प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ हादसा या साजिश? यूपी STF कर रही जांच!
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हुए। अब यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) इस घटना की जांच कर रही है और इसे साजिश के एंगल से भी देखा जा रहा है। जांच के दौरान 16,000 से अधिक मोबाइल नंबरों के डेटा को खंगाला जा रहा है, जिनमें से कई नंबर घटना के बाद से बंद हैं।

प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) अब इस घटना की जांच में जुटी है और साजिश के एंगल से भी मामले को खंगाल रही है।
मौनी अमावस्या, जो महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों में से एक है, के अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं। इस वर्ष, यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि 144 वर्षों बाद 'त्रिवेणी योग' का संयोग बना था, जिसमें सूर्य, चंद्रमा और बुध मकर राशि में थे, साथ ही गुरु अपनी नवम भाव में स्थित थे। ऐसी मान्यता है कि इस दुर्लभ योग में संगम में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे हुआ था हादसा?
29 जनवरी 2025 की सुबह, जब श्रद्धालुओं की भीड़ संगम की ओर बढ़ रही थी, तभी अचानक भगदड़ मच गई। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, यह हादसा भीड़ के अत्यधिक दबाव और अव्यवस्थित भीड़ प्रबंधन के कारण हुआ। हालांकि, अब एसटीएफ इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं यह घटना किसी साजिश का परिणाम तो नहीं थी।एसटीएफ की टीमें संगम नोज के आसपास सक्रिय मोबाइल नंबरों का डेटा खंगाल रही हैं। सूत्रों के अनुसार, 16,000 से अधिक मोबाइल नंबरों के डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है, जिनमें से कई नंबर घटना के बाद से ही बंद आ रहे हैं। इसके अलावा, महाकुंभ मेला क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की भी जांच की जा रही है, ताकि फेस रिकग्निशन तकनीक के माध्यम से संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की जा सके।
मेला क्षेत्र के डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा, "मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ कहीं साजिश तो नहीं, इस एंगल से भी जांच की जा रही है। क्योंकि कई इनपुट ऐसे आए हैं जो इस ओर इशारा कर रहे हैं।" इस घटना के बाद, प्रशासन ने आगामी स्नान पर्वों के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। बसंत पंचमी के अवसर पर, जो महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान है, प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। संगम के नजदीक श्रद्धालुओं के लिए बाड़े बनाए गए हैं, जिन्हें 'भूलभुलैया' भी कहा जाता है। यदि संगम पर भीड़ का दबाव बढ़ता है, तो प्रशासन इन बाड़ों का उपयोग करेगा, जिससे श्रद्धालु सुरक्षित रूप से स्नान कर सकें।
इसके अलावा, शहर में वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए रूट डायवर्जन प्लान लागू किया गया है। बाहरी जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं को अपने वाहन शहरी क्षेत्र के बाहर बनाए गए पार्किंग स्टैंड में खड़े करने होंगे, जहां से वे शटल बसों या पैदल निकटतम घाटों तक पहुंच सकेंगे।
महाकुंभ मेला का प्रबंधन देख रहे अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पुलिस और प्रशासन के वाहनों, एम्बुलेंस और अन्य आवश्यक सेवा प्रदाता वाहनों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी वीआईपी या वीवीआईपी मूवमेंट के बारे में कम से कम एक सप्ताह पहले सूचित किया जाना चाहिए, ताकि तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था बाधित न हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 फरवरी को महाकुंभ में आने की संभावना है। इससे पहले, प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होती है। प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी और श्रद्धालु सुरक्षित रूप से अपने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर सकेंगे।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए और क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।