राम मंदिर को लेकर नई अर्जी! सुप्रीम कोर्ट से कौन से सबूत मांगने जा रहा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देने जा रहा है कि जिन पुरातात्विक साक्ष्य, जो भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की खुदाई में मिले थे, जो बाद में राम मंदिर के पक्ष में आए ऐतिहासिक फैसले का आधार बने, उन्हें वापस लौटाया जाए.
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करीब 500 साल के संघर्ष, कोर्ट-कचहरी में लंबी कानूनी लड़ाई, साक्ष्यों के अधार पर जोरदार सवाल-जवाब के बाद बने राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और शिखर पर भगवा ध्वज की स्थापना के बाद श्री राम जन्मभूमि मंदिर की पूर्णाहुति हो गई है. इसी बीच एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर-बाबरी ढांचा विवाद में पेश किए गए सबूतों और साक्ष्यों से संबंधित दस्तावेजों को लौटाने की मांग की है. कहा जा रहा है कि इन साक्ष्यों को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर परिसर के संग्रहालय (म्यूजियम) में संरक्षित और प्रदर्शित किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट से कौन से सबूत मांग रहा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट?
आपको बता दें कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देने जा रहा है कि जिन पुरातात्विक साक्ष्य, जो भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की खुदाई में मिले थे, जो बाद में राम मंदिर के पक्ष में आए ऐतिहासिक फैसले का आधार बने, उन्हें वापस लौटाया जाए, ताकि इन्हें सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाए. मालूम हो कि ये सबूत फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में हैं. ट्रस्ट अब न्यायालय को एक औपचारिक पत्र लिखकर इन दस्तावेजों और साक्ष्यों को सौंपने का अनुरोध करेगा.
राम मंदिर के कौन से दो निर्माण कार्य बाकी?
श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने इस संबंध में कहा कि चुकि मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है. अब निर्माण की दृष्टि से मंदिर से संबंधित केवल दो कार्य शेष हैं. पहला, पुराने मंदिर का स्मारक बनाना है, और दूसरा, बलिदान देने वालों को हमारी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु एक स्मारक का निर्माण करना है. कल की समीक्षा से प्रतीत होता है कि ये दोनों कार्य मार्च 2026 तक पूरे हो जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि "चुकि अब फैसले को चुनौती देने वाला कोई नहीं है, इसलिए कोर्ट से आग्रह किया जाएगा कि वे ऐतिहासिक साक्ष्य ट्रस्ट को सौंप दें. इन्हें मंदिर परिसर में रामायण काल से जुड़े प्रसंगों की एक विशेष गैलरी में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ संजोकर रखा जाएगा."
IIT चेन्नई के साथ सहयोग से बनेगी विशेष गैलरी!
इस संग्रहालय और विशेष गैलरियों के वैज्ञानिक प्रस्तुतीकरण और निर्माण के लिए IIT चेन्नई के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) किया जा रहा है. उम्मीद है कि मार्च 2026 तक ये गैलरियां पूरी तरह तैयार हो जाएंगी. इनमें खुदाई के दौरान मिले प्राचीन अवशेषों के साथ-साथ रामायण काल की अहम घटनाओं को आधुनिक तकनीक के जरिए जीवंत तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा.
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