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26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का कबूलनामा, कहा- मैं पाकिस्तानी आर्मी का एजेंट था, लश्कर और ISI की साजिश से उठाया पर्दा

दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद तहव्वुर राणा ने पूछताछ के दौरान कबूल किया है कि वह 26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल था और पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट रहा है. राणा ने बताया कि उसने लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित ट्रेनिंग कैंपों में कई बार ट्रेनिंग लिया और उसका नेटवर्क एक आतंकी संगठन से ज्यादा जासूसी एजेंसी की तरह काम करता है. उसने यह भी माना कि उसका करीबी दोस्त डेविड हेडली हमले की प्लानिंग में सक्रिय था.

07 Jul, 2025
( Updated: 08 Jul, 2025
10:12 AM )
26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का कबूलनामा, कहा- मैं पाकिस्तानी आर्मी का एजेंट था, लश्कर और ISI की साजिश से उठाया पर्दा

दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद तहव्वुर राणा ने हाल ही में एक ऐसा कबूलनामा किया है, जिसने 26/11 मुंबई आतंकी हमले को लेकर कई गहरे राज उजागर कर दिए हैं. तहव्वुर राणा इस समय एनआईए की कस्टडी में है और उससे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच गहन पूछताछ कर रही है. इस पूछताछ में उसने न सिर्फ पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका पर बड़ा खुलासा किया, बल्कि खुद के पाकिस्तानी सेना का सबसे भरोसेमंद एजेंट होने का दावा भी किया. उसने स्वीकार किया कि वह 2008 में हुए मुंबई हमले की साजिश में शामिल था. 

आतंक की ट्रेनिंग और पाकिस्तान कनेक्शन
पूछताछ के दौरान तहव्वुर ने बताया कि वह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंपों में कई बार गया था और वहां बाकायदा ट्रेनिंग ली थी. उसका यह भी कहना है कि लश्कर सिर्फ एक आतंकी संगठन नहीं बल्कि एक ऐसा नेटवर्क है जो जासूसी एजेंसी की तरह काम करता है. तहव्वुर ने माना कि उसके दोस्त और साथी डेविड हेडली ने भी लश्कर-ए-तैयबा से कई बार ट्रेनिंग ली थी. यह वही डेविड हेडली है जिसने मुंबई अटैक की प्लानिंग में अहम भूमिका निभाई थी और बाद में अमेरिकी जांच एजेंसियों को कई अहम जानकारियां दी थीं. 

मुंबई हमले की साजिश और तहव्वुर की भूमिका
राणा ने कबूल किया कि 26/11 को अंजाम दिए गए हमले की योजना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी. यह पूरी तरह से पूर्व-नियोजित और सुनियोजित षड्यंत्र था. उसने बताया कि हमले से पहले वह मुंबई के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर गया था जिनमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भी शामिल है. उसका कहना है कि यह हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की सीधी निगरानी में हुआ था और पाकिस्तानी सेना ने ही उसे भारत में घुसपैठ करने और रेकी करने के लिए कई बार भेजा था. उसने यह भी बताया कि वह खाड़ी युद्ध के दौरान सऊदी अरब में भी तैनात रहा था और वहां भी पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क के लिए काम करता था.

न्यायिक प्रक्रिया और अगली सुनवाई
फिलहाल तहव्वुर राणा न्यायिक हिरासत में है और उसकी अगली पेशी 9 जुलाई को होनी है. पिछली सुनवाई सुरक्षा कारणों से वर्चुअल माध्यम से की गई थी. राणा के वकील ने कोर्ट के सामने उसके खराब स्वास्थ्य का मुद्दा भी उठाया था. अदालत ने इस पर तिहाड़ जेल प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी जिसे 9 जून तक प्रस्तुत करना था. संभावना है कि अगली सुनवाई भी वर्चुअल मोड के जरिए ही की जाएगी. यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसे लेकर हर अपडेट पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं.

डेविड हेडली से रिश्ते ने खोले कई राज
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की दोस्ती ने इस मामले में कई नए एंगल्स उजागर किए हैं. हेडली ने पहले ही जांच एजेंसियों को बताया था कि राणा ने उसकी मदद की थी और लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में लाने का कार्य किया था. हेडली के बयान से यह भी स्पष्ट हुआ था कि राणा न सिर्फ जानकार था बल्कि साजिश में सक्रिय रूप से शामिल भी था. अब जब राणा खुद इन सब बातों को स्वीकार कर रहा है, तो यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान का आतंकी नेटवर्क सिर्फ सीमा पार बैठा नहीं है, बल्कि भारत में घुसकर बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की ताक में रहता है.

पाकिस्तान की पोल खुली
राणा के इन बयानों से एक बार फिर पाकिस्तान की दोहरी नीति सामने आ गई है. एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंक के खिलाफ बताता है और दूसरी ओर उसकी सेना और खुफिया एजेंसियां लश्कर जैसे संगठनों को पाल-पोसकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करती हैं. यह भी पहली बार नहीं है जब कोई पाकिस्तानी एजेंट ने खुद को सेना का हिस्सा बताया हो. इससे पहले भी कई मामलों में आईएसआई की संलिप्तता सामने आ चुकी है, लेकिन राणा की स्वीकारोक्ति ने इस पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया है.

बताते चलें कि अब सवाल यह है कि क्या तहव्वुर राणा को भारत में उसके अपराधों की सजा मिलेगी? अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत आए इस आतंकी की सच्चाइयों ने जो भूचाल मचाया है, वह आने वाले समय में भारत-पाकिस्तान संबंधों और वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की छवि को गहरा झटका दे सकता है. भारतीय एजेंसियों के लिए यह एक मौका है कि वे तह तक जाकर सभी साजिशकर्ताओं को बेनकाब करें. मुंबई हमले के जख्म आज भी ताजा हैं और देश की जनता चाहती है कि हर दोषी को सख्त सजा दी जाए.

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