क्या 'चंदा दो, टिकट लो' से कांग्रेस कर रही थी खेला? नेशनल हेराल्ड मामले में ED के दावे से सनसनी
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की तरफ से किए गए नए खुलासे से हड़कंप मच गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड जिस पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का सीधा नियंत्रण है. इसके जरिए सिर्फ चैरिटी के नाम पर अरबों की संपत्ति पर कब्जा किए जाने का दावा किया गया है.

ED ने यंग इंडियन डील को “प्रत्यक्ष राजनीतिक नेतृत्व द्वारा नियंत्रित धोखाधड़ी” बताया है. यंग इंडियन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस निदेशक रह चुके हैं. राहुल और सोनिया के खिलाफ पूछताछ हो चुकी है और मामले में नियमित सुनवाई चल रही है.
चंदा दो कांग्रेस में टिकट लो का पैटर्न
शनिवार को दिल्ली की अदालत में दायर दस्तावेजों में ED ने कहा है कि यंग इंडियन को “नॉन-प्रॉफिट” कंपनी दिखाया गया. लेकिन उसका वास्तविक काम AJL की 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों को हथियाना था. ED ने दावा किया कि कोई भी चैरिटेबल काम जमीन पर नहीं हुआ और चंदा देने वालों को कांग्रेस में टिकट देना ‘सिस्टमेटिक पैटर्न’ जैसा लग रहा है.
ED ने बताया है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के सभी शेयर सिर्फ 50 लाख रुपए में यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए. हैरानी की बात ये है कि ये 50 लाख रुपए भी यंग इंडियन ने खुद नहीं दिए, बल्कि ये रकम कोलकाता की एक कंपनी डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड ने दी थी. कंपनी ने बतौर लोन दिया. इसके बदले यंग इंडियन को AJL की सभी संपत्तियां जिनमें दिल्ली, मुंबई, भोपाल और पटना जैसे शहरों में प्राइम लोकेशन की बिल्डिंग्स शामिल हैं का पूरा नियंत्रण मिल गया.
AJL की सम्पत्तियां थी यंग इंडिया के निशाने पर
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड केस में अदालत को बताया कि यंग इंडियन को चैरिटी के नाम पर स्थापित किया गया था, लेकिन कभी कोई चैरिटेबल कार्य हुआ ही नहीं. कोर्ट में ASG राजू ने कहा कि यंग इंडियन ने बिना एक भी रुपया निवेश किए AJL की करीब ₹2000 करोड़ की संपत्तियों पर कब्जा कर लिया. ED के अनुसार यह पूरी योजना AJL की संपत्तियों को हड़पने की साजिश थी और उसी के तहत यंग इंडियन का गठन किया गया था.
ईडी ने यह भी दावा किया कि AJL को ₹50 लाख में खरीदा गया, जो रकम ‘डोटेक्स’ नामक कंपनी से मिली थी. यानी न तो यंग इंडियन ने खुद पैसा लगाया और न ही किसी चैरिटेबल काम की शुरुआत की. इसके उलट, एजेंसी ने आरोप लगाया कि यंग इंडियन के जरिए राजनीतिक लाभ बांटे गए, और जिन लोगों ने संस्था को दान दिया उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिए गए, यानी यह पूरा मॉडल सिर्फ दिखावे की चैरिटी और असल में राजनीतिक फायदे का एक तरीका था.