अब घर पर कोई भी बच्चा नहीं होगा प्रताड़ना का शिकार, 'सुरक्षा मित्रम' रखेंगे पैनी नजर, घटना होने पर तुरंत होगा एक्शन, इस राज्य में लागू हुआ यह नियम
केरल सरकार ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा और प्रताड़ना से जुड़े मामलों को देखते हुए एक नया नियम लागू किया है. यहां 'सुरक्षा मित्रम' नाम की एक योजना शुरू की गई है, जहां बच्चों की घर पर भी नजर रखी जाएगी.
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केरल के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक खास अनोखी पहल शुरू की गई है, जिसके तहत अब इन बच्चों पर खास नजर रखी जाएगी. बता दें कि यहां 'सुरक्षा मित्रम' नाम की एक योजना शुरू की गई है, जिसके तहत बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा कि कहीं उनके माता-पिता उन्हें परेशान तो नहीं कर रहे हैं. इस बात की जानकारी केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री ने दी है.
अब स्कूली बच्चों पर खास नजर रखी जाएगी
बता दें कि केरल शहर में एक ऐसी अनोखी पहल शुरू की गई है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है. यहां अब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का ध्यान सिर्फ स्कूल में नहीं बल्कि घर पर भी रखा जाएगा. 'सुरक्षा मित्रम' योजना के माध्यम इस बात का पता लगाया जाएगा की कहानी बच्चों पर पेरेंट्स पढ़ाई का या किसी भी तरह का दुर्व्यवहार तो नहीं कर रहे हैं. खासतौर से बच्चों के सौतेले माता-पिता द्वारा इस तरह की घटनाएं सामने आने के बाद इस योजना को शुरू किया गया.
आखिर क्यों शुरू की गई यही योजना?
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने बताया कि यहां के तटीय जिले में एक सौतेली माता और पिता द्वारा बच्चे पर कथित दुर्व्यवहार की घटना सामने आई थी, जिसके चलते यह कदम उठाया गया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में योजना की शुरुआत करते हुए शिवनकुट्टी ने बताया कि बच्चों के खिलाफ हिंसा किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है. बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा सामान्य शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना के माध्यम से उन बच्चों पर जोर दिया जाएगा जो अपने माता-पिता से पीड़ित है. इसमें बच्चों के नाम उजागर ना हो इस बात का भी खास ध्यान दिया जाएगा.
सभी विद्यालयों में 'सहायता पेटी' लगाई जाएगी
जानकारी के लिए बता दें कि केरल सरकार द्वारा शुरू की गई, इस योजना के तहत सभी विद्यालयों में एक 'सहायता पेटी' लगाई जाएगी. यहां छात्र अपनी समस्याएं बता सकेंगे. स्पीति की पूरी जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापिका की होगी, जिन्हें कम से कम सप्ताह में एक बार खोलकर उस रिपोर्ट की समीक्षा करनी होगी. अगर किसी भी तरह से कोई मामला सामने आता है, तो इससे जुड़ी संबंधित जानकारी सामान्य शिक्षा विभाग को देनी होगी.
शिक्षकों को दिया जाएगा विशेष प्रशिक्षण
इस योजना के तहत सभी शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वह इस बात का पता लगा सके कि बच्चों के व्यवहार में पहले से कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है. इसके अलावा बच्चों के सहयोगी वातावरण को भी बनाने के लिए मैत्रीपूर्ण संवाद और सावधानीपूर्वक अवलोकन पर जोर दिया जाएगा. फिलहाल इस पहल की शुरुआत हो गई है और आने वाले समय में अगर यह सफल रहा, तो कई अन्य राज्यों की भी सरकारें इसे लागू कर सकती हैं.
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