पाक नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश, वीजा रद्द, पानी भी रोका; पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार की 'सर्जिकल स्ट्राइक'
22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया। हमले में निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक का सबसे सख्त रुख अपनाया है। CCS की आपात बैठक के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया है, वीज़ा रद्द कर दिए हैं, और सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाला पानी भी रोक दिया गया है।

22 अप्रैल 2025 की सुबह देश के लिए एक काले दिन की तरह आई. जम्मू-कश्मीर के मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस बार आतंकियों ने सुरक्षा बलों को नहीं बल्कि निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया. सीजन के चलते घाटी में भारी भीड़ थी, और इसी भीड़ को अपनी कायरता का शिकार बनाया गया. धमाकों और गोलियों की आवाज़ों से गुलजार वादियों में मातम पसर गया. इस हमले में कई लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए. जैसे ही ये खबर देशभर में फैली, गुस्से की लहर दौड़ गई. लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास में भारत की सबसे सख्त कूटनीतिक और रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में दर्ज होने जा रहा है.
मोदी सरकार का जवाब, सिर्फ बयान नहीं, एक्शन भी
पहलगाम हमले के कुछ ही घंटों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल, और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए. बैठक की गंभीरता से यह साफ हो गया था कि भारत अब सिर्फ ‘निंदा’ और ‘आक्रोश’ तक सीमित नहीं रहेगा. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में पहलगाम हमले की जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें सीमा पार से आतंकियों के लिंक साफ तौर पर उजागर हुए. इसके बाद भारत सरकार ने वो कदम उठाए, जो अब तक के इतिहास में पाकिस्तान के खिलाफ सबसे बड़ा कूटनीतिक हमला माना जा रहा है.
वीजा रद्द, 48 घंटे में देश छोड़ो
भारत सरकार ने सबसे पहले भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश जारी कर दिया. चाहे वे छात्र हों, व्यापारी हों, रिश्तेदारों से मिलने आए मेहमान हों, अब कोई भी भारत में नहीं रुक सकेगा. सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं. इसके साथ ही, दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (SAARC) के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली वीजा छूट भी रद्द कर दी गई है. सरकार ने इस कदम को "राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस" नीति का हिस्सा बताया है.
सिंधु जल संधि पर ऐतिहासिक फैसला
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में बनी सिंधु जल संधि को लेकर भी बड़ा फैसला किया गया. अब तक भारत इस संधि के तहत पाकिस्तान को तीन प्रमुख नदियों सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी उपलब्ध कराता रहा है. लेकिन CCS बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत अब पाकिस्तान की तरफ जाने वाले सिंधु जल के प्रवाह को पूरी तरह रोक देगा. यह फैसला पाकिस्तान की कृषि और जल व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान की रीढ़ पर कूटनीतिक चोट की तरह है.
पाकिस्तान से वापस बुलाए जा रहे हैं भारतीय राजनयिक
एक और बड़ा फैसला लिया गया इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के सभी कर्मचारियों और राजनयिकों को तुरंत भारत बुलाया जा रहा है. यह कदम भारत-पाक के राजनयिक रिश्तों में अब तक की सबसे बड़ी कटौती मानी जा रही है. इसके अलावा, पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारियों को भी देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है. भारत सरकार ने यह संदेश साफ तौर पर दे दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंक के नेटवर्क को पनाह देगा, तब तक सामान्य रिश्तों की कोई गुंजाइश नहीं है.
क्या अगला कदम एयरस्ट्राइक होगा?
मोदी सरकार के इन फैसलों के बाद अब चर्चा इस बात की है कि क्या भारत एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक जैसे कदम उठाएगा. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी, और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयरस्ट्राइक की गई थी. अब जब पाकिस्तान की ओर से फिर से नागरिकों को निशाना बनाया गया है, और उसका हाथ इस हमले में सामने आया है, तो जनता और सेना दोनों बदले की मांग कर रहे हैं. हालांकि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हर विकल्प पर विचार किया जा रहा है.
सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, हर तरफ सिर्फ एक ही सुर है अब और नहीं. लोग कह रहे हैं कि सिर्फ बातें नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए. मोदी सरकार के सख्त फैसलों ने जनता को उम्मीद दी है कि आतंक के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई छेड़ी जाएगी. भारत के इस रुख पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी आने लगी है. अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने भारत के "आत्मरक्षा के अधिकार" को समर्थन दिया है. वहीं, चीन और कुछ इस्लामिक देशों ने "संयम बरतने" की सलाह दी है. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा.
पहलगाम हमला भारत के लिए एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक निर्णायक मोड़ बन चुका है. मोदी सरकार के हालिया फैसलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब पाकिस्तान के साथ पुराने ढर्रे पर रिश्ते नहीं चलेंगे. वीजा रद्दीकरण से लेकर सिंधु जल पर रोक और राजनयिक स्तर की कटौती ये सभी कदम इस ओर इशारा कर रहे हैं कि भारत अब आतंक के खिलाफ "पूर्ण युद्ध नीति" पर आगे बढ़ रहा है.