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आंख मारने वाली विवादित पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने माफी मांगी, कहा - मजाक में यह बात कही थी...

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने विवादित पोस्ट को डिलीट कर माफी मांगी है. बता दें कि हाल ही में उन्होंने अपनी पोस्ट में एक महिला वकील को सलाह देते हुए लिखा था कि 'जिन महिला वकीलों ने मुझे अदालत में आंख मारी, उन्हें अनुकूल आदेश मिले. महिला वकील ने उनसे सलाह मांगी थी कि किसी मामले में प्रभावशाली ढंग से बहस कैसे की जाए.'

आंख मारने वाली विवादित पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने माफी मांगी, कहा - मजाक में यह बात कही थी...

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने विवादित पोस्ट को डिलीट कर माफी मांगी है. दरअसल, जस्टिस काटजू ने हाल ही में एक महिला वकील को सलाह देते हुए लिखा था कि जज को आंख मारकर अनुकूल फैसले हासिल किए जा सकते हैं, उनके इस बयान के बाद भयंकर बवाल मचा था. इस प्रतिक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट वुमन लॉयर्स एसोसिशन ने जस्टिस काटजू के आपत्तिजनक और महिला विरोधी बयान की कड़ी आलोचना की थी. काटजू ने यह विवादित टिप्पणी एक पोस्ट के जरिए की थी. हालांकि, उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है. बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि जब जस्टिस के किसी पोस्ट या बयान पर विवाद हुआ हो, पूर्व में भी वह कई मुद्दों पर विवादों में रहे हैं.  

'आंख मारने वाली बात मजाक में कही थी'

जस्टिस काटजू ने अपने विवादित पोस्ट को लेकर लिखा कि मैंने आंख मारने वाली बात मजाक में कही थी. अपनी पोस्ट मैंने कुछ देर बाद डिलीट भी कर दी थी. मुझे ऐसा लगता है कि महिला वकीलों ने मेरी बात को गंभीरता से ले लिया और दुखी हो गईं. इसलिए मैंने अपनी गलती मान ली. जस्टिस काटजू ने सुप्रीम कोर्ट वुमन लॉयर्स एसोसिएशन की मांग के मुताबिक अपने इस बयान को लेकर माफी भी मांगी है. 

क्या है पूरा मामला?

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दरअसल, जस्टिस काटजू ने हाल ही में कहा था कि जज को आंख मारकर अनुकूल फैसले हासिल किए जा सकते हैं, काटजू ने अपनी पोस्ट में एक महिला वकील को सलाह देते हुए लिखा था कि 'जिन महिला वकीलों ने मुझे अदालत में आंख मारी, उन्हें अनुकूल आदेश मिले. महिला वकील ने उनसे सलाह मांगी थी कि किसी मामले में प्रभावशाली ढंग से बहस कैसे की जाए. हालांकि, काटजू का जब यह पोस्ट वायरल होने लगा, तो उन्होंने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी. जस्टिस काटजू साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज सेवा में आए थे और साल 2011 में वह रिटायर हुए. 

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