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भगवान विष्णु पर टिप्पणी, सोशल मीडिया पर आलोचना, CJI को देनी पड़ी सफाई

खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति मामले में कमेंट के बाद सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया है. आलोचनाओं के बीच अपने कमेंट को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

सीजेआई बीआर गवई ने भगवान विष्णु की मूर्ति मामले में कमेंट के बाद अब सफाई देते हुए कहा कि वह हर धर्म का सम्मान करते हैं. हालांकि वकीलों ने सीजेआई का बचाव किया है. 

सोशल मीडिया पर CJI की हुई तीखी आलोचना 

भगवान विष्णु की मूर्ति पर कमेंट का मामले तब सुर्खियों में आया, जब सीजेआई की उस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी तीखी आलोचना होने लगी, जिसमें सीजेआई ने कहा कि उनकी सोच में किसी भी धर्म के प्रति कोई अवमानना नहीं है. वह हर धर्म का सम्मान करते हैं। गुरुवार को सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ कर्नाटक में बड़े पैमाने पर अवैध लौह अयस्क खनन के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान उन्होंने अपनी बात रखी.

केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीजेआई का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वे मुख्य न्यायाधीश को पिछले दस वर्षों से जानते हैं और उनकी निष्ठा और संवेदनशीलता को पहचानते हैं. हालांकि, उन्होंने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि न्यूटन के नियम के अनुसार हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रियाएं अनुचित और अतिशयोक्ति से भरी नजर आ रही हैं.

सोशल मीडिया एक बेलगाम घोड़ा 

तुषार मेहता ने आगे कहा कि मुख्य न्यायाधीश सभी धार्मिक स्थलों से जुड़े स्थानों पर जाते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर हो रही प्रतिक्रिया को अनुचित करार दिया. इस विवाद के बीच वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया अब एक बेलगाम घोड़ा बन चुका है, जिसका खामियाजा हम सभी रोजाना भुगत रहे हैं. सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे की गई टिप्पणियां और अभद्रता समाज में बिखराव बढ़ा रही हैं.

इस पर सीजेआई ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि हाल ही में नेपाल में जो घटनाएं हुईं, उनके पीछे भी सोशल मीडिया की भूमिका थी. मुख्य न्यायाधीश का यह बयान सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका और उसके नकारात्मक प्रभाव पर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है.

दरअसल सीजेआई के नेतृत्व वाली एक पीठ ने खजुराहो मंदिर परिसर के एक हिस्से जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. सुनवाई के दौरान उनकी टिप्पणी का सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया था.

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