Advertisement

शनि की मीन में दस्तक, दुनिया के लिए कितनी ख़तरनाक ?

ऐसे में सवाल उठता है कि आज के ज़माने का आम जनमानस शनि से भयभीत क्यों रहता है? अतीत की विनाशकारी घटनाओं का शनि गोचर से क्या कनेक्शन है ?अबकी बार मीन में शनि की दस्तक क्या देश-दुनिया के लिए ख़तरनाक है ?

17 Feb, 2025
( Updated: 17 Feb, 2025
10:00 AM )
शनि की मीन में दस्तक, दुनिया के लिए कितनी ख़तरनाक ?

अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाने की ताक़त रखते हैं, तो फिर दंडाधिकारी शनि की दृष्टि से बच पाना भी असंभव है। एक बार फिर कर्मफल दाता शनि की चाल में सबसे बड़ा बदलाव होने जा रहा है और यही बदलाव क्या किसी अनहोनी का संकेत बनेगा ? आज ये सवाल इसलिए क्योंकि जब-जब शनि ने मीन राशि में प्रवेश किया है। इस धरा पर विनाश ही विनाश दिखा इतिहास गवाह है, शनि का गुरु की राशी में जाना कभी भी शुभ नहीं रहा, कुदरत का क़हर, जंग की चिंगारी और मानवजाति का विनाश, बर्बादी का यही मंजर देखने को मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि आज के ज़माने का आम जनमानस  शनि से  भयभीत क्यों रहता है ? अतीत की विनाशकारी घटनाओं का शनि गोचर से क्या कनेक्शन है ? अबकी बार मीन में शनि की दस्तक क्या देश-दुनिया के लिए ख़तरनाक है ?

शनि के लिए कहा जाता है जैसी करनी वैसी भरनी, इकलौता ऐसा ग्रह है, जिसका कालचक्र लगभग 27 सालों में आता है। इन 27 सालों में व्यक्ति जैसा करता है शनि देव अपने काल चक्र में वैसा ही परिणाम देते हैं। अच्छे काम किए जाने पर अपने कार्यकाल में शनि देव मालामाल कर देते है और गलत करने पर राजा से रंक बनाते है। जो कि ज्योतिष में शनि को कर्म , आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, परिश्रम, तकनीक, तकनीकी कार्य, मशीनें, गहन अध्ययन, आध्यात्म, तपस्या, पाचन तन्त्र, हड्डियों के जोड़, लोहा और पेट्रोलियम से जोड़ा जाता है, इस कारण जीवन में शनि की अहमियत सबसे बड़ी बताई गई है।जो कि शनि व्यक्ति को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाते है, जिस कारण लोगों में शनि की कृपा पाने की लालसा होती है। अब जब शनि 29 मार्च से गुरु की राशी मीन में प्रवेश करेंगे, तो आने वाले कल की कौन सी भयानक तस्वीर देखने को मिल सकती है, इसका अंदाज़ा अतीत की घटनाओं से लगाया जा सकता है।


बताया जाता है कि 1937 में जब शनि ने मीन राशि में प्रवेश किया था, तो दूसरे विश्वयुद्ध की स्थिति बनने लगी थी। विश्व के देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।उस वक़्त चीन ने जापान पर हमला कर दिया था, जिसके चलते दूसरे देशों के बीच भी तनाव की स्थिति बढ़ती चली गई और परिणाम वश 1939 से 1945 के बीच दूसरा विश्वयुद्ध हुआ।1965 का युद्ध भुला पाना असंभव है, भारत-पाकिस्तान के बीच 17 दिनों तक चले इस युद्ध की नींव शनि के मीन गोचर में ही रखी जा चुकी थी। जैसे ही शनि मीन राशि में आए, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया और इसी तनाव ने बाद में युद्ध का रूप लिया। 1995 में भी शनि मीन राशि में विचरण कर रहे थे और उसी समय जापान में भीषण भूकंप आया। 7.2 तीव्रता का भूकंप इंसानों के लिए काल बनकर आया, जिसमें 6,000 से ज्यादा लोग मारे गए और 30 हज़ार लोग ज़ख़्मी हुए। 


ऐसा नहीं है कि युद्ध की स्थिति सिर्फ़ भारत में ही देखने को मिली, 1966 में जब शनि मीन राशि में ही थे, तब वियतनाम-अमेरिका के बीच भीषण युद्ध हुआ।अमेरिका की तरफ से वियतनाम पर भारी बमबारी की गई थी। इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों सैनिक मारे गए। इस युद्ध के बाद भी ऐसी कई तनावभरी घटनाएं घटीं, जिससे भीषण तबाही मची थी। भारत से लेकर विश्व की इन विनाशकारी घटनाओं के पीछे शनि का मीन राशि गोचर कॉ़मन है, और शायद यही कारण है कि 45 दिन बाद शनि मीन राशि में कदम रखेंगे, लेकिन परिणामों की चिंता अभी से की जा रही है। 

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित 92% लोग मुसलमान है, अब कट्टरपंथ खत्म हो रहा है!
Advertisement
Advertisement