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'आखिर कब तक बचाएंगे भगवान राम और शिवाजी...', RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा - हर हिंदू को खुद उठानी होगी जिम्मेदारी

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 'RSS की 100 वर्ष यात्रा नए क्षितिज' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख ने कहा कि 'विविधता में भी एकता है और विविधता एकता का ही नतीजा है. कुछ लोग जानते हैं, लेकिन खुद को हिंदू नहीं मानते, जबकि कुछ अन्य इसे नहीं जानते.'

27 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
11:44 PM )
'आखिर कब तक बचाएंगे भगवान राम और शिवाजी...',  RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा - हर हिंदू को खुद उठानी होगी जिम्मेदारी

RSS के 100 साल पूरे होने पर देश के अलग-अलग क्षेत्रों में तमाम कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे और प्रतिष्ठित हस्तियों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने एकता की जरूरत पर जोर दिया. मोहन भागवत ने विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत माता के प्रति समर्पण और पूर्वजों की परंपरा है, जो सभी के लिए समान है. इस दौरान उन्होंने RSS के उद्देश्य को भी परिभाषित किया. उन्होंने भेदभाव पर भी अपना संबोधन दिया. 

विविधता में भी एकता है - RSS प्रमुख मोहन भागवत 

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 'RSS की 100 वर्ष यात्रा नए क्षितिज' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख ने कहा कि 'विविधता में भी एकता है और विविधता एकता का ही नतीजा है. कुछ लोग जानते हैं, लेकिन खुद को हिंदू नहीं मानते, जबकि कुछ अन्य इसे नहीं जानते.'

'पूरे समाज को हमें संगठित करना है'

RSS प्रमुख भागवत ने कहा कि 'पूरे समाज को हमें संगठित करना है, संघ के मन में एक बात है. अगर यह लिखा जाता है कि संघ के कारण देश बचा तो ऐसा नहीं है. हम ऐसा नहीं करना चाहते. रावण से दुनिया त्रस्त थी. राम नहीं होते, तो क्या होता और शिवाजी नहीं होते, तो क्या होता? इसलिए दूसरों को ठेका देना सही नहीं है. देश हम सब की जिम्मेदारी है.' 

'पूर्वजों की परंपरा है जो सभी के लिए समान है'

इस खास मौके पर भागवत ने यह भी कहा कि 'कार्यक्रम की विषयवस्तु भौगोलिक नहीं है, बल्कि भारत माता के प्रति समर्पण और पूर्वजों की परंपरा है, जो सभी के लिए समान है. हमारा डीएनए भी एक है. सद्भावना से रहना हमारी संस्कृति है. हम एकता के लिए एकरूपता को जरूरी नहीं मानते.'

RSS के उद्देश्य पर भी बोले भागवत 

मोहन भागवत ने RSS का उद्देश्य समझाते हुए कहा कि 'भारत आजादी के 75 वर्षों में वह वांछित दर्जा हासिल नहीं कर सका, जो उसे मिलना चाहिए था. RSS का उद्देश्य देश को विश्वगुरु बनाना है और दुनिया में भारत के योगदान का समय आ गया है.' 

'हर किसी की अपनी भूमिका होगी'

भागवत ने आगे कहा कि 'अगर हमें देश का उत्थान करना है, तो यह किसी एक पर छोड़ देने से नहीं होगा. हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होगी. नेताओं, सरकारों और राजनीतिक दलों की भी भूमिका इस प्रक्रिया में सहायता करना है.'

भारतीय लोगों ने कभी नहीं किया भेदभाव - RSS प्रमुख 

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RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि 'मुख्य कारण समाज का परिवर्तन और उसकी क्रमिक प्रगति होगी. प्राचीन काल से ही भारतीयों ने कभी लोगों के बीच भेदभाव नहीं किया, क्योंकि वह यह समझते थे कि सभी और विश्व एक ही दिव्यता से बंधे हैं. हिंदू शब्द का प्रयोग बाहरी लोग भारतीयों के लिए करते थे. हिंदू अपने मार्ग पर चलने और दूसरों का सम्मान करने में विश्वास रखते हैं. न कि किसी मुद्दे पर लड़ने में, वह समन्वय में विश्वास रखते हैं.'

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