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PM मोदी ने दलाई लामा को दीं जन्मदिन की शुभकामनाएं, कहा- आप प्रेम-करूणा का प्रतीक; बधाई संदेश देख चीन का तिलमिलाना तय

तिब्बती धर्मगुरु और वैश्विक शांति के प्रतीक दलाई लामा आज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं. दुनिया भर में फैले उनके अनुयायियों और प्रशंसकों के बीच यह दिन सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव के रूप में देखा जा रहा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को उनके पर जन्मदिन बधाई देते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की है.

06 Jul, 2025
( Updated: 06 Jul, 2025
03:32 PM )
PM मोदी ने दलाई लामा को दीं जन्मदिन की शुभकामनाएं, कहा- आप प्रेम-करूणा का प्रतीक; बधाई संदेश देख चीन का तिलमिलाना तय

तिब्बती धर्मगुरु और वैश्विक शांति के प्रतीक दलाई लामा आज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं. दुनिया भर में फैले उनके अनुयायियों और प्रशंसकों के बीच यह दिन सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव के रूप में देखा जा रहा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री तक, तमाम वैश्विक नेता उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं. धर्मशाला में तीन दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के बीच यह उत्सव और भी विशेष बन गया है, जहां दलाई लामा ने अपनी दीर्घायु को लेकर एक बड़ा बयान दिया है.

PM मोदी ने दीं दलाई लामा को शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावनात्मक पोस्ट के माध्यम से दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने लिखा, “मैं 1.4 अरब भारतीयों के साथ मिलकर दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के स्थायी प्रतीक रहे हैं. उनके संदेश ने सभी धर्मों के लोगों में सम्मान और प्रशंसा को प्रेरित किया है. हम उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं.” पीएम मोदी का यह संदेश केवल एक औपचारिक बधाई नहीं, बल्कि भारत और तिब्बत के संबंधों की गहराई को दर्शाता है.

अमेरिका का समर्थन: धार्मिक स्वतंत्रता का संकल्प
दलाई लामा को शुभकामनाएं देने वालों में अमेरिका का नाम भी प्रमुख है. अमेरिकी विदेश विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि अमेरिका तिब्बतियों के मानवाधिकारों और उनकी मौलिक स्वतंत्रताओं के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है. विशेष रूप से उन्होंने यह दोहराया कि तिब्बतियों को बिना किसी हस्तक्षेप के अपने धार्मिक नेताओं को चुनने और सम्मान देने का अधिकार होना चाहिए. यह बयान केवल समर्थन नहीं, बल्कि चीन द्वारा तिब्बत में धार्मिक दमन के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश भी है.

मैं 30 से 40 साल और जीवित रहूंगा: दलाई लामा 
अपने जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले, दलाई लामा ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सभी का ध्यान खींचा. उन्होंने कहा, “कई भविष्यवाणियों और अनुभवों के आधार पर मुझे विश्वास है कि अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मेरे साथ है. मैं 30 से 40 साल और जीवित रहूंगा. शायद 130 साल तक भी.” यह बयान उस समय आया है जब उनके उत्तराधिकारी को लेकर कई अफवाहें चल रही हैं. दलाई लामा ने स्पष्ट किया कि उनके निधन के बाद उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही किया जाएगा. उनका यह आश्वासन न केवल अनुयायियों को स्पष्टता देता है, बल्कि तिब्बती पहचान की रक्षा का संकेत भी देता है.

कौन हैं 14वें दलाई लामा?
तेनजिन ग्यात्सो, जिन्हें दुनिया 14वें दलाई लामा के रूप में जानती है, का जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत में हुआ था. उन्हें दो वर्ष की उम्र में ही दलाई लामा के रूप में पहचाना गया. 1959 में चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद वे भारत आए और तब से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपनी कर्मभूमि बना लिया. उन्होंने पूरी दुनिया में शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश फैलाया. उन्हें 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. दलाई लामा अब तक 65 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं और उन्हें 85 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.

भारत में दलाई लामा की भूमिका और सांस्कृतिक संबंध
भारत न केवल दलाई लामा की शरणस्थली बना, बल्कि तिब्बती समुदाय के लिए एक नई आशा और पहचान का केंद्र भी बना. धर्मशाला आज तिब्बत की निर्वासित सरकार का केंद्र है और यहां बसे तिब्बती समुदाय ने अपनी संस्कृति को सहेजकर रखा है. भारत सरकार ने हमेशा तिब्बती परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान किया है. दलाई लामा की मौजूदगी भारत के लिए आध्यात्मिक सौभाग्य मानी जाती है.

बताते चलें कि दलाई लामा का 90वां जन्मदिन केवल एक आयु का आंकड़ा नहीं है. यह उनके जीवन के उस लंबे सफर का उत्सव है जो शांति, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता के लिए समर्पित रहा है. जिस समय दुनिया में संघर्ष और उथल-पुथल का माहौल है, दलाई लामा जैसे व्यक्तित्व हमें यह याद दिलाते हैं कि विनम्रता और करुणा ही सच्चे नेतृत्व की पहचान है. उनकी दीर्घायु की कामना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक आवश्यक प्रार्थना है.

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