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अब गाली देना या अपमान करना नहीं है मज़ाक, बन सकता है जेल जाने का कारण, जानें क्या कहता है नया कानून

BNS कानून आने के बाद अब गाली-गलौज और बदतमीज़ी को सामान्य झगड़ा या मज़ाक नहीं माना जाएगा. इसलिए सभी को यह समझने की जरूरत है कि शब्दों की चोट भी अपराध बन सकती है. अपने व्यवहार को संयमित रखें, और दूसरों की इज्जत करें. वरना छोटी-सी बात भी आपको कानूनी पचड़े में डाल सकती है.

30 Aug, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
07:47 PM )
अब गाली देना या अपमान करना नहीं है मज़ाक, बन सकता है जेल जाने का कारण, जानें क्या कहता है नया कानून
Source: Law ( File Photo)

BNS: भारत में अब नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत गाली देना, किसी को धमकाना, या अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना केवल एक हल्की बात या मज़ाक नहीं माना जाएगा. अगर किसी ने इस तरह की हरकत की और सामने वाला व्यक्ति शिकायत करता है, तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है और मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है.

गाली या अपमान पर कौन-कौन सी धाराएं लग सकती हैं?

 धारा 353 - इज्जत को ठेस पहुंचाना

अगर कोई व्यक्ति किसी को ऐसे शब्दों से अपमानित करता है जिससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, तो उस पर BNS की धारा 353 लग सकती है. यह एक गंभीर अपराध है और इसमें कानूनी सज़ा का प्रावधान है.

धारा 356 - धमकाना या डराना

अगर आप किसी को जानबूझकर धमकाते हैं या डराने की कोशिश करते हैं, तो आप पर धारा 356 के तहत कार्रवाई हो सकती है. इसमें भी जेल और जुर्माना दोनों की सज़ा हो सकती है.

 धारा 357 - पब्लिक प्लेस पर गाली देना

अगर आपने किसी को सार्वजनिक स्थान (जैसे पार्क, सड़क या ऑफिस) पर गाली दी या अपमानित किया, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है. BNS की धारा 357 के तहत ऐसा करना अवैध माना गया है. कोर्ट ऐसे मामलों को बहुत गंभीरता से लेता है क्योंकि इससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है.

हाथापाई या धक्का-मुक्की करना भी अपराध

कई बार बहस के दौरान बात बढ़ते-बढ़ते हाथापाई या धक्का-मुक्की तक पहुंच जाती है. पहले इसे आम झगड़ा समझ लिया जाता था, लेकिन अब BNS के अनुसार यह भी अपराध है.

धारा 351 और 352

  • अगर कोई किसी को मारने की धमकी देता है या हाथ उठाता है, तो उस पर ये धाराएं लग सकती हैं. यहां तक कि अगर आपने किसी को हल्के में धक्का भी दिया, तो वह भी अपराध की श्रेणी में आता है.
  • बार-बार गाली देना बन सकता है उत्पीड़न का मामला
  • अगर कोई व्यक्ति लगातार गालियां देकर या अपमानजनक बातें बोलकर किसी को परेशान करता है, तो यह मानसिक उत्पीड़न माना जाएगा.

धारा 354 - बार-बार अपमान करना

इस धारा के तहत किसी को बार-बार अपमानित करना या गालियां देना सजा योग्य अपराध है. इसमें जेल की सजा तक हो सकती है. यानी यह सिर्फ दोस्ती में मज़ाक नहीं, बल्कि कानून की नजर में गंभीर अपराध है.

क्या सीख मिलती है?

अब समय आ गया है कि हम अपनी बोली और बर्ताव को लेकर सतर्क रहें. चाहे कोई हमारा दोस्त हो, सहकर्मी हो या परिवार का सदस्य किसी को गाली देना, धमकाना या अपमानित करना कानून के तहत अपराध है.अगर कोई भी व्यक्ति ऐसे मामलों से परेशान है, तो वह पुलिस में शिकायत दर्ज करवा सकता है और अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है.

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BNS कानून आने के बाद अब गाली-गलौज और बदतमीज़ी को सामान्य झगड़ा या मज़ाक नहीं माना जाएगा. इसलिए सभी को यह समझने की जरूरत है कि शब्दों की चोट भी अपराध बन सकती है. अपने व्यवहार को संयमित रखें, और दूसरों की इज्जत करें. वरना छोटी-सी बात भी आपको कानूनी पचड़े में डाल सकती है.

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