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कौन है नए थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी, जिनके कमान समभालते ही रोने लगे चीन-पाकिस्तान

केंद्र सरकार ने 11 जून को लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त करने का एलान किया था। आज उन्होंने नए सेना प्रमुख का पदभार संभाल लिया है।

01 Jul, 2024
( Updated: 01 Jul, 2024
01:32 PM )
कौन है नए थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी, जिनके कमान समभालते ही रोने लगे चीन-पाकिस्तान

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि तीसरे टर्म में कुछ फैसले बहुत बड़े होने वाले है और लगता है मोदी ने वो काम शुरु भी कर दिया और शायद इन फैसलों की शुरुआत मोदी ने सीमा से शुरु की है क्योंकि हमारे दो पड़ोसी पाकिस्तान और चीन, हर वक्त मुहं बाए खड़े है। भारत को निगलने के लिए लेकिन पिछले दस सालो में इन दोनों ने बदलते भारत की ताकत को देखा है और ताकत को भांपते हुए उनकी अक्ल ठिकाने पर भी लगी हुई दिखाई देती है लेकिन अब भारत ने ऐसा फैसला किया है जिसके बाद चीन पाकिस्तान कांपने लगे है क्योंकि अब भारतीय थल सेना की कमान उपेंद्र द्विवेदी के हाथ में है। 30 जून को उपेंद्र द्विवेदी को नया थल सेना अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। तो आज आपको बताएंगे की कौन है उपेंद्र द्विवेदी "लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना प्रमुख के रुप में पदभार संभाल लिया है…इससे पहले उपेंद्र द्विवेदी उप सेना प्रमुख के तौर पर काम कर रहे थे, और सेना प्रमुख के पद को अब तक जनरल मनोज सी पांडे संभाल रहे थे"।

कौन है नए सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी

1 जुलाई, 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री में कमीशन मिला था। लगभग 40 सालों की अपनी लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान, वो विभिन्न कमानों, स्टाफ, प्रशिक्षण संबंधी और विदेशी नियुक्तियों में कार्यरत रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट, 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स, ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), महानिरीक्षक, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने सेना उपप्रमुख के रूप में नियुक्ति से पहले 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ  समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इसी साल 15 फरवरी को उप सेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे। उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान चौकीबल में एक बटालियन की कमान संभाली थी। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के पास चीन और पाकिस्तान की ओर से दी जाने वाली चुनौतियों की गहरी समझ है, क्योंकि वो उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में दो साल तक जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 

उपेंद्र द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू में भी पढाई की है. इसके अलावा, लेफ्टिनेंट जनरल को यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, यूएसए में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष कोर्स में 'विशिष्ट फेलो' से सम्मानित किया जा चुका है।लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने रक्षा और प्रबंधन की पढ़ाई में एम फिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक , अति विशिष्ट सेवा पदक और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया है। 


उपेन्द्र द्विवेदी कश्मीर घाटी और राजस्थान के रेगिस्तान में भी सक्रिय आतंकवाद के खिलाफ कमान संभाल चुके है। भारत-म्यांमार सीमा पर प्रबंधन संभाल चुके है। भारतीय सेना आधुनिकीकरण में भी शामिल रह चुके है। आत्मनिर्भर भारत के रुप में स्वदेशी उपकरणों को सेना में शामिल करने में भी अहम भूमिका निभा चुके है। बिग डेटा एनालिटिक्स, एआई, क्वांटम और ब्लॉकचेन आधारित समाधानों जैसी अहम और उभरती हुई तकनीकों को भी बढ़ावा दिया है। तो जितनी उपलब्धिया आपको गिनवाई है उससे आप समझ गए होंगे की  उपेंद्र द्विवेदी कौन है और क्यों इनहे ही सेना प्रमुख के रुप में चुना गया है। भारतीय सीमा सुरक्षा के लिहाज से ये भारत सरकार का बड़ा और अहम कदम माना जा रहा है और इसीलिए कहा जा रहा है कि उपेंद्र द्विवेदी के सेना प्रमुख बनते ही, चीन पाकिस्तान की हालत खराब हो चुकी है।

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