‘भीड़तंत्र हावी न हो…’, बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच शशि थरूर का दो टूक संदेश, यूनुस सरकार को सुझाया शांति का उपाय
बांग्लादेश में जारी हिंसा को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मीडिया संस्थानों पर हो रहे हमलों को प्रेस की आज़ादी और बहुलतावाद पर सीधा हमला बताया. सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा कि हिंसा के बजाय जनता की आवाज़ लोकतांत्रिक प्रक्रिया से सामने आनी चाहिए और अंतरिम सरकार को हालात काबू में लाने के कदम उठाने चाहिए.
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बांग्लादेश में चल रही हिंसक घटनाओं को लेकर भारत में भी चिंता का माहौल है. देश के कई नामचीन हस्तियों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विशेष रूप से वहां मीडिया पर हो रहे हमलों को लेकर गहरी नाराज़गी जताई. उनका कहना है कि यह सिर्फ प्रेस की आज़ादी पर प्रहार नहीं है, बल्कि बांग्लादेश की लोकतांत्रिक और बहुलतावादी सोच पर भी गंभीर चोट है. थरूर ने जोर देकर कहा कि किसी भी देश में जनता की राय हिंसा या अराजकता से नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया यानी चुनाव के माध्यम से सामने आनी चाहिए. साथ ही उन्होंने हिंसा पर काबू पाने के लिए यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को जरूरी कदम उठाने की सलाह भी दी.
शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर ज़ाहिर की चिंता
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश में जारी हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया अपने सोशल मीडिया के एक्स पर पोस्ट करते हुए जाहिर की है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'बांग्लादेश से आ रही खबरों से मैं बेहद चिंतित हूं. प्रोथोम आलो और डेली स्टार न्यूज के कार्यालयों पर लक्षित भीड़ के हमले और आगजनी सिर्फ दो मीडिया संस्थानों पर हमला नहीं है; यह प्रेस की स्वतंत्रता और एक बहुलवादी समाज की नींव पर हमला है. मैं संपादक महफूज अनम डीएस और अन्य साहसी पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं.'
बंद हुए भारतीय सहायक उच्चायोग पर भी रखी राय
अपने इसी पोस्ट में कांग्रेस सांसद थरूर ने बांग्लादेश के खुलना और राजशाही में बंद हुए भारतीय सहायक उच्चायोग को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया. उन्होंने कहा, 'बढ़ते सुरक्षा खतरों के कारण खुलना और राजशाही स्थित भारतीय सहायक उच्चायोगों में वीजा सेवाओं का जबरन निलंबन एक बड़ा झटका है. इस व्यवधान का सीधा असर उन छात्रों, मरीजों और परिवारों पर पड़ता है जो अंततः सीमा पार आवागमन में सामान्य स्थिति की झलक देख रहे थे. 12 फरवरी, 2026 को होने वाले राष्ट्रीय चुनावों के मद्देनजर, हिंसा और असहिष्णुता का यह माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अशुभ संकेत है.'
बांग्लादेश को थरूर ने दी नसीहत
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश को इस गंभीर समस्या से निकलने की नसीहत भी दी है. उन्होंने लिखा, 'एक स्थिर और समृद्ध पड़ोस के लिए, अंतरिम सरकार को निम्नलिखित सुनिश्चित करना होगा. पत्रकारों की सुरक्षा, पत्रकारों को अपने कार्यालयों में आग लगने के दौरान अपनी जान बचाने के लिए बेताब होकर संदेश भेजने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. भीड़तंत्र को हावी नहीं होने दिया जाना चाहिए.'
मोहम्मद यूनुस को व्यक्तिगत रूप से आना होगा आगे
राजनयिक मिशनों की सुरक्षा को महत्व देते हुए शशि थरूर ने लिखा,'राजनयिक मिशनों को सुरक्षित क्षेत्र बने रहना चाहिए, ताकि लोगों के बीच संपर्क और संबंध बने रहें. महत्वपूर्ण जन-संबंधों को बनाए रखने के लिए राजनयिक परिसर सुरक्षित क्षेत्र बने रहने चाहिए. लक्षित दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.' उन्होंने अपने पोस्ट में शांति बहाली को लेकर कहा कि यदि देश को इस परिवर्तन काल में किसी भी रूप में लोकतंत्र बनाए रखना है, तो भीड़तंत्र का स्थान रचनात्मक संवाद से लिया जाना चाहिए. अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्व करना होगा.'
बताते चलें कि पिछले वर्ष शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद से ही बांग्लादेश में हालात अस्थिर बने हुए हैं. शुरुआती दौर की हिंसा कुछ समय के लिए थमी जरूर थी, लेकिन एक छात्र नेता की हत्या के बाद स्थिति एक बार फिर तनावपूर्ण हो गई. इस घटना को लेकर कट्टरपंथी तत्वों ने सबसे पहले भारत पर आरोप लगाए और इसके बाद भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. हालात यहीं नहीं रुके, बल्कि इन्हीं उग्र समूहों ने एक हिंदू युवक की बेरहमी से पिटाई कर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद उसके शव को सार्वजनिक स्थान पर पेड़ से लटकाकर आग के हवाले कर दिया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई.
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