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किरायेदारों के लिए बड़ी खबर: मकान मालिक की मनमानी रोकने वाले 10 कानूनी अधिकार, जानिए

किराये पर घर लेना अब बहुत आम हो गया है, लेकिन मकान मालिक और किरायेदार दोनों को अपने-अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझना बहुत जरूरी है. सही जानकारी और उचित दस्तावेजों के साथ आप अपने किराये के घर में सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन बिता सकते हैं. कोई भी विवाद होने पर कोर्ट से मदद लेना भी आपका अधिकार है.

28 Jul, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:06 PM )
किरायेदारों के लिए बड़ी खबर: मकान मालिक की मनमानी रोकने वाले 10 कानूनी अधिकार, जानिए
Image Credit: Tenants

Tenants Rules: आजकल नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाकर किराये पर घर लेना बहुत आम हो गया है. लेकिन कई बार किरायेदार और मकान मालिक के बीच समझ की कमी की वजह से झगड़े हो जाते हैं. मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा देते हैं, बिना वजह दखलअंदाजी करते हैं या बिना नोटिस घर छोड़ने को कह देते हैं. ऐसे हालात में किरायेदारों को अपने अधिकारों को जानना बहुत जरूरी हो जाता है ताकि वे अपने हक की रक्षा कर सकें.

किरायेदारों के लिए दो महत्वपूर्ण कानून

भारत में किरायेदारों को सुरक्षा देने के लिए दो मुख्य कानून बनाए गए हैं. पहला है रेंट कंट्रोल एक्ट, 1948, जो मकान मालिक को बिना सही वजह या नोटिस दिए किरायेदार को निकालने से रोकता है. इस तरह के विवाद कोर्ट के जरिए ही सुलझाए जाते हैं. दूसरा है मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021, जिसे केंद्र सरकार ने बनाया है ताकि किराए से जुड़ी हर समस्या जैसे किराया न मिलना, जबरन बेदखली या बिना एग्रीमेंट के रहने के मामले आसानी से सुलझाए जा सकें. लेकिन यह कानून अभी सभी राज्यों में लागू नहीं हुआ है, इसलिए लागू होना राज्य सरकारों की मर्जी पर है.

किरायेदारों के कानूनी अधिकार

किरायेदारों को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं, जिनकी मदद से वे मकान मालिक की मनमानी से बच सकते हैं. सबसे पहले, किरायेदार को लिखित रेंट एग्रीमेंट का अधिकार है, जिससे दोनों पक्षों के बीच नियम स्पष्ट रहते हैं. अगर मकान में कोई जरूरी मरम्मत हो, तो किरायेदार उसे करवाने का अधिकार रखता है और अगर खुद से मरम्मत करता है, तो उसका खर्च सिक्योरिटी मनी या अगले किराये से काटा जा सकता है. मकान खाली करने से पहले किरायेदार को नोटिस पीरियड का हक होता है और अगर जबरन निकाला जाता है तो वे कोर्ट का सहारा ले सकते हैं.

इसके अलावा मकान मालिक किरायेदार की अनुमति के बिना घर में प्रवेश नहीं कर सकता, क्योंकि यह उनकी निजता का उल्लंघन होगा. किरायेदार को रेंट एग्रीमेंट रिन्यू करने या शर्तों को मानने से मना करने का भी अधिकार है. यदि मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी बेचने वाला हो तो किरायेदार को तीन महीने पहले इसकी सूचना देना अनिवार्य है. जब घर छोड़ते हैं तो सिक्योरिटी मनी वापस लेने का भी पूरा हक किरायेदार को मिलता है। इसके अलावा आर्थिक कठिनाई के समय किरायेदार मकान मालिक से किराया देने के लिए मोहलत भी मांग सकता है.

मकान में बदलाव करने के नियम

अगर आप किराए पर रहते हैं तो आप घर में छोटे-मोटे बदलाव जैसे पर्दे लगाना, दीवारों पर पेंट करवाना, बल्ब या हैंगर लगाना कर सकते हैं. लेकिन अगर आपको दीवार तोड़ने या बाथरूम में बड़े बदलाव करवाने हों तो मकान मालिक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है. इससे किसी भी कानूनी झगड़े से बचा जा सकता है. बेहतर यही है कि कोई भी बदलाव करने से पहले मकान मालिक की सहमति और रेंट एग्रीमेंट में इसका जिक्र करवा लें.

रेंट एग्रीमेंट और सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम

आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का बनाना ठीक रहता है। क्योंकि 12 महीने या उससे ज्यादा का एग्रीमेंट होने पर उसे रजिस्टर कराना जरूरी होता है, जिसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस लगती है. 11 महीने का एग्रीमेंट इस खर्च से बचाता है। ये एग्रीमेंट विवाद की स्थिति में कानूनी सबूत का काम करता है.

सिक्योरिटी डिपॉजिट की कोई फिक्स लिमिट नहीं है. यह मकान के स्थान, स्थिति और किराए के आधार पर तय होता है. आमतौर पर 3 से 6 महीने के किराए के बराबर सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर 1 महीने का भी होता है. यह रकम मकान छोड़ते समय वापस मिलती है, बशर्ते मकान में कोई नुकसान न हुआ हो.

मकान मालिक के भी कुछ अधिकार होते हैं

मकान मालिक को किराया समय पर मिलने का अधिकार होता है. अगर किराया नहीं मिलता तो वह नोटिस दे सकता है, जुर्माना लगा सकता है या कोर्ट का सहारा ले सकता है. मकान मालिक तीन महीने पहले सूचना देकर किराया बढ़ा सकता है और एक महीने का नोटिस देकर किरायेदार को मकान खाली कराने के लिए कह सकता है. अगर किरायेदार ने मकान को नुकसान पहुंचाया हो तो मकान मालिक सिक्योरिटी मनी से नुकसान भरपाई कर सकता है. मकान मालिक मकान का निरीक्षण भी कर सकता है, लेकिन पहले सूचित करना जरूरी है. लंबे समय तक किराया न देने पर मकान मालिक किरायेदार को बेदखली भी करा सकता है. साथ ही लीज खत्म होने पर मकान मालिक को मकान वापस लेने का अधिकार भी होता है.

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किराये पर घर लेना अब बहुत आम हो गया है, लेकिन मकान मालिक और किरायेदार दोनों को अपने-अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझना बहुत जरूरी है. सही जानकारी और उचित दस्तावेजों के साथ आप अपने किराये के घर में सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन बिता सकते हैं. कोई भी विवाद होने पर कोर्ट से मदद लेना भी आपका अधिकार है. इसलिए हमेशा अपने अधिकारों से अवगत रहें और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह जरूर लें.

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