शहर का तनाव छोड़ें, प्रकृति में डूब जाएं! जापान की अनोखी थेरेपी 'फॉरेस्ट बाथिंग' है सेहत का नया मंत्र
'फॉरेस्ट बाथिंग' का मतलब सचमुच जंगल में नहाना नहीं है, बल्कि यह जंगल के वातावरण में खुद को पूरी तरह डुबो देना है. 1980 के दशक में जापान में इस अवधारणा को विकसित किया गया था ताकि लोग प्रकृति के साथ फिर से जुड़ सकें और शहरी जीवन के तनाव से मुक्ति पा सकें. इसका मूल विचार यह है कि आप किसी जंगल, हरे-भरे पार्क या प्राकृतिक वातावरण में जाएं और अपनी सभी इंद्रियों को खोलकर प्रकृति के साथ जुड़ें.

आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, शहरीकरण और लगातार डिजिटल स्क्रीन से चिपके रहने के कारण तनाव, चिंता और मानसिक थकान आम होती जा रही है. ऐसे में, जापान से आई एक प्राचीन लेकिन वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित थैरेपी, 'फॉरेस्ट बाथिंग' (Forest Bathing) या शिनरिन-योकू (Shinrin-yoku), आपको न केवल सुकून दे सकती है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी कई मायनों में बेहतर बना सकती है. यह प्रकृति से जुड़ने का एक ऐसा तरीका है जो आपके तन और मन को फिर से ऊर्जावान बना देता है.
क्या होती है 'फॉरेस्ट बाथिंग'?
'फॉरेस्ट बाथिंग' का मतलब सचमुच जंगल में नहाना नहीं है, बल्कि यह जंगल के वातावरण में खुद को पूरी तरह डुबो देना है. 1980 के दशक में जापान में इस अवधारणा को विकसित किया गया था ताकि लोग प्रकृति के साथ फिर से जुड़ सकें और शहरी जीवन के तनाव से मुक्ति पा सकें. इसका मूल विचार यह है कि आप किसी जंगल, हरे-भरे पार्क या प्राकृतिक वातावरण में जाएं और अपनी सभी इंद्रियों को खोलकर प्रकृति के साथ जुड़ें. यह सिर्फ़ चलना या व्यायाम करना नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे चलना, रुकना, देखना, सुनना, सूँघना और महसूस करना है – यानी प्रकृति में पूरी तरह से उपस्थित रहना.
'फॉरेस्ट बाथिंग' के फायदे
जापान और साउथ कोरिया में कई रिसर्च हुए हैं जिनसे पता चला है कि 'शिनरिन योकू' यानी फॉरेस्ट बाथिंग से हमारे शरीर और दिमाग को कई फायदे होते हैं. इससे तनाव और ब्लड प्रेशर कम होता है. ध्यान लगाने की शक्ति बढ़ती है. मूड बेहतर होता है. आप अंदर से खुश और शांत महसूस करते हैं. इस पर साल 2022 में एक और रिसर्च की गई, जिसमें पाया गया कि अगर आप हरियाली और प्राकृतिक माहौल में कोई हल्की-फुल्की एक्टिविटी, जैसे टहलना, साइकिल चलाना आदि करते हैं, तो उसका आपकी दिल की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है.
जंगल या हरियाली वाली जगहों में अधिक ऑक्सीजन होता है. जब आप ऐसी जगह पर जाते हैं और गहरी सांसें लेते हैं, तो आपके शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है. इससे खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है. साथ ही, आपका दिमाग भी बेहतर तरीके से काम करता है.
एक स्टडी में 12 पुरुषों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 37 से 55 साल के बीच थी. इन लोगों ने तीन अलग-अलग जंगलों में फॉरेस्ट बाथिंग की. नतीजों में देखा गया कि उनके शरीर में नेचुरल किलर सेल्स 50 फीसदी तक बढ़ गए. यह नेचुरल किलर सेल्स कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मददगार हैं.
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, 'फॉरेस्ट बाथिंग' एक साधारण लेकिन शक्तिशाली तरीका है अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का. यह एक ऐसी 'दवा' है जिसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, और यह हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध है. तो, अगली बार जब आपको तनाव महसूस हो या आप खुद को थका हुआ पाएं, तो किसी हरे-भरे क्षेत्र में जाएं और 'फॉरेस्ट बाथिंग' का अनुभव करें. यकीन मानिए, आप ताज़गी और नई ऊर्जा से भर उठेंगे.