाले बिल पर कांग्रेस ने लिया U-Turn! सहयोगी दलों के दबाव में झुकी पार्टी, बिहार चुनाव से पहले हुआ खेल
बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सभी दलों को इकट्ठा कर आम सहमति बनाते हुए पीएम-सीएम को हटाने संबंधी 130वें संविधान संशोधन बिल समेत 3 तीन विधेयकों पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के बहिष्कार का फैसला किया है.
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बिहार चुनाव को लेकर पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुट चुकी है. बता दें कि महागठबंधन की मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में बिहार चुनाव में भूमिका निभा रही कांग्रेस ने अपने पुराने रुख में बड़ा बदलाव किया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने महागठबंधन के अंदर अपने साथी दलों के बीच सहमति बनाते हुए पीएम-सीएम को हटाने संबंधी 130वें संविधान संशोधन बिल सहित तीन विधयकों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है.
बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का बड़ा फैसला
बता दें कि बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सभी दलों को इकट्ठा कर आम सहमति बनाते हुए पीएम-सीएम को हटाने संबंधी 130वें संविधान संशोधन बिल समेत 3 तीन विधेयकों पर बनी संयुक्त संसदीय समिति का बहिष्कार का फैसला किया है. जानकारी के लिए बता दें कि यह वही बिल है, जिसे कुछ महीने पहले केंद्र सरकार की तरफ से पास कर दिया गया है. इस बिल में प्रावधान है कि 30 दिनों की जेल की सजा काट रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को अपने आप बर्खास्त कर दिया जाएगा.
बाहर रहने के फैसले से हिचकिचा रही थी
दरअसल, कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार का ठप्पा लगाए जाने के डर से अब तक JPC से बाहर रहने के फैसले से हिचकिचा रही थी. कांग्रेस पार्टी का यह फैसला उस दौरान आया है, जब तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप और शिवसेना द्वारा JPC के बहिष्कार की घोषणा की गई है. इन सब के अलावा दूसरे प्रमुख विपक्षी दल डीएमके, एनसीपी और वाम दलों की भी JPC में भागीदारी संदिग्ध है.
पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट हुआ
कांग्रेस पार्टी के फैसले से एक संभावना पैदा हुई है कि अब पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट हो गया है, जिसके चलते सभी मिलकर JPC का बहिष्कार करने जा रहे हैं. जानकारी के लिए बता दें कि मॉनसून सत्र के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को संसद में पेश किया था, जिसे बाद में सदन द्वारा संयुक्त संसदीय समिति को जांच के लिए भेज दिया गया था.
JPC मामले पर क्या कह रही कांग्रेस?
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने एक मुख्य अखबार की रिपोर्ट में बताया है कि 'पार्टी ने JPC से दूर रहने का औपचारिक फैसला ले लिया है और जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष को इस बारे में सूचित किया जाएगा. वहीं इससे पहले कांग्रेस इस तर्क के साथ JPC में शामिल होने को तैयार हुई थी कि सरकार को इस समिति में मनमानी करने की पूरी छूट नहीं दी जा सकती है, लेकिन विचार-विमर्श के बाद अब विपक्षी एकता भारी पड़ रही है, जिसके चलते अब कांग्रेस ने उन चारों दलों का साथ देने का फैसला किया, जो पहले ही दिन से इस JPC विधेयक का बहिष्कार कर रहे थे.
पार्टी की तरफ से पहले ही मिल चुका था संकेत
महागठबंधन की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से पहले इस बात का संकेत मिल गया था कि वह अपने साथी दलों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बनाने की पूरी कोशिश करेगी और सभी सामूहिक फैसले एक साथ लेगी.
30 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था JPC बिल
JPC बिल 30 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था, उस दौरान विपक्षी दलों ने सदन में जमकर हंगामा किया था. हालांकि, एक महीने बाद भी तीनों विधेयकों को JPC में लाने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष JPC की घोषणा नहीं कर पाए हैं.
केंद्र सरकार भी मामले को सुलझाने का कर रही प्रयास
केंद्र सरकार भी इस मामले पर विपक्ष के अन्य दलों को JPC देने के लिए आग्रह कर रही है. इसको लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि 'वह समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी समेत अन्य विपक्षी नेताओं को भी फोन करके सदस्यों का नाम JPC के लिए देने का आग्रह करेंगे. चूंकि, यह मामला जन प्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, तो ऐसे में उम्मीद है कि यह सभी दल जरूर मान जाएंगे.'
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