इन 5 योग आसनों से बढ़ती उम्र में भी रहें बीमारियों से दूर...शरीर रहेगा एकदम फिट!
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे जोड़ों की मोबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द समेत अन्य समस्याएं आम बात बन जाती हैं. ऐसे में हमें ऐसे आसन करने चाहिए जो हमारे जोड़ों, एंकल जॉइंट्स और फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करें.

बढ़ती उम्र के साथ साथ शरीर में कई बदलाव आते हैं, जैसे कमजोर हड्डियां, जोड़ों का दर्द, बालों का झड़ना और बदन दर्द. ये समस्याएं आम हो जाती हैं और धीरे-धीरे कमजोर शरीर के लिए छोटी परेशानियां भी बड़ी लगने लगती हैं. हालांकि, योग विशेषज्ञ मानते हैं कि योग के अभ्यास से इन समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है. अगर बढ़ती उम्र में लाठी की जगह योग का साथ मिले, तो ये समस्याएं दूर हो सकती हैं.
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे जोड़ों की मोबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द समेत अन्य समस्याएं आम बात बन जाती हैं. ऐसे में हमें ऐसे आसन करने चाहिए जो हमारे जोड़ों, एंकल जॉइंट्स और फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करें.
बढ़ती उम्र में समस्याओं को दूर करने के लिए करें कौन से योग?
बढ़ती उम्र में समस्याओं को दूर करने के लिए कौन-कौन से योग करने चाहिए, इसकी सलाह देती हैं 'योग फॉर लाइफ' की ट्रेनर और को-फाउंडर कविता अरोड़ा. उन्होंने पांच ऐसे योगासनों के विषय में बताया, जो बुढ़ापे के लक्षण को कम करने के साथ ही संजीवनी की तरह हैं.
उन्होंने बताया, “बुढ़ापे या बढ़ती उम्र के साथ हमारे प्राइमरी जॉइंट्स कमजोर होने लगते हैं. हड्डियों के साथ ही मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं. जोड़ों में लचीलापन भी कम हो जाता है, जिससे रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम भी मुश्किल भरे हो जाते हैं. यहां तक कि झुकना-उठना, हल्का वजन उठाना भी भारी काम लगता है.”
उन्होंने आगे बताया, “शारीरिक मजबूती बनाए रखने के लिए हमें ऐसे आसन करने चाहिए जो हमारे जोड़, खासकर टखने और कूल्हे के जोड़ों की मोबिलिटी और कमर की फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करें.”
पांच ज़रूरी आसन जो मांसपेशियों और हड्डियों को करें मजबूत
पांच आसन, जिनमें वायु निष्कासन, वीरभद्रासन, फलकासन, उष्ट्रासन, छिपकली मुद्रा मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने के साथ मोबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करते हैं. ये आसन शरीर के वजन को संतुलित कर मजबूती देने में भी मददगार होते हैं.
वायु निष्कासन
वायु निष्कासन या पवनमुक्तासन शरीर से वायु को बाहर निकालने और पाचन में सुधार करने में मदद करता है. इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेटकर अपने पैरों को घुटनों की ओर खींच सकते हैं. फिर, अपने सिर को घुटनों की ओर झुका सकते हैं. यह आसन गैस, एसिडिटी और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है.
वीरभद्रासन
वॉरियर 2 या वीरभद्रासन, यह आसन शरीर को मजबूत करने के साथ ही वजन को भी संतुलन बनाता है और मन को शांत करता है.
छिपकली मुद्रा
छिपकली मुद्रा, यह कूल्हों को खोलती है और मांसपेशियों में खिंचाव लाती है. इस योगासन को उत्थान पृष्ठासन के नाम से भी जाना जाता है.
फलकासन
प्लैंक पोज या फलकासन, यह शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है. इसमें सिर से लेकर एड़ी तक शरीर को एक सीधी रेखा में रखना होता है.
उष्ट्रासन
कैमल पोज या उष्ट्रासन को ऊंट की मुद्रा भी कहा जाता है. यह आसन छाती, पीठ और जांघों को स्ट्रेच करता है, रीढ़ को लचीला बनाता है और शरीर के सभी अलाइनमेंट में सुधार करता है.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.