अयोध्या में बसंत पंचमी पर श्रद्धालुओं का सैलाब, एक करोड़ का आंकड़ा पार!
अयोध्या में बसंत पंचमी के दौरान एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन हुआ। अयोध्या के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और प्रशासन ने इसे व्यवस्थित रूप से संभालने के लिए व्यापक इंतजाम किए। रामलला के दर्शन के लिए तीन लाख से अधिक श्रद्धालु रोज अयोध्या पहुंच रहे हैं।

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इस बार रामनगरी अयोध्या ने अपने इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 26 जनवरी से लेकर 3 फरवरी तक यानी बसंत पंचमी के मौके पर अयोध्या में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस अनोखी यात्रा को श्रद्धालुओं ने ‘बसंत’ के रूप में मनाया और राम के नाम में झूमते हुए इस धार्मिक नगरी में अपना समय बिताया।
अयोध्या, जो राम के भव्य मंदिर और श्रद्धा का केन्द्र है, अब न केवल धार्मिक महत्त्व के लिए बल्कि विशाल श्रद्धालुओं के आगमन के कारण चर्चा में है। इस बार बसंत पंचमी पर लाखों श्रद्धालुओं ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन किए और उनके चरणों में आस्था व्यक्त की। राम की धुन में श्रद्धालु पूरी अयोध्या में गूंजते रहे, वहीं प्रशासन ने अपनी मजबूत व्यवस्थाओं के जरिए इस श्रद्धालु बहुल नगरी को सुव्यवस्थित किया। अयोध्या के मंदिरों में भक्तों की कतारें लगातार लंबी होती चली गईं और हर श्रद्धालु श्रीराम के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जयकारे भी लगा रहा था।
बसंत पंचमी के दिन सुबह से ही अयोध्या के प्रमुख घाटों और मंदिर दर्शन और पूजा का सिलसिला शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने राम मंदिर, हनुमानगढ़ी और अन्य प्रमुख मठ-मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की। सबसे बड़ी बात यह थी कि इस दौरान राम मंदिर और हनुमानगढ़ी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थीं, और श्रद्धा की लहर हर किसी को अयोध्या में झूमने के लिए मजबूर कर रही थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन की विशेष टीमों को तैनात किया था ताकि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो। प्रशासनिक स्तर पर पर्याप्त इंतजाम किए गए थे, ताकि यातायात की व्यवस्था से लेकर सुरक्षा तक, सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा सके। बसंत पंचमी के दिन राम मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें रामलला को गुलाल और अबीर लगाया गया। इसके साथ ही रामलला को पीले वस्त्र पहनाए गए और भोग अर्पित किया गया। इसके साथ ही अयोध्या के मठ-मंदिरों में साधु-संतों ने रंग खेला और श्रद्धालुओं के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।
संगठित व्यवस्थाओं की सफलता
अयोध्या में इस श्रद्धालु सैलाब को देखना न केवल मंत्रमुग्ध करने वाला था, बल्कि प्रशासनिक सूझ-बूझ का भी प्रदर्शन था। अयोध्या में सुरक्षा और यातायात व्यवस्थाओं को संभालने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया था। इसके अलावा, बड़ी संख्या में पार्किंग और रोड डायवर्जन जैसे इंतजाम किए गए थे ताकि यातायात में कोई समस्या न हो। अयोध्या की सड़कों पर जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था। आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि रोड डायवर्जन कर दिया गया है और पार्किंग व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया है। सुरक्षा मानकों के आधार पर श्रद्धालुओं को राम मंदिर और हनुमानगढ़ी के दर्शन कराए जा रहे थे। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने कहा, “हमारे अधिकारी 24 घंटे मेला क्षेत्र में निगरानी बनाए हुए हैं। 25 से 30 हजार लोगों के ठहरने के इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा, खुले में सोने वालों को आश्रय स्थल में भेजने के लिए वाहन लगाए गए हैं।”
रामलला के दर्शन का महत्व
राम मंदिर के दर्शन की बात करें तो यह अयोध्या का सबसे अहम केंद्र है। रोजाना लगभग तीन लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। राम मंदिर के ट्रस्ट ने इस भव्यता को देखते हुए दर्शन के लिए मंदिर को 18 घंटे तक खोला है। इस दौरान श्रद्धालुओं को सहजता से दर्शन करवाए जा रहे हैं। राम मंदिर में अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं, ताकि किसी को भी किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। मंदिर के आसपास सुरक्षा का ख्याल रखते हुए सभी इंतजाम किए गए हैं। यहां तक कि पार्किंग और परिवहन की व्यवस्था भी बखूबी की गई है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो।
कुल मिलाकर, अयोध्या में इस बार बसंत पंचमी के मौके पर श्रद्धालुओं का एक अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या का रुख किया और यहां के मठ-मंदिरों में जाकर रामलला के दर्शन किए। इस पूरी प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से संकलित करने में प्रशासन का अहम योगदान रहा, और इसका परिणाम यह रहा कि सभी श्रद्धालुओं को सुख-सुविधा का अनुभव हुआ।
अयोध्या का यह बसंत पंचमी उत्सव न केवल राम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि यह प्रशासनिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का बेहतरीन उदाहरण भी था। अयोध्या ने यह साबित कर दिया कि जब श्रद्धा और संगठन का मिलाजुला रूप सामने आता है, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।