अमेरिका में अवैध तरीके से घुसे भारतीयों की घर वापसी, तीसरा जत्था अमृतसर पहुंचा
अमेरिका से 112 भारतीयों को डिपोर्ट कर एक सैन्य विमान के जरिए अमृतसर एयरपोर्ट पर लाया गया। बीते कुछ दिनों में यह तीसरा मौका है जब अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित कर वापस भेजा गया है। इनमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब, हरियाणा और गुजरात से हैं। अमेरिका की कड़ी इमिग्रेशन नीति के तहत अवैध प्रवासियों को पकड़ा गया और निर्वासित किया गया।
17 Feb 2025
(
Updated:
07 Dec 2025
01:46 AM
)
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अमृतसर एयरपोर्ट पर सोमवार की सुबह एक बार फिर एक बड़े विमान की लैंडिंग हुई, लेकिन यह कोई आम उड़ान नहीं थी। यह अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 112 भारतीयों को लेकर आ रहा अमेरिकी सैन्य विमान था। बीते कुछ दिनों में यह तीसरी बार हुआ है जब अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है। यह मुद्दा अब राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी बहस का केंद्र बनता जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये लोग अमेरिका कैसे पहुंचे? किस परिस्थिति में इनकी गिरफ्तारी हुई? और सबसे बड़ा सवाल—भारत सरकार इनके भविष्य को लेकर क्या कदम उठा रही है?
कौन हैं ये लोग और कहां से आए हैं?
अमेरिका से लौटाए गए इन 112 भारतीयों में से 31 पंजाब से, 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से, दो उत्तर प्रदेश से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से हैं। ये सभी लोग अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने या वहां रहने के आरोप में पकड़े गए थे। अमेरिका की कड़ी इमिग्रेशन नीति के तहत इन सभी को वापस भारत भेजा गया। यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले शनिवार को भी 116 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित कर एक विशेष सैन्य विमान के जरिये अमृतसर एयरपोर्ट पर उतारा गया था। इन निर्वासितों में 65 लोग पंजाब के, 33 हरियाणा के, 8 गुजरात के और अन्य राज्यों से थे। इससे पहले 5 फरवरी को भी ऐसा ही एक विमान 104 भारतीयों को लेकर भारत पहुंचा था।
कैसे पकड़े गए ये अवैध प्रवासी?
अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करना आसान नहीं है, लेकिन हर साल हजारों भारतीय मानव तस्करों के जाल में फंसकर या जोखिम भरे रास्तों से अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। इनमें से कई लोग मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में दाखिल होते हैं, जहां अमेरिकी बॉर्डर सिक्योरिटी उन्हें पकड़कर डिटेंशन सेंटर में भेज देती है। जो लोग अमेरिका में पहले से अवैध रूप से रह रहे होते हैं, उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाती है। पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी इमिग्रेशन ऐंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को पकड़ा और उन्हें निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू की।
भारत लौटने वाले कई प्रवासियों ने दावा किया कि अमेरिका में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। कई लोगों ने कहा कि उन्हें यात्रा के दौरान बेड़ियों में रखा गया और उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों में सफर करना पड़ा। सबसे ज्यादा चर्चा का विषय सिख समुदाय के उन लोगों का मुद्दा बना, जिन्हें कथित तौर पर पगड़ी पहनने की अनुमति नहीं दी गई। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। SGPC ने अमृतसर एयरपोर्ट पर लंगर सेवा और निर्वासितों के लिए सहायता उपलब्ध कराई, जिसमें सिखों को नई पगड़ियां दी गईं ताकि वे अपनी धार्मिक पहचान फिर से धारण कर सकें।
अवैध प्रवास की समस्या क्यों बढ़ रही है?
हर साल हजारों भारतीय अवैध रूप से अमेरिका, कनाडा और यूरोप जाने का प्रयास करते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं—आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, बेहतर जीवन की तलाश, और मानव तस्करों के झूठे दावों में फंसकर लोग अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। मानव तस्कर इन लोगों को अवैध तरीकों से विदेश भेजने के लिए लाखों रुपये लेते हैं। अधिकतर मामलों में ये लोग वीजा फर्जीवाड़ा, नकली दस्तावेज या मैक्सिको जैसे खतरनाक रास्तों का सहारा लेते हैं। लेकिन अमेरिकी सरकार की सख्ती के कारण इनमें से कई लोगों को डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाता है और फिर उन्हें उनके मूल देश में वापस भेज दिया जाता है।
अमेरिका से लौटने के बाद इन प्रवासियों का भविष्य अब भारत में ही तय होगा। कई लोग बेरोजगारी और वित्तीय संकट के कारण विदेश गए थे, लेकिन अब उन्हें फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में प्रवासी सहायता समूह इन लोगों को रोजगार दिलाने और पुनर्वास में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, यह समस्या इतनी सरल नहीं है, क्योंकि कई लोग भारी कर्ज लेकर विदेश गए थे और अब उनके पास कोई आर्थिक सहारा नहीं बचा है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले पर भारत और अमेरिका की सरकारें क्या कदम उठाती हैं और क्या अवैध प्रवास को रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाई जाती है या नहीं।
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