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महाकुंभ में क्या ख़त्म हो पाएगी रूस और यूक्रेन की दुश्मनी ?

आज आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि जिन दो दुश्मनों में शांति स्थापित करने में विश्व की सारी ताक़तें अब तक फेल रही है, संगम की रेती पर यहीं दुश्मनी दोस्ती में बदलती दिख रही है…महाकुंभ की मिट्ठी से युद्ध की इसी चिंगारी को बुझाई जा रही है। क्या सच में महाकुंभ के रास्ते रूस-यूक्रेन का बैर ख़त्म किया जा सकता है ? देखिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट में
महाकुंभ में क्या ख़त्म हो पाएगी  रूस और यूक्रेन की दुश्मनी ?

युद्ध की आग में जल रहे विश्व के दो देश पिछले 3 सालों से मौत के साये में है। यूक्रेन से झुका नहीं जा रहा है और रूस थमने को तैयार नहीं है। इन दो देशों के बीच की जंग ने दुनिया को तृतीय विश्व युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है लेकिन आज आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि जिन दो दुश्मनों में शांति स्थापित करने में विश्व की सारी ताक़तें अब तक फेल रही है, संगम की रेती पर यहीं दुश्मनी दोस्ती में बदलती दिख रही है। महाकुंभ की मिट्ठी से युद्ध की इसी चिंगारी को बुझाई जा रही है,क्या सच में महाकुंभ के रास्ते रूस-यूक्रेन का बैर ख़त्म किया जा सकता है ?देखिये इस पर धर्म ज्ञान की स्पेशल रिपोर्ट...

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संगम नगरी में दो दुश्मन बने दोस्त

महाकुंभ आस्था का महा समागम है, महाकुंभ मानवता का जमावड़ा है, महाकुंभ संतों का मेला, महाकुंभ मोक्ष प्राप्ति का रास्ता है, महाकुंभ आत्म शांति का अड्डा है । महाकुंभ सनातन का प्रतीक है। आज की डेट में महाकुंभ जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए महाकुंभ का मतलब अलग है यही वजह है कि भारत से सात समंदर पार दो दुश्मन देश महाकुंभ की रेती पर शांति तलाश रहे हैं। युद्ध से नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और शांति के मार्ग से मानवता को बचाने की कोशिश हो रही है, दरअसल महाकुंभ पहुँचने वाले विदेशियों में रूस और यूक्रेन के नागरिक भी हैं। शांति की तलाश में संगम नगरी पधारे रूस -यूक्रेन के नागरिक एक साथ मिलकर शिव स्तुति कर रहे हैं। भजन कीर्तन कर रहे हैं। पूजा पाठ कर रहे हैं, संगम तट पर सनातनी रंग में रंग रहे हैं। महाकुंभ से शांति का संदेश महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद के शिविर से दिया जा रहा है। जूना अखाड़ा का हिस्सा बन चुके महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद इससे पहले यूक्रेन निवासी एलेक्जेंड्रा थे। उन्होंने भारत आकर ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर सोमनाथ से दीक्षा लेकर नागा सन्यासी का मार्ग अपनाया। अब जब वो अपने नागा संन्यासी जीवन में है, तो महाकुंभ की मिट्टी से आध्यात्म के रास्ते विश्व शांति और एकता का सदिश दे रहे हैं। उन्होंने वर्ल्ड वाइड सनातन धर्म कम्युनिटी के नाम से शिविर लगाया है, जिसमें रूस, यूक्रेन, जर्मनी और जापान जैसे देशों के युवा संत और संन्यासिनियां शामिल हो रहीं हैं। वर्ल्ड वाइड सनातन धर्म कम्युनिटी आने वाले जितने भी यूक्रेन और रूस के नागरिक हैं, उनका ये मानना है कि अब आध्यात्म के रास्ते ही इस जंग को रोका जा सकता है। इनका मानना है कि महाकुंभ मेले में आकर उनको अलौकिक शांति का आभास हुआ है। 


रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद का ये कहना है कि युद्ध ने यूक्रेन को तहस-नहस कर दिया है। चर्च, अस्पताल, और घरों को रॉकेट हमलों ने तबाह कर दिया। लोग बेघर हो गए हैं, और हर तरफ विनाश का मंजर है। इस त्रासदी के बीच विष्णुदेवानंद गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती से शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। देखा जाए, तो रूस और यूक्रेन के नागरिक पिछले 3 सालों से जिन भयावह हालातों से गुजर रहे हैं, उससे निकलने का रास्ता आध्यात्म में ढूँढ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो महाकुंभ आने वाले  विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं में रूस-यूक्रेन के लोग शामिल हैं हालाँकि इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है कि महाकुंभ को लेकर योगी सरकार की टॉप की तैयारियों की वजह से विदेशी पर्यटक महाकुंभ में बिना किसी असुविधा के रह पा रहे हैं। अबकी बार का महाकुंभ रूस-यूक्रेन के बीच की दुश्मनों को ख़त्म कर सके। महाकुंभ की मिट्टी से युद्ध की चिंगारी बुझ जाए और आध्यात्मिकता और शांति के रास्ते पर चलकर लोग मानवता को बचा सके। 

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