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Sawan Shivratri 2025: आज मनाई जा रही है सावन शिवरात्रि, जानें भगवान शिव की उपासना की विधि और जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

सावन शिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत पावन पर्व है, जो हर साल सावन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 23 जुलाई 2025, बुधवार को है. यह महाशिवरात्रि के बाद शिव उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इस दिन उपवास, रात्रि जागरण और जलाभिषेक से भक्तों को पुण्य, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर आज के दिन जलाभिषेक और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.

23 Jul, 2025
( Updated: 23 Jul, 2025
03:56 PM )
Sawan Shivratri 2025: आज मनाई जा रही है सावन शिवरात्रि, जानें भगवान शिव की उपासना की विधि और जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

भारत की आध्यात्मिक परंपराओं में सावन शिवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जो भगवान शिव के अनन्य भक्तों के लिए गहन आस्था, साधना और उपवास का विशेष अवसर लेकर आता है. यह पर्व हर साल सावन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह शुभ तिथि बुधवार, 23 जुलाई 2025 को पड़ रही है और आज ही के दिन देशभर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. मंदिरों में ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से वातावरण गूंज रहा है. यह शिवरात्रि महाशिवरात्रि के बाद शिव उपासना का दूसरा सबसे बड़ा पर्व मानी जाती है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अपार है. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर आज के दिन जलाभिषेक और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.

पूरे सावन का सार इस एक रात्रि में समाया

सावन का महीना वैसे भी भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दौरान प्रत्येक सोमवार को भक्त विशेष पूजा करते हैं, लेकिन सावन की शिवरात्रि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि यह वह रात मानी जाती है जब शिव और शक्ति का दिव्य मिलन हुआ था. यही कारण है कि यह दिन शिवभक्तों के लिए आत्मिक विकास, आत्मशुद्धि और इच्छाओं की पूर्ति का सर्वोत्तम अवसर बन जाता है. शिवपुराण में वर्णित है कि जो भी भक्त इस रात को जागरण करते हुए विधिवत शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है, उसे पुण्य, सुख और मोक्ष तीनों की प्राप्ति होती है. 

जलाभिषेक और पूजन के विशेष मुहूर्त

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है. इस बार जलाभिषेक के लिए दो विशेष मुहूर्त बताए गए हैं. पहला मुहूर्त सुबह 4 बजकर 15 मिनट से लेकर 4 बजकर 56 मिनट तक है. वहीं दूसरा मुहूर्त सुबह 8 बजकर 32 मिनट से लेकर 10 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा निशिता काल और चार पहर की पूजा का भी विशेष महत्व है. इसके अलावा प्रथम पहर की पूजा आज शाम 7:26 से रात 10:06 तक होगी. दूसरा पहर रात 10:06 से लेकर 24 जुलाई की रात 12:46 तक चलेगा. तीसरे पहर की पूजा 24 जुलाई की रात 12:46 से लेकर सुबह 3:27 तक और चौथे पहर की पूजा सुबह 3:27 से 6:07 तक की जाएगी. निशिता काल की पूजा का समय 24 जुलाई की रात 12:25 से 1:08 तक माना गया है, जो अत्यंत शुभ काल माना जाता है. 

कैसे करें सावन शिवरात्रि की पूजा

सावन शिवरात्रि पर पूजा करने के लिए प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके शिव मंदिर जाएं. इस दिन व्रत का विशेष महत्व है, जिसमें अन्न, नमक आदि का त्याग कर केवल फल, दूध या जल का सेवन किया जाता है. शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, भांग और धतूरा अर्पित किया जाता है. भक्त "ॐ नमः शिवाय" और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए दिनभर शिवजी की आराधना करते हैं. कई जगहों पर रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है. इस दिन की पूजा व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है.

सावन शिवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

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भारत के हर कोने में सावन शिवरात्रि का उत्सव अपने-अपने रंग में मनाया जाता है. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में इसकी गूंज अधिक सुनाई देती है. काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, महाकालेश्वर, बद्रीनाथ और अन्य प्रमुख शिव धामों में इस दिन विशेष रुद्राभिषेक और रात्रि पूजन का आयोजन होता है. भक्त लंबी कतारों में खड़े होकर गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाओं के पूर्ति की कामना करते हैं. कई शिवभक्त कांवड़ यात्रा के रूप में शिव को जल चढ़ाने हेतु सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करते हैं, जो उनकी आस्था का अद्वितीय प्रतीक बन जाती है.

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