UP सरकार ने मनरेगा मजदूरों को दी बड़ी राहत, अब 15 नहीं, 7 दिन में मिलेगा मेहनत का पैसा, 125 दिन काम की भी गारंटी
सरकार का कहना है कि मजदूरों को अब जल्दी भुगतान मिलेगा, काम के दिन बढ़ेंगे और नई योजना के जरिए ग्रामीण विकास को मजबूत किया जाएगा. वहीं विपक्ष का मानना है कि मजदूरी कम है, बकाया ज्यादा है और महंगाई में मजदूरों की मुश्किलें बढ़ रही हैं.
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VB-G RAM G: उत्तर प्रदेश सरकार ने मनरेगा से जुड़े मजदूरों को लेकर विधानसभा में अहम बातें रखी हैं. ग्राम्य विकास राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम ने साफ कहा कि मनरेगा मजदूरों की रोज की मजदूरी 252 रुपये तय है. उन्होंने बताया कि मजदूरी की दर तय करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है, इसलिए राज्य सरकार इसमें अपने स्तर से बढ़ोतरी नहीं कर सकती. इस बात को लेकर सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है.
अब मजदूरी का पैसा जल्दी मिलेगा
राज्यमंत्री ने मजदूरों के लिए एक राहत भरी घोषणा की. उन्होंने कहा कि पहले मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का भुगतान 15 दिन में किया जाता था, लेकिन अब यह समय घटाकर सिर्फ 7 दिन कर दिया गया है. यानी मजदूरों को अब अपने मेहनत के पैसे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. सरकार का कहना है कि इससे मजदूरों की रोजमर्रा की जरूरतें आसानी से पूरी हो सकेंगी.
मनरेगा की जगह नई योजना लाने का दावा
विजय लक्ष्मी गौतम ने यह भी बताया कि मनरेगा की जगह अब एक नई योजना लाई जा रही है, जिसका नाम है “विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) अधिनियम”. उन्होंने कहा कि यह योजना ज्यादा प्रभावी होगी और गांवों के विकास में मदद करेगी. सरकार का दावा है कि इस नई योजना के तहत मजदूरों को अब 100 दिन के बजाय 125 दिन काम देने की गारंटी होगी और इसे “विकसित भारत” के लक्ष्य से जोड़ा जाएगा.
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विपक्ष ने उठाए मजदूरों से जुड़े सवाल
इस दौरान समाजवादी पार्टी के सदस्य अनिल प्रधान ने सरकार से कड़े सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पहले केंद्र सरकार मजदूरों का पूरा भुगतान करती थी, लेकिन अब नियम बदल दिए गए हैं. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा मजदूरों का करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है. अनिल प्रधान ने कहा कि आज इतनी महंगाई है कि मजदूरों के लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. जब सरकार खुद को तकनीक में आगे बताती है, तो फिर भुगतान में इतनी देरी क्यों होती है, यह एक गंभीर सवाल है.
नाम बदलने पर भी हुआ राजनीतिक वार
मनरेगा के नाम को लेकर भी सदन में बहस हुई. विजय लक्ष्मी गौतम ने बिना किसी का नाम लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 2009 से पहले यह योजना “नरेगा” थी, लेकिन चुनाव के समय इसमें महात्मा गांधी का नाम जोड़कर इसे मनरेगा बना दिया गया. सरकार का कहना है कि नाम से ज्यादा जरूरी काम और विकास है, और नई योजना उसी दिशा में एक कदम है.
सरकार का कहना है कि मजदूरों को अब जल्दी भुगतान मिलेगा, काम के दिन बढ़ेंगे और नई योजना के जरिए ग्रामीण विकास को मजबूत किया जाएगा. वहीं विपक्ष का मानना है कि मजदूरी कम है, बकाया ज्यादा है और महंगाई में मजदूरों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. यह मुद्दा आने वाले समय में और चर्चा का विषय बना रह सकता है
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