Women's Day Special: जानें 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?
8 मार्च को हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं के संघर्ष, अधिकारों और उपलब्धियों का प्रतीक है। इसकी शुरुआत 1857 में न्यूयॉर्क में महिलाओं के श्रमिक आंदोलन से हुई, जब उन्होंने समान वेतन और अधिकारों की मांग की थी। इसके बाद 1910 में क्लारा जेटकिन ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव रखा, और 1917 में रूस में हुए महिला आंदोलन के बाद 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में चुना गया।

हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ महिलाओं के सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उनके संघर्षों, त्याग और समाज में उनके योगदान को पहचानने का भी दिन है। आज हम जिस समाज में जी रहे हैं, वहां महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, लेकिन यह रास्ता इतना आसान नहीं था। महिला अधिकारों की यह लड़ाई सदियों पुरानी है, जिसमें कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। आइए, जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई? क्यों 8 मार्च को ही यह दिन चुना गया? और यह महिलाओं के लिए इतना खास क्यों है?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास
अगर हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास की बात करें तो इसकी जड़ें 19वीं और 20वीं सदी के दौरान महिलाओं के श्रमिक आंदोलन और उनके अधिकारों की लड़ाई से जुड़ी हुई हैं। उस समय दुनिया के कई देशों में महिलाओं को समान वेतन, काम करने के अधिकार, वोट डालने का हक और समानता के लिए संघर्ष करना पड़ा।
1857 – पहली चिंगारी
8 मार्च 1857 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में कपड़ा मिलों में काम करने वाली महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया। वे कम वेतन, खराब कामकाजी परिस्थितियों और लंबे घंटे काम करने के खिलाफ सड़कों पर उतरीं। हालांकि, इस विरोध को दबा दिया गया, लेकिन यह महिला अधिकारों की लड़ाई का पहला बड़ा कदम साबित हुआ।
1908 – फिर उठी आवाज़
1857 के विरोध के 51 साल बाद, 1908 में एक बार फिर न्यूयॉर्क की 15,000 महिलाओं ने कम वेतन, काम के घंटे कम करने और वोटिंग के अधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार मिलने चाहिए।
1909 – पहला महिला दिवस मनाया गया
1909 में अमेरिका में पहली बार 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। यह दिन सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा घोषित किया गया था। लेकिन यह सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित था।
1910 – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का प्रस्ताव
1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन हुआ, जिसमें जर्मनी की महिला नेता क्लारा जेटकिन (Clara Zetkin) ने सुझाव दिया कि हर साल पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को 17 देशों की 100 महिलाओं ने समर्थन दिया। लेकिन तब तक इसकी कोई तय तारीख नहीं थी।
1911 – पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया
1911 में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस दिन लाखों महिलाओं ने समान अधिकार और वोटिंग के अधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
1917 – 8 मार्च को क्यों मनाया जाने लगा?
रूस में 1917 में महिला श्रमिकों ने ‘ब्रेड एंड पीस’ (रोटी और शांति) की मांग को लेकर हड़ताल कर दी। इस हड़ताल को इतनी मजबूती मिली कि रूसी सरकार को महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देना पड़ा। यह हड़ताल 23 फरवरी को हुई थी, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 8 मार्च बनता है। इसी कारण से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1975 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को आधिकारिक रूप से मान्यता दी। इसके बाद से हर साल महिला दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है, जो महिलाओं के अधिकारों और समानता पर केंद्रित होता है।
आज भी जारी है महिलाओं का संघर्ष
हालांकि, 21वीं सदी में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन अभी भी समाज में लैंगिक असमानता (Gender Inequality), घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर भेदभाव और वेतन असमानता जैसी कई समस्याएं बनी हुई हैं। हालांकि भारत में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन आज भी कई जगहों पर उन्हें समानता के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कई देशों में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में बड़ा अंतर देखा जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति और समाज में महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने की जरूरत है। महिला दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों और उनकी उपलब्धियों को याद करने का दिन है।
8 मार्च का दिन सिर्फ महिलाओं के सम्मान का दिन नहीं है, बल्कि यह उनकी संघर्ष गाथा का प्रतीक है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ उत्सव मनाना नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए जागरूकता बढ़ाना है। आज दुनिया भर में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन असली महिला सशक्तिकरण तब होगा जब हर महिला को उसके अधिकार मिलेंगे, और उसे हर फैसले में बराबरी का हक मिलेगा।
Happy International Women's Day!