‘अब देश चलाने के लिए भीख मांगनी पड़ रही है…’ बांग्लादेश प्लेन क्रैश पर युनूस ने मांगा फंड तो लोगों का फूटा गुस्सा, डिलीट किया पोस्ट
ढाका में हुए भीषण प्लेन क्रैश के बाद मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना हो रही है. इसी बीच यूनुस ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए देशवासियों से दान की अपील की. जिसे लेकर आम आदमी भड़क उठे और कहा कि यूनुस साहब को अब देश चलाने के लिए भीख मांगनी पड़ रही है.
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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए भीषण प्लेन क्रैश के बाद देश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचनाओं के केंद्र में आ गए हैं. जनता, हादसे में इस्तेमाल हुए पुराने चीनी ट्रेनी जेट को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रही है.
विवाद तब और बढ़ गया जब मोहम्मद यूनुस ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए देशवासियों से दान की अपील की. उनका कहना था कि जुटाए गए फंड से माइलस्टोन स्कूल पर हुए जेट हादसे में मारे गए और घायल लोगों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी. हालांकि, इस अपील को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली. कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या सरकार के पास आपदा पीड़ितों की मदद के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं?
तेज होती आलोचनाओं के बीच मोहम्मद यूनुस को अंततः अपनी फेसबुक पोस्ट डिलीट करनी पड़ी.
गौरतलब है कि सोमवार को बांग्लादेश की सेना का एक ट्रेनी जेट तकनीकी खराबी के चलते माइलस्टोन स्कूल की इमारत पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
चंदा मांगकर फंस गए यूनुस
ढाका में हुए सैन्य ट्रेनी जेट क्रैश के बाद आलोचनाओं में घिरे बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की फेसबुक पोस्ट को लेकर नया खुलासा हुआ है. 'द डेली स्टार' की रिपोर्ट के मुताबिक, विवादास्पद फेसबुक पोस्ट 22 जुलाई 2025 को दोपहर 2:00 बजे के बाद मुख्य सलाहकार के आधिकारिक अकाउंट से प्रकाशित की गई थी.
इस पोस्ट में यूनुस ने नागरिकों से "मुख्य सलाहकार राहत और कल्याण कोष" में दान देने की अपील की थी, ताकि हादसे में मारे गए और घायल लोगों के परिवारों की मदद की जा सके.
पोस्ट के वास्तविक होने की पुष्टि तब हुई जब मुख्य सलाहकार के वरिष्ठ सहायक प्रेस सचिव फयेज अहमद ने इसे प्रेस विंग के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में भी साझा किया. इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह पोस्ट किसी फर्जी अकाउंट से नहीं, बल्कि यूनुस के अधिकृत सोशल मीडिया हैंडल से ही की गई थी.
हालांकि, सोशल मीडिया पर बढ़ते विरोध और आलोचना के चलते मोहम्मद यूनुस को यह पोस्ट हटानी पड़ी.
आलोचनाओं के बाद डिलीट करना पड़ा पोस्ट
मोहम्मद यूनुस की ओर से इस फेसबुक पोस्ट को डालते ही कमेंट्स की बाढ़ आ गई. कई राजनीतिक दलों समेत आम जनता ने यूनुस पर हमला किया. इस फेसबुक पोस्ट पर इतना बवाल बढ़ा कि आखिरकार इसे बिना कोई कारण बताए डिलीट कर दिया गया.
अमीन सोनी नाम के एक शख्स ने कहा कि यूनुस साहब को अब देश चलाने के लिए भीख मांगनी पड़ रही है.
वहीं एक दूसरे यूजर ने कहा कि मुख्य सलाहकार के आधिकारिक पेज से ऐसी पोस्ट का क्या मतलब है? क्या सरकार के पास पीड़ितों की मदद के लिए संसाधन नहीं हैं? यह जनता का अपमान है.
इधर एक दूसरे यूजर ने कहा कि पिछले साल के बाढ़ फंड का 1200 करोड़ टका का क्या हुआ? क्या आप फिर से अपनी स्कीम को लेकर आ गए हैं, हमारा बांग्लादेश एक मुल्क है, एनजीओ नहीं.
शेख हसीना की पार्टी का बड़ा बयान
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी, आवामी लीग, ने भी सरकार की तीखी आलोचना की है. पार्टी ने एक बयान में कहा "माइलस्टोन स्कूल और कॉलेज में लड़ाकू विमान के गिरने के बाद से छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और कर्मचारियों पर शासन द्वारा व्यवस्थित रूप से अत्याचार, छल और दमन की लहर चलाई जा रही है."
आवामी लीग ने आगे आरोप लगाया कि पिछले 24 घंटों में हताहतों की सही संख्या को छिपाने से लेकर, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की आक्रामक तैनाती, और छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों पर साउंड ग्रेनेड, आंसू गैस और गोलियों का प्रयोग तक, सरकार ने इस राष्ट्रीय संकट के समय में अपनी पूरी विफलता साबित कर दी है
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घटनास्थल पर सरकार के प्रतिनिधियों को झेलना पड़ा विरोध
मंगलवार को ढाका में हुए सैन्य विमान दुर्घटना के बाद राजधानी समेत पूरे देश में आक्रोश भड़क उठा. दुर्घटनास्थल और सचिवालय भवन के बाहर छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया और अंतरिम सरकार के शिक्षा सलाहकार व शिक्षा सचिव के तत्काल इस्तीफे की मांग की.
‘ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब सरकार के कानून और शिक्षा सलाहकार तथा मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन्हें छात्रों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार हादसे से जुड़ी अहम जानकारियों को छिपा रही है और पारदर्शिता की भारी कमी है.इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की स्थिति को और भी अस्थिर बना दिया है, और विपक्षी दबाव अब लगातार तेज होता जा रहा है.