कुबेर देव का ऐसा मंदिर जहां मात्र चांदी के सिक्के से दूर होती है पैसे की तंगी, धनतेरस और दीवाली पर होते हैं दिव्य चमत्कार
धनतेरस और दिवाली के दौरान कुबेर देव की पूजा-अर्चना की जाती है ताकि उनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में भगवान कुबेर का एक ऐसा मंदिर है जहाँ मात्र एक चांदी का सिक्का लेकर जाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं. धनतेरस और दिवाली के दौरान यहाँ सैकड़ों भक्त अपनी पैसे से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं.
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पूरे देश भर में 18 अक्टूबर को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का त्योहार मनाया जायेगा. इस दिन आमतौर पर भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा होती है. धनतेरस पर नमक, झाड़ू, साबुत धनिया और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जहाँ मात्र सिक्का ले जाने से आर्थिक समस्याओं से निजात मिलती है और भगवान कुबेर की कृपा होती है…
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम नाम का मंदिर है. इसकी मान्यता है कि इस मंदिर की मिट्टी घर ले जाने पर बरकत आती है. जागेश्वर धाम में कुबेर भगवान एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान हैं. यहाँ भगवान शिव और कुबेर दोनों की पूजा होती है. माना जाता है कि अगर किसी का कारोबार ठप पड़ गया है तो इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी ले जाकर अपनी तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिति सुधरती है और घर में धन-धान्य बना रहता है. भक्त दूर-दूर से यहाँ मिट्टी लेने के लिए आते हैं.
मात्र चांदी के सिक्के से दूर होती हैं आर्थिक समस्याएं
मंदिर की एक और मान्यता है, जिसमें चांदी के सिक्के का इस्तेमाल होता है. कहा जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए या कर्ज से मुक्त होने के लिए चांदी का सिक्का लेकर मंदिर जाएँ. वहाँ मंदिर में मंत्र पढ़कर और सिक्के की पूजा कराकर उसे पीले कपड़े में बाँधकर अपने घर ले जाएँ तो आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है. अपनी मनोकामना को पूरा कराने के लिए यहाँ कुबेर भगवान को खीर अर्पित की जाती है.
दिवाली और धनतेरस पर उमड़ता है भक्तों का सैलाब
दिवाली और धनतेरस के मौके पर मंदिर में खास पूजा-अर्चना होती है. धनतेरस पर एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. यहाँ की मिट्टी अपने घर ले जाने के लिए भक्तों के बीच होड़ लगी रहती है.
अद्भुत मंदिर का निर्माण कब हुआ?
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मंदिर की बनावट बहुत पुरानी है. मंदिर के निर्माण को लेकर भी संशय है. कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर 9वीं और 14वीं शताब्दी में बना है. मंदिर के सही निर्माण की जानकारी नहीं है. मंदिर प्रांगण में देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं.
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