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कल बन रहा उत्पन्ना एकादशी का विशेष संयोग, श्रीहरि की पूजा से दूर होंगे सभी कष्ट और मिलेगा मोक्ष! जानें महत्व

सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व होता है. माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है. मोक्ष की प्राप्ति होती है और ईश्वर की कृपा भी बनी रहती है. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार शनिवार को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जायेगा जो ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद ही खास है. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़िए…

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी तिथि शनिवार को है. इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे. द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.

 

उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखना क्यों है जरूरी?

पद्म, स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में उत्पन्ना एकादशी के महत्व का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस एकादशी पर व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से जातक के जीवन से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

उत्पन्ना एकादशी के दिन किनकी पूजा करनी चाहिए?

इस एकादशी पर धन की देवी मां लक्ष्मी और श्री हरि की उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने से व्यक्ति को कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती. साथ ही यह दिन भक्तों के लिए अत्यधिक पुण्य प्राप्त करने का अवसर होता है.

किस तरह करें उत्पन्ना एकादशी में पूजा अर्चना?

विधि-विधान से व्रत करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें. फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें. विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें और अब भगवान को धूप, दीप, अक्षत और पीले फूल चढ़ाएं, व्रत कथा सुनें और भगवान विष्णु की आरती करें. उसके बाद आरती का आचमन करें. इसके बाद दिनभर निराहार रहें और भगवान का ध्यान करें. मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें. दान पुण्य करें. गायों की देखभाल करें. गोशाला में धन का दान करें.

व्रत न करने वाले उत्पन्ना एकादशी के दौरान क्या करें?

जो लोग व्रत नहीं कर पा रहे हैं, वे विष्णु जी की पूजा करें, दान-पुण्य करें, मंत्र जप और ग्रंथों का पाठ करें. बीमार, गर्भवती और बच्चों के लिए व्रत करना जरूरी नहीं होता है. ये लोग पूजा-पाठ करके भी एकादशी व्रत के समान पुण्य कमा सकते हैं.

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