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अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर अमीरों के 10 लाख करोड़ माफ करने का आरोप लगाया है

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, अमीरों के करोड़ों के लोन माफ़ करने की जगह देश के किसानों और मिडिल क्लास के लोन माफ़ किए जाएँ, मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ भी कम किया जाए

29 Jan, 2025
( Updated: 29 Jan, 2025
10:56 AM )
अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर अमीरों के 10 लाख करोड़ माफ करने का आरोप लगाया है
सरकार के द्वारा लिया जाता है लेकिन इतना टैक्स वसूलने के बाद भी आपको क्या मिलता है वो आप लोग बेहतर तरीके से जानते है, एक गाड़ी अगर खरीदने जाते है तो, उस गाड़ी पर कंपनी जितना पैसा नहीं कमाती उससे ज्यादा पैसा सरकार टैक्स से कमा लेती है।आप पांच रुपए का सामान भी अगर खरीदने जाते है तो टैक्स देकर आते है।लेकिन दूसरी तरफ अरबपतियों का लाखों करोड़ों का कर्ज माफ कर दिया जाता है। RTI एक्टिविस्ट प्रफुल शारदा की एक RTI में मिली जानकारी के मुताबिक NDA सरकार ने  सात साल में 11 लाख करोड़ के कर्जे माफ किए है।जो यूपीए सरकार की तुलना में पांच गुणा ज्यादा है।इसी मुद्दे को अब केजरीवाल ने भी उठाया है।


केजरीवाल का कहना है कि सरकार अगर इन अरबपतियों का कर्जा माफ ना करें तो गरीबों से लिया जाने वाला टैक्स आधा रह जाएगा।

RTI के मुताबिक 2015 से लेकर 30 जून 2021 तक 11 लाख 19 हज़ार करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है, जबकि रिकवरी केवल 1 लाख करोड़ की है। यानी 10 लाख करोड़ का अभी भी शॉर्टफॉल है। इसमें सोचने वाली बात है कि RBI की गाइडलाइन, पालिसी कहां है।सबसे ज़्यादा इन्वॉल्वमेंट इसमें पब्लिक सेक्टर बैंकों का रहा है, जहां से लगभग साढ़े आठ लाख करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है।

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक सिर्फ कोरोना काल के 15 महीनों में 2,45,456 करोड़ रुपये के लोन को माफ किया गया। सरकारी बैंकों ने 1,56,681 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए जबकि निजी बैंकों ने 80,883 करोड़ के और फॉरेन बैंकों ने 3826 करोड़ लोन माफ किए। NBFC ने भी 1216 करोड़ के लोन माफ किए हैं जबकि शेड्यूल कॉमर्स बैंक ने 2859 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए।एक तरफ देश में इतने बड़े लोन माफ किए जा रहे है तो वहीं दूसरी तरफ देश का किसान कर्ज के बोझ लते दबा जा रहा है, कुछ हजार के लिए पुलिस लोगों को उनके घरों से उठा ले जाती है और दूसरी तरफ बड़े-बड़े लोन माफ किए जा रहे है।सोचने वाली बात है।

सरकार से सवाल पुछने वाली बात है।साल 2023  में सरकार ने संसद में खुद बताया था, कि 2014-2015 के दौरान 14.56 लाख करोड़ के कर्जे को एमपीए किया गया था।और मार्च  2023 तक सिर्फ दो लाख करोड़ की ही वसूली की जा सकी है।कर्जों को एनपीए की डालने की बात से सरकार भी इंकार नहीं कर रही है, लेकिन वसूली भी नहीं हो रही है।

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