बाबा महाकाल के दरबार में नुसरत भरूचा ने टेका मत्था, शिव भक्ति में डूबी एक्ट्रेस, भस्म आरती में हुईं शामिल
नुसरत भरूचा की बाबा महाकाल के दरबार में दूसरी यात्रा थी. भस्म आरती के दौरान वह नंदी हॉल में बैठीं और शिव भक्ति में पूरी तरह डूब गईं. मंदिर के पुजारियों ने उन्हें प्रसाद स्वरुप महाकाल अंकित दुपट्टा भेंट किया, जिसे पाकर वह गदगद नजर आईं. दर्शन के बाद नुसरत ने मंदिर की व्यवस्थाओं की तारीफ की.
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बॉलीवुड एक्ट्रेस नुसरत भरूचा मंगलवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने पुत्रदा एकादशी के पावन अवसर पर महाकाल के दर्शन किए. दिव्य भस्म आरती में शामिल होकर नुसरत ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया. इस दौरान वह भक्ति में लीन दिखीं.
शिव भक्ति में पूरी तरह डूबी नुसरत
यह नुसरत भरूचा की बाबा महाकाल के दरबार में दूसरी यात्रा थी. भस्म आरती के दौरान वह नंदी हॉल में बैठीं और शिव भक्ति में पूरी तरह डूब गईं. मंदिर के पुजारियों ने उन्हें प्रसाद स्वरुप महाकाल अंकित दुपट्टा भेंट किया, जिसे पाकर वह गदगद नजर आईं. दर्शन के बाद नुसरत ने मंदिर की व्यवस्थाओं की तारीफ की.
नुसरत ने जल पात्र व्यवस्था की प्रशंसा की
उन्होंने कहा कि इतनी भारी भीड़ होने के बावजूद सब कुछ बहुत सुगम और व्यवस्थित था. खास तौर पर उन्होंने जल पात्र व्यवस्था की प्रशंसा की. इस व्यवस्था में पाइप के जरिए सीधे ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाया जाता है, जिससे भक्तों को लाइन में लगे बिना जल अर्पित करने की सुविधा मिलती है. नुसरत ने बताया कि बाबा महाकाल के दर्शन से उन्हें शांति और ऊर्जा मिलती है.
भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है
भस्म आरती महाकाल मंदिर की सबसे विशेष आरती है, जो ब्रह्म मुहूर्त में होती है जिसमें भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है. महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती लोकप्रिय है और इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु उज्जैन आते हैं. भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है. आरती में श्मशान से लाई गई चिता की भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है.
भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट क्यों करती हैं
चिता भस्म के अलावा इसमें गोहरी, पीपल, पलाश, शमी और बेल की लकड़ियों के राख को भी मिलाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं.
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मान्यता है कि उस वक्त महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं, इसलिए महिलाओं को आरती में शामिल न होने और न ही देखने की अनुमति होती है.
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