Advertisement

मजहब की आड़ में तुर्की-पाकिस्तान की नई चाल... नेपाल से भारत को घेरने की साजिश, जैश-लश्कर सक्रिय

टीएफए को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार, तुर्किए की एक प्राइवेट आर्मी अपने एनजीओ के माध्यम से नेपाल में अपना नेटवर्क सक्रिय रूप से फैला रही है. चिंताजनक बात यह है कि इस एनजीओ के तार आतंकवादी संगठन अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन से जुड़े पाए गए हैं.

15 Jul, 2025
( Updated: 15 Jul, 2025
04:23 PM )
मजहब की आड़ में तुर्की-पाकिस्तान की नई चाल... नेपाल से भारत को घेरने की साजिश, जैश-लश्कर सक्रिय

भारत से सटे नेपाल के तराई क्षेत्र में मस्जिदों, मदरसों और गेस्ट हाउसों की बढ़ती संख्या को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है. जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ अब तुर्किए भी मजहब के नाम पर इस इलाके में भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है.
टीएफए को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार, तुर्किए की एक प्राइवेट आर्मी अपने एनजीओ के माध्यम से नेपाल में अपना नेटवर्क सक्रिय रूप से फैला रही है. चिंताजनक बात यह है कि इस एनजीओ के तार आतंकवादी संगठन अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन से जुड़े पाए गए हैं.
खुफिया सूत्रों का मानना है कि यह नेटवर्क नेपाल की धरती का इस्तेमाल कर भारत में आतंकी घुसपैठ को बढ़ावा देने की कोशिश में है. हाल ही में नेपाल के राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने भी भारत में संभावित आतंकी घुसपैठ को लेकर चिंता जताई थी.

नेपाल में तुर्की के कट्टरपंथी नेटवर्क की बढ़ती पैठ 
सूत्रों के मुताबिक, तुर्किए की एक चैरिटी संस्था IHH (फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम एंड ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ) ने पिछले कुछ वर्षों में नेपाल के तराई इलाकों में गहरी पैठ बना ली है. यह एनजीओ दरअसल एक कट्टरपंथी संगठन के रूप में काम कर रहा है, जिसके संबंध तुर्की की विवादित प्राइवेट आर्मी सादात (Sadat) से जुड़े पाए गए हैं.
सादात को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन की निजी सेना माना जाता है, लेकिन इसकी गतिविधियां केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं. इस संगठन पर दुनियाभर में जिहादियों की भर्ती और उन्हें सैन्य प्रशिक्षण देने के आरोप लगे हैं. सीरिया, कतर और अज़रबैजान जैसे देशों में इसने सक्रिय रूप से जिहादी नेटवर्क को समर्थन दिया है.
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, सादात का नाम हमास जैसे आतंकी संगठनों को हथियार और फंडिंग मुहैया कराने में भी सामने आ चुका है. नेपाल में IHH के बढ़ते प्रभाव और उसके सादात से संबंधों को देखते हुए भारतीय खुफिया एजेंसियां इस नेटवर्क को लेकर बेहद सतर्क हो गई हैं.

IHH के अल-कायदा, मुस्लिम ब्रदरहुड और पाकिस्तान से संदिग्ध संबंध
तुर्की की चैरिटी संस्था IHH के न सिर्फ सादात प्राइवेट आर्मी से, बल्कि अलकायदा और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठनों से भी संबंध सामने आए हैं. इसके साथ ही, पाकिस्तान में भी IHH की गहरी पकड़ बताई जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में किडनैप किए गए दो यूरोपीय पर्यटकों की रिहाई में IHH ने अहम भूमिका निभाई थी. ये दोनों पर्यटक सड़क मार्ग से यूरोप से भारत की यात्रा पर थे, जब पाकिस्तान में उन्हें अगवा कर लिया गया था. इस घटना के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां IHH की भूमिका और उसके संपर्कों को लेकर और अधिक सतर्क हो गई हैं.
सबसे चिंता की बात यह है कि IHH ने अब नेपाल के स्थानीय संगठन इस्लामी संघ के साथ भी गठजोड़ कर लिया है. इससे यह आशंका और गहरा गई है कि नेपाल की धरती का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है.

सीमा सुरक्षा पर बढ़ा खतरा
तुर्की की कट्टरपंथी संस्था IHH ने जब से नेपाल के इस्लामी संघ के साथ हाथ मिलाया है, तब से भारत-नेपाल सीमा से लगे इलाकों में उसकी गतिविधियों में तेजी से इज़ाफा हुआ है. बीते कुछ वर्षों में IHH ने लुंबिनी, कोसी (प्रोविंस-1) और मधेश (प्रोविंस-2) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी गहरी पैठ बना ली है.
खासकर रुपनदेही, बांके, परसा और राउतहाट जिलों में पिछले एक दशक के दौरान बड़ी संख्या में मस्जिदें और मदरसे स्थापित किए गए हैं. स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, इस समय भारत-नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों में करीब 4,000 मस्जिद और मदरसे सक्रिय रूप से संचालित हो रहे हैं.
चिंताजनक बात यह है कि इन्हीं इलाकों में हाल के दिनों में सबसे अधिक कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाएं और विरोध-प्रदर्शन सामने आए हैं, जो क्षेत्र में कट्टरपंथ और अस्थिरता की बढ़ती संभावनाओं की ओर संकेत करते हैं.

मजहब के नाम पर नेपाल में बिसात बिछाने की साजिश 
तुर्किए के साथ-साथ पाकिस्तान भी मजहब के नाम पर नेपाल में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिशों में जुटा है. पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठन दावत-ए-इस्लामी ने बीते कुछ वर्षों में नेपाल के कपिलवस्तु, सुनसरी और बारा जैसे संवेदनशील जिलों में तेजी से मस्जिदों, मदरसों और विशेष गेस्ट हाउसों का जाल फैला दिया है.
इन गेस्ट हाउसों की खास बात यह है कि इनका उपयोग पाकिस्तान और बांग्लादेश से नेपाल पहुंचने वाले संदिग्ध तत्वों को अस्थायी पनाह देने के लिए किया जाता है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इनमें से एक गेस्ट हाउस को करीब 1.25 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है — जो इस नेटवर्क के पीछे लगे संसाधनों और मंशा की गंभीरता को दर्शाता है.
इन गतिविधियों के चलते भारत की खुफिया एजेंसियों ने नेपाल की धरती पर सक्रिय विदेशी नेटवर्कों की बढ़ती भूमिका को लेकर अलर्ट बढ़ा दिया है.

नेपाल में कट्टरपंथी गतिविधियों का भारत पर असर 
नेपाल में बढ़ती कट्टरपंथी और आतंकी गतिविधियों का सीधा प्रभाव भारत के सीमावर्ती जिलों पर पड़ रहा है. हाल ही में FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की रिपोर्ट में वर्ष 2022 में गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले को लेकर अहम खुलासा किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला आईएसआईएस से जुड़े एक आतंकी द्वारा किया गया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय फंडिंग प्राप्त हो रही थी.
इतना ही नहीं, भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों की नेपाल के रास्ते घुसपैठ के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं. लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पाकिस्तान के मुरीदके से भारत में दाखिल होने की कोशिश के दौरान नेपाल सीमा पर ही पकड़ा गया था.
वहीं, इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल को भी वर्ष 2013 में नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था. ये घटनाएं स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि नेपाल की धरती आतंकियों के लिए एक सुरक्षित ट्रांजिट रूट बनती जा रही है, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.

नेपाल को ट्रांजिट हब बनाए जाने पर राष्ट्रपति के सलाहकार की चेतावनी 
नेपाल के राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने हाल ही में एक अहम बयान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों का नाम लेकर भारत को आगाह किया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान में सक्रिय ये आतंकी संगठन नेपाल की धरती का इस्तेमाल ट्रांजिट रूट के रूप में कर भारत की सुरक्षा को गंभीर चुनौती दे सकते हैं.
दरअसल, भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जहां पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं की तरह तारबंदी या कड़ी निगरानी व्यवस्था नहीं है. यद्यपि सशस्त्र सीमा बल (SSB) इस सीमा की निगरानी 24x7 करता है, लेकिन सीमा के पूरी तरह खुला होने के कारण घुसपैठ और संदिग्ध आवाजाही की आशंका बनी रहती है.
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब नेपाल में विदेशी कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

 

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित 92% लोग मुसलमान है, अब कट्टरपंथ खत्म हो रहा है!
Advertisement
Advertisement