मां पर जबरन आश्रम में छोड़ने का आरोप, 7 साल की बच्ची की दीक्षा पर कोर्ट ने लगाई रोक, जानें पूरा मामला
महिला पर आरोप है कि वह बच्ची को एक गुरु के आश्रम में अकेला छोड़ आती थी. वह इस पर अड़ी थी कि बेटी को उसके और पिता की मर्जी के बिना जल्द से जल्द दीक्षा दिलाई जाए.
Follow Us:
गुजरात (Gujarat) में एक सात साल की जैन बच्ची की दीक्षा का मामला कोर्ट पहुंच गया है. हाल ही में सूरत से आया एक मामला काफी सुर्खियों में रहा था. जिसमें सात साल की बच्ची दीक्षा लेने जा रही थी, लेकिन कोर्ट ने अब बच्ची दीक्षा पर रोक लगा दी है.
सूरत के फैमिली कोर्ट (Surat Family Court) ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट का यह फैसला बच्ची के पिता की याचिका पर सुनाया है. पिता ने बच्ची की दीक्षा के खिलाफ फैमिली कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी पत्नी अलग रह रही है और उसने मर्जी के बिना बच्ची को दीक्षा दिलाने (भिक्षु) का फैसला लिया है. बच्ची महज 7 साल की है.
पिता ने कोर्ट ने क्या कहा?
सूरत फैमिली कोर्ट के जस्टिस एस वी मंसूरी ने फिलहाल बच्ची की दीक्षा पर रोक लगा दी है. दीक्षा का कार्यक्रम 8 फरवरी 2026 को मुंबई में होने वाला था. बच्ची के पिता की ओर से वकील एस मेहता कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा, अदालत को बताया गया कि करीब एक साल पहले इस मुद्दे पर विवाद के बाद महिला अपने पति का घर छोड़कर बच्चों के साथ मायके चली गई थी. 10 दिसंबर को बच्ची के पिता ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर बेटी की कस्टडी मांगी थी. याचिका, गार्जियंस एंड वार्ड्स एक्ट 1890 के तहत दाखिल की गई थी.
यह भी पढ़ें- दर्दभरी जिदंगी या मौत… 12 साल से ‘बेजान’ बेटे के लिए पिता ने मांगी ‘इच्छामृत्यु’, केस देखकर जज भी हुए इमोशनल
पिता ने कहा कि उन्होंने पत्नी से इस मुद्दे पर चर्चा की थी और दोनों इस बात पर सहमत थे कि बच्ची परिपक्व उम्र में ही साध्वी बनने का फैसला ले, लेकिन पत्नी ने फरवरी 2026 में मुंबई में सामूहिक दीक्षा समारोह में बच्ची की दीक्षा पर जोर दिया. वह बच्चों को लेकर मायके चली गई और वापसी के लिए ये शर्त रखी कि जब तक दीक्षा के लिए सहमति नहीं बनेगी वो वापस नहीं आएगी. पिता का तर्क था कि बच्ची केवल सात साल की है और इतने बड़े फैसले को खुद नहीं ले सकती. यह फैसला उसके बालिग होने पर छोड़ देना चाहिए.
बच्ची को आश्रम में अकेले छोड़ने का आरोप
शख्स ने अपनी पत्नी पर ये भी आरोप लगाया कि वह बेटी को धार्मिक कार्यक्रमों में ले जाती थी. एक बार उसने बिना इजाजत के बच्ची को अहमदाबाद के एक गुरु के आश्रम में अकेला छोड़ दिया था. इसके बाद मुंबई में जैन मुनि के आश्रम में भी बच्ची को छोड़े जाने का दावा किया गया. पिता ने आरोप लगाया कि पत्नी जानबूझकर बच्चों को पिता से नहीं मिलने देती.
अदालत ने पिता की याचिका पर लड़की की दीक्षा पर अंतरिम रोक लगाने की याचिका स्वीकार कर ली और अगली सुनवाई दो जनवरी के लिए तय की है. अदालत ने लड़की की मां को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. जिसमें यह बताया जाए कि बच्ची दीक्षा समारोह में शामिल नहीं लेगी.
Advertisement
यह भी पढ़ें
Advertisement