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महाकाल के दरबार पहुंचे रॉकिंग स्टार यश, भस्म आरती में हुए शामिल

मंदिर पहुंचे साउथ के सुपरस्टार यश ने कहा, "महाकाल का दर्शन करके बहुत अच्छा लग रहा है। यहां पर दर्शन करने का अनुभव अविश्वसनीय था। मैं यहां की व्यवस्थाएं देखकर बहुत खुश हूं। सभी श्रद्धालुओं को देखकर बहुत अच्छा लगा।"

Created By: NMF News
21 Apr, 2025
( Updated: 21 Apr, 2025
01:15 PM )
महाकाल के दरबार पहुंचे रॉकिंग स्टार यश, भस्म आरती में हुए शामिल
अभिनेता यश सोमवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर के मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने महाकाल के दर्शन-पूजन किए और बताया कि उनका अनुभव अविश्वसनीय रहा। यश महाकाल के भस्म आरती में भी शामिल हुए।  

 भस्म आरती में शामिल हुए अभिनेता यश

भस्म आरती देखने के बाद उन्होंने चांदी द्वार से बाबा महाकाल की पूजन किया और वहीं माथा टेका। पूजन आकाश पुजारी ने सम्पन्न करवाया। मंदिर के नंदी हॉल में बैठकर अभिनेता शिव साधना करते नजर आए। चांदी द्वार से उन्होंने माथा टेककर आशीर्वाद लिया। दर्शन के पश्चात पुजारी ने अभिनेता को प्रसाद स्वरूप लाल रंग का महाकाल नाम का छपा पटका भेंट किया।

महाकाल का दर्शन करके बहुत अच्छा लगा : अभिनेता यश

मंदिर पहुंचे साउथ के सुपरस्टार यश ने कहा, "महाकाल का दर्शन करके बहुत अच्छा लग रहा है। यहां पर दर्शन करने का अनुभव अविश्वसनीय था। मैं यहां की व्यवस्थाएं देखकर बहुत खुश हूं। सभी श्रद्धालुओं को देखकर बहुत अच्छा लगा।"

अभिनेता रेशमी धोती के साथ पटका और साथ में रुद्राक्ष की माला पहने और मस्तक पर अष्टगंध लगाए नजर आए।

फिल्म 'रामायण' में रावण की भूमिका में नजर आएंगे यश

वर्कफ्रंट की बात करें तो यश जल्द नितेश तिवारी की फिल्म 'रामायण' में लंकापति रावण की भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म में उनके साथ रणबीर कपूर और साई पल्लवी मुख्य भूमिकाओं में हैं।

चिता की भस्म से होता है भगवान शिव का श्रृंगार 

महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती लोकप्रिय है और इसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है। आरती में श्मशान से लाई गई चिता की भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। चिता भस्म के अलावा इसमें गोहरी, पीपल, पलाश, शमी और बेल की लकड़ियों की राख को भी मिलाया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं। मान्यता है कि उस वक्त महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं, इसलिए महिलाओं को आरती में शामिल न होने और न ही देखने की अनुमति होती है।

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