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ट्रंप धमकाते रह गए...इधर भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया, इस महीने इतने लाख बैरल हुई खरीदारी

दुनिया के कई देशों से तेल खरीददारी को लेकर भारत ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. खबरों के मुताबिक, भारत पर ट्रंप की धमकियों का किसी भी तरह से कोई असर नहीं पड़ा है. भारत ने अगस्त महीने में रूस से 4 लाख बैरल अतिरिक्त तेल खरीदारी की है. वहीं इराक, अमेरिका, सऊदी अरब और कई अन्य देशों से खरीदारी घटा दी गई है.

16 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
01:45 AM )
ट्रंप धमकाते रह गए...इधर भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया, इस महीने इतने लाख बैरल हुई खरीदारी

रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका पिछले कई दिनों से भारत को लगातार टारगेट कर रहा है. ट्रेड डील फाइनल ना होने से खिसियाए अमेरिका के पास सिवाय धमकी के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा है. इधर भारत पर अमेरिकी धमकियों का कोई भी असर नहीं पड़ा है. भारत और रूस के बीच कच्चे तेल का व्यापार मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है. वहीं अगस्त महीने में आयात काफी ज्यादा बढ़ा है. खबरों के मुताबिक, अगस्त में भारत ने रूस से अब तक प्रतिदिन 20 लाख बैरल तेल खरीदा है. 

भारत ने 20 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल खरीदा

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अगस्त महीने में रूस से प्रतिदिन करीब 20 लाख बैरल तेल खरीदा है. इनमें देश की रिफाइनरी कंपनियां कच्चा तेल खरीदने में आर्थिक पहलुओं को प्राथमिकता दे रही हैं. पिछले महीने की बात की जाए, तो यह आंकड़ा 16 लाख बैरल प्रतिदिन था. ऐसे में ट्रंप की धमकियों के बीच भारत ने रूस से 4 लाख बैरल अधिक प्रतिदिन खरीदारी बढ़ा दी है.  

इन देशों से घटाई गई तेल खरीदारी

भारत का तेल व्यापार कई देशों के साथ चल रहा है. इनमें इराक से तेल खरीद 7.3 लाख बैरल प्रतिदिन, सऊदी अरब से 7 लाख बैरल से घटकर 5.26 बैरल प्रतिदिन, वहीं अमेरिका से प्रतिदिन 2.64 लाख बैरल तेल आयात हुआ. इनमें अमेरिका भारत को पांचवा सबसे बड़ा तेल आपूर्ति करने वाला देश है.  

भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात स्थिर बना 

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केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने भारत और रूस के बीच तेल व्यापार को लेकर बताया कि 'भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात अगस्त में अब तक स्थिर बना हुआ है. जुलाई 2025 के अंत में ट्रंप प्रशासन के शुल्क की घोषणा के बाद भी इसमें कोई कमी नहीं आई है. अब हम खरीद में जो स्थिरता देख रहे हैं, वह मुख्य रूप से इसलिए है, क्योंकि अगस्त की आपूर्ति जून और जुलाई की शुरुआत में ही तय हो गई थी. ऐसे में अगर इस स्थिति में किसी भी तरह का बदलाव आता है, तो सितंबर के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर तक दिखाई देने लगेगी.'

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