'यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके सामने खड़ा हूं...', स्पाइन सर्जनों को संबोधित करते हुए बोले गौतम अडानी, कहा - सपने वह जो नींद उड़ा देते हैं
उद्योगपति गौतम अडानी ने मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी एशिया-पैसिफिक (SMISS-AP) के 5वें वार्षिक सम्मेलन में डॉक्टरों के लिए संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके सामने खड़ा हूं. मैं देश के सबसे अच्छे डॉक्टर्स को संबोधित कर रहा हूं. आप लोग जो काम कर रहे हैं. मैं उसके लिए आपको सैल्यूट करता हूं.' इस खास मौके पर गौतम अडानी ने बताया कि उनकी ऑलटाइम फेवरेट मूवी मुन्नाभाई MBBS है और यह कहानी कॉमेडी नहीं, बल्कि बहुत कुछ सिखाती है.

उद्योगपति और अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने बुधवार को डॉक्टरों के एक वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान डॉक्टर्स की अहमियत बताई. इस दौरान उन्होंने अपनी शुरुआती संघर्ष वाली जिंदगी और मुंबई पहुंचने के पहले सफर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मेरी ऑलटाइम फेवरेट फिल्म मुन्नाभाई MBBS है. इसके अलावा उन्होंने फिल्म की कहानी का उदाहरण देते हुए डॉक्टर्स और मरीज के रिश्तों का भी मतलब समझाया.
'यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके सामने खड़ा हूं'
बता दें कि मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी एशिया-पैसिफिक (SMISS-AP) के 5वें वार्षिक सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान गौतम अडानी ने डॉक्टर्स की अहमियत बताते हुए कहा कि 'यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके सामने खड़ा हूं. मैं देश के सबसे अच्छे डॉक्टर्स को संबोधित कर रहा हूं. आप लोग जो काम कर रहे हैं, मैं उसके लिए आपको सैल्यूट करता हूं. आपकी मानवता आपकी काबिलियत के बारे में बताती है. यह पूरे विश्व को एक ताकत और मजबूती प्रदान करती है. भले ही आप स्पाइन के डॉक्टर हैं, लेकिन मरीज के लिए आप इससे भी ज्यादा बढ़कर हैं. आपसे ही आशा है. ठीक होना एक उम्मीद और मानवता है.'
'मेरी ऑलटाइम फेवरेट मूवी है मुन्नाभाई MBBS'
उद्योगपति गौतम अडानी ने इस संबोधन में बताया कि उनकी ऑलटाइम फेवरेट मूवी मुन्ना MBBS है. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'यह फिल्म कॉमेडी के लिए नहीं, बल्कि इसमें एक खास संदेश है. इसमें मुन्नाभाई लोगों को दवा से नहीं, इंसानियत से ठीक करते हैं. चाहे मुन्ना भाई की जादू की झप्पी हो या फिर सर्जरी का स्कैल्पल, दोनों में एक ही बात दिखती है और वह है इंसानियत.'
'सपने वह हैं जो नींद उड़ा देते हैं'
अडानी ने मुन्नाभाई MBBS फिल्म के आगे का किस्सा शेयर करते हुए कहा कि 'सपने वह नहीं है, जो नींद में आते हैं. सपने वह हैं, जो नींद उड़ा देते हैं. इस फिल्म में बापू ने कहा था कि अगर बदलाव लाना है तो सोच बदलनी होगी.'
'16 की उम्र में मैंने एक बड़ा फैसला लिया'
गौतम अडानी ने इस दौरान अपनी सफलता की जर्नी के दौरान संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि 'मैंने इस भरोसे की वजह से 16 साल की उम्र में एक बड़ा फैसला लिया. मैं ट्रेन के सेकंड क्लास का एक टिकट खरीदा और मुंबई के लिए निकल पड़ा. इस दौरान मेरे पास ना कोई डिग्री थी, ना ही कोई जॉब और ना ही किसी तरह का बैकअप था. मेरे पास अगर कुछ था भी, तो वह था कुछ कर दिखाने का जोश. यह सच है कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो, पूरी कायनात तुमसे मिलाने की साजिश में लग जाती है.'
'सपने वह नहीं जो नींद में आते हैं'
अडानी ने अपने अब तक के सफर का किस्सा शेयर करते हुए बताया कि 'सपने वह नहीं जो नींद में आते हैं, सपने वह हैं जो नींद उड़ा देते हैं. जब मैं मुंबई में सेटल होने के बाद, फिर से अहमदाबाद भाई की पीवीसी फैक्ट्री चलाने के लिए वापस गया, तो यह बात साल 1981 की है. इन सभी अनुभवों ने मेरी सोच को हमेशा के लिए बदल दिया.'
'बदलाव लाना है तो सोच बदलनी होगी'
अडानी ने मुन्नाभाई फिल्म की कहानी का उदाहरण देते हुए महात्मा गांधी की बातों का जिक्र करते हुए कहा कि 'मुन्नाभाई फिल्म की सबसे गहरी बातों में से एक यह है कि बापू ने कहा था बदलाव लाना है, तो सोच बदलनी होगी. साल 1985 में श्री राजीव गांधी उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री थे. उस दौरान उन्होंने लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार कर इकॉनमी के लिब्राइजेशन का काम किया. यह एक छोटा पर अच्छा रिफार्म था.'
'1991 में देश को बुरे दिनों का सामना करना पड़ा'
उन्होंने कहा कि 'साल 1991 में भारत को अपने सबसे बुरे दिनों का सामना करना पड़ा. उस समय हमारे देश में आयात करने के लिए सिर्फ 10 दोनों का ही विदेशी मुद्रा भंडार था. भारत ने लाइसेंस राज की कई चुनौतियों का सामना किया था. उसके बाद देश को डीवैल्यूएशन, डीरेग्यूलेशन और ग्लोबलाइजेशन के जरिए लाइसेंस राज से मुक्ति मिली.'