Advertisement

हरियाणा सरकार ने जेल नियमों में किया बड़ा बदलाव, महिला कैदियों के बच्चों को मिलेगी ये सुविधाएं

Haryana: हरियाणा सरकार का यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि मानवता और संवेदनशीलता से भरा कदम है. यह फैसला बताता है कि कानून के साथ-साथ सरकार मानवीय मूल्यों को भी उतनी ही अहमियत दे रही है.

Image Source: Social Media

Nayab Singh Saini: हरियाणा सरकार ने जेलों में बंद महिलाओं और उनके छोटे बच्चों के हित में एक बहुत ही संवेदनशील और मानवीय फैसला लिया है. अब जेल में बंद महिलाएं अपने बच्चों को 6 साल की उम्र के बजाय 8 साल की उम्र तक अपने साथ रख सकेंगी. इस फैसले से उन बच्चों को बड़ी राहत मिलेगी, जो अब तक कम उम्र में ही अपनी मां से अलग होने के लिए मजबूर हो जाते थे. सरकार का मानना है कि मां की देखरेख में रहने से बच्चों का मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास बेहतर होता है.

मां-बच्चे को अलग करना मानसिक रूप से नुकसानदेह


जेल विभाग के महानिदेशक (डीजी) ने साफ तौर पर कहा है कि मां और बच्चे को कम उम्र में अलग करना दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. बच्चे डर, असुरक्षा और अकेलेपन का शिकार हो सकते हैं, वहीं मां के लिए भी यह स्थिति बेहद पीड़ादायक होती है.इसी सच्चाई को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह अहम फैसला लिया है, ताकि बच्चों को मां का प्यार और संरक्षण लंबे समय तक मिल सके.

जेल के अंदर ही बच्चों के पालन-पोषण की पूरी व्यवस्था

सरकार और जेल प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि जेल में रहने वाले बच्चों को किसी भी तरह की कमी महसूस न हो. इसके लिए जेल परिसर के अंदर ही पढ़ाई की सुविधा, पौष्टिक भोजन, नियमित स्वास्थ्य जांच और खेलकूद की व्यवस्था की जा रही है. बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास का पूरा ध्यान रखा जाएगा, ताकि वे सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें.

17 जेलों में बनाए गए क्रैच (पालना घर)


हरियाणा की जेलों में बच्चों की जरूरतों को देखते हुए प्रदेश की 17 जेलों में क्रैच बनाए गए हैं. इन क्रैच में छोटे बच्चों की देखभाल के लिए जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं। यहां बच्चों के खेलने, आराम करने और सीखने के लिए सुरक्षित माहौल दिया जाता है. प्रशिक्षित स्टाफ बच्चों की देखरेख करता है, जिससे कामकाजी मांओं को भी राहत मिलती है.

महिला कैदियों के लिए विशेष व्यवस्था


हरियाणा में कुल 20 जेलें हैं, जिनमें से 17 जेलों में महिला वॉर्ड स्थापित हैं. इन महिला वॉर्डों में महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग सुविधाएं दी गई हैं. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों की मांओं के लिए अतिरिक्त देखभाल की व्यवस्था की गई है. यह कदम महिला कैदियों के प्रति सरकार की संवेदनशील सोच को दर्शाता है.

बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने की कोशिश

सरकार का मानना है कि जेल में जन्मे या रहने वाले बच्चे किसी अपराध के दोषी नहीं होते. इसलिए उनके भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए. 8 साल तक मां के साथ रहने की अनुमति से बच्चों को भावनात्मक सुरक्षा मिलेगी और उनके व्यक्तित्व विकास में मदद मिलेगी. यह फैसला बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है.

एक सकारात्मक और सराहनीय पहल


हरियाणा सरकार का यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि मानवता और संवेदनशीलता से भरा कदम है. यह फैसला बताता है कि कानून के साथ-साथ सरकार मानवीय मूल्यों को भी उतनी ही अहमियत दे रही है. इससे न केवल जेल में बंद महिलाओं को राहत मिलेगी, बल्कि उनके बच्चों को भी बेहतर और सुरक्षित बचपन मिल सकेगा.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE