हरियाणा में बदला नियम, अब इतने घंटे तक काम करेंगे कर्मचारी, जानें दूसरे राज्यों में क्या है स्थिति
Haryana: सरकार का कहना है कि इससे काम करने में लचीलापन आएगा और कारोबार को फायदा होगा. हालांकि साप्ताहिक काम की अधिकतम सीमा पहले की तरह 48 घंटे ही रखी गई है, लेकिन इसके बावजूद इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगा है कि देश के बाकी राज्यों में काम के घंटे कितने तय हैं और किस राज्य में सबसे ज्यादा लिमिट लागू है.
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देश में कर्मचारियों के काम करने के घंटों को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है. वजह है हरियाणा सरकार का हालिया फैसला, जिसमें दुकानों और वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रोजाना काम का समय 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि इससे काम करने में लचीलापन आएगा और कारोबार को फायदा होगा. हालांकि साप्ताहिक काम की अधिकतम सीमा पहले की तरह 48 घंटे ही रखी गई है, लेकिन इसके बावजूद इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगा है कि देश के बाकी राज्यों में काम के घंटे कितने तय हैं और किस राज्य में सबसे ज्यादा लिमिट लागू है.
हरियाणा में रोजाना 10 घंटे काम की अनुमति
हरियाणा विधानसभा द्वारा श्रम कानून में किए गए संशोधन के बाद अब राज्य में दुकान और निजी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारी एक दिन में 10 घंटे तक काम कर सकेंगे. पहले यह सीमा 9 घंटे थी. सरकार का तर्क है कि बदलते समय और बाजार की जरूरतों को देखते हुए यह फैसला जरूरी था। खास बात यह है कि हरियाणा में ओवरटाइम की तिमाही सीमा 156 घंटे तय की गई है, जो कई अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मानी जा रही है. सरकार का कहना है कि इससे उद्योगों को जरूरत के समय अतिरिक्त काम करवाने में सहूलियत मिलेगी.
सरकार ने यह नियम क्यों लागू किया?
सरकार का कहना है कि यह फैसला कई कारणों से लिया गया है. पहला, उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को काम के समय में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी देना. दूसरा, राज्य में निवेश को बढ़ावा देना ताकि नई कंपनियां आएं और रोजगार के अवसर बढ़ें. तीसरा, कर्मचारियों को भी यह विकल्प देना कि वे जरूरत पड़ने पर ज्यादा घंटे काम कर सकें और ओवरटाइम का लाभ ले सकें. इसके अलावा सरकार का मानना है कि अन्य राज्यों के समान नियम लागू करने और आपात या विशेष परिस्थितियों में काम आसान बनाने के लिए यह बदलाव जरूरी था.
दूसरे राज्यों में क्या हैं काम के घंटे के नियम?
हरियाणा अकेला राज्य नहीं है जहां 10 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी गई है. तेलंगाना में पहले से ही वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में 10 घंटे तक काम करने का नियम लागू है. यहां कर्मचारियों को ओवरटाइम का भुगतान और साप्ताहिक अवकाश देना अनिवार्य है. सरकार का दावा है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं. महाराष्ट्र में भी श्रम कानूनों में बदलाव के बाद कई सेक्टर में 10 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी गई है, लेकिन शर्त यही है कि हफ्ते में कुल काम 48 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. सरकार का कहना है कि इससे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को फायदा हुआ है, जबकि कर्मचारी संगठनों ने इस पर चिंता जताई है. पंजाब में भी दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रोजाना 10 घंटे तक काम की अनुमति है.
हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और ओवरटाइम का भुगतान नियमों के अनुसार किया जाएगा. आंध्र प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए काम के घंटों में लचीलापन दिया गया है. यहां भी कई क्षेत्रों में 10 घंटे की शिफ्ट की अनुमति है, लेकिन इसके साथ साप्ताहिक छुट्टी और ओवरटाइम का प्रावधान जरूरी रखा गया है.
इस फैसले का क्यों हो रहा है विरोध?
जहां सरकार और उद्योग जगत इस फैसले को जरूरी बता रहे हैं, वहीं कर्मचारी संगठन और ट्रेड यूनियन इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ सकता है. लंबे समय तक काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है और वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ सकता है. यूनियनों का यह भी कहना है कि अगर सही निगरानी नहीं हुई तो कुछ जगहों पर कर्मचारियों का शोषण बढ़ने की आशंका भी है.
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